'' चतुर भार्गव ''उत्तीर्ण हो गया था ,अगली कक्षा ,में प्रवेश पाने के लिए ,वह साईकिल से पास के ,शहर में ही जाने की योजना बनाता है ,ताकि कस्तूरी के सम्पर्क में रहे। चाहता तो यही था ,कि वह वहीं रह जाये किन्तु माता -पिता को समझाना इतना आसान भी नहीं। अभी एक महीना उनसे दूर रहा तो माँ की क्या हालत हो गयी ?पिता भी कहते कुछ नहीं ,किन्तु उनकी चुप्पी ही ,बहुत कुछ कह जाती है। पढ़ने लिए बाहर गया तो कहीं पढ़ाने से ही इंकार न कर दें। ये तो माँ की ही इच्छा है ,कि मैं पढ़ लिखकर बड़ा आदमी बनूँ यानि खेती -किसानी छोड़कर ,नौकरी करूं किन्तु ये तनिक भी नहीं चाहेंगी कि मैं उनसे दूर रहूं। अब जो भी होगा देखा जायेगा ,चतुर ने अपने आपको समय के हवाले छोड़ दिया। और माता -पिता को समझाया -कि वह साइकिल से शहर जाकर पढ़ने जाया करेगा ,इससे वह अपने माता -पिता के पास भी रहेगा और पढ़ाई भी हो जाएगी।
इस बात पर रामप्यारी और श्रीधर जी को कोई आपत्ति नजर नहीं आई।
गर्मी के कारण ,सभी मित्रगण ,अपने ही गांव की नहर पर जाकर तैरने की योजना बनाते हैं। खूब मस्ती करेंगे ,साथ चतुर को भी ,निमत्रण दे दिया। चतुर के न जाने का तो प्रश्न ही नहीं उठता क्योंकि वो अपने दोस्तों से भी तो मिलकर योजना बनाने वाला है। कौन -कौन शहर के उस कॉलिज में ,दाख़िला लेने वाला हे ? एक -दो का साथ भी तो होना चाहिए। सभी दोस्त नहर के किनारे आ जाते हैं। नहर का बहाव तेज़ था। यार ! ध्यान दो !पानी का बहाव बहुत तेज़ है, मयंक ने सचेत किया। मुझे लगता है ,अभी हमें पानी में उतरना नहीं चाहिए।
एक बार उतरकर देख लेते हैं , नहीं बात बनेगी तो आ जाएंगे चतुर बोला।
पहले तू ही ,जाकर देख ले , यदि तू डूबने लगा तो ,हम तुझे बचा लेंगे और अगर नहीं डूबा तो हम भी तेरे साथ आ जाएंगे।
मैं ही क्यों ''बलि का बकरा बनूँ ''? अभी तक मेरा विवाह भी नहीं हुआ।
यह मारा !!!!! मुझे लगता है , इसकी ज़िंदगी में अवश्य ही कोई लड़की है, जिसकी खातिर ये, नहर के पानी में नहीं जा रहा।
ऐसा कुछ भी नहीं है , तुम लोग क्यों नहीं जा रहे हो ? क्या तुम्हारे साथ भी कुछ ऐसा है , चतुर ने उन पर व्यंग्य करते हुए कहा।
यह सब बातें छोड़ो ! मैं कोशिश करता हूं ,किनारे की मिट्टी भी बहुत चिकनी है ,पानी में उतरने से पहले सुरेश बोला।
नहर का पानी भी ,बढ़ता जा रहा है , कोई भी ऐसी कोशिश नहीं करेगा , आओ चलो सभी, उस घने पेड़ों के नीचे बैठते हैं और रामदीन काका की ट्यूबवेल के पानी में नहा लेंगे, चतुर ने अपना अंतिम निर्णय दिया और कहते हुए आगे बढ़ गया ,उसके पीछे उसके सभी दोस्त भी आ गए। चतुर को मिलाकर छह दोस्त हो गये थे। वे लोग रामदीन काका की ट्यूबवेल के पास पहुंच गए, और वहीं अपना डेरा डाल दिया। उसके दोस्तों के लिए , तो वह बिना माता-पिता की आज्ञा के और बिना उनकी बंदिशों के, बिना किसी भय के ,एक माह तक बाहर रहा। उनके लिए तो चतुर का यही एक तरह से ''एडवेंचर ''था। सभी दोस्त ट्यूबवेल के पानी में नहाकर, पेड़ की छाया के नीचे बैठ जाते हैं और तब बातों का सिलसिला चलता है।
यार !तू बता ,क्या सच में ही, तेरे साथ ऐसा कुछ हुआ था ?
हां हां मैं झूठ क्यों बोलूंगा? चतुर साफ़ मुकर गया।
अच्छा एक बात बता! क्या तुझे वहां कोई लड़की नहीं मिली ? जिसे देखकर तेरा दिल धड़का हो, तन्मय के इस तरह से कहते ही ,चतुर के चेहरे पर सुर्खी आ गई और मुस्कुरा दिया।
क्या सच में ?सभी एक साथ बोले -इसका चेहरा बता रहा है ,अवश्य ही कोई थी। यार ! बता कौन है ?वो ! कैसी है ? उसका नाम क्या है ?सभी दोस्त उसकी चिरौरी करने लगे।
चतुर ,अब अपने को हीरो समझ रहा था और खड़े होते हुए बोला - दूध में से निकली मलाई की तरह मुलायम त्वचा ! गुलाब के रंग में दूध डाल दो तो ऐसा गुलाबी वर्ण है। किसी अभिनेत्री से कम सुंदर नहीं, बाल एकदम काले घने ,आँखें मूंदकर अपनी कल्पनाओं को रस में भिगो रहा था।
क्या बात कर रहा है ? सभी दोस्त उसके करीब आ गए , फिर क्या हुआ ?कुछ फिल्मी सीन कहकर सभी हंसने लगे।
अभी छोटी है ,न....... इश्क -विश्क समझती नहीं थी किंतु तुम्हारा चतुर है न....... उसने उसे सब सिखाया , एहसास कराया, प्यार क्या होता है ?
क्या उसने भी तुमसे प्यार का इजहार किया ?
क्यों नहीं करती ? तुम्हारा दोस्त क्या किसी से 'हीरो 'से कम है ? देखना उसी को एक दिन ब्याहकर कर लाऊंगा।
वाह बेटे ! तूने तो अच्छा हाथ मार लिया, हमारा भी कुछ ऐसा ही जुगाड़ करा दे। तभी मयंक को शंका हुई और बोला -कहीं तू हमें बहका तो नहीं रहा। कभी उसने जूते ही, फटकारे हों ,कहकर हंसने लगा।
चतुर अपने दोस्तों से कभी झूठ नहीं बोलता , पूरे आत्मविश्वास के साथ अकड़ते हुए बोला -जब भी मौका मिलेगा तुम लोगों से उसे मिलवाऊंगा अब तो उसके इस विश्वास पर उन लोगों को भी विश्वास हो गया कि अवश्य ही ,इसकी जिंदगी में कोई लड़की आई है। अच्छा नाम तो बता! उसका नाम क्या है ?
कुछ महकता सा नाम है, कह कर मुस्कुराने लगा -कस्तूरी ! यह शब्द उसके कानों में बार- बार गूंजने लगा, ऐसा लग रहा था ,जैसे वह कस्तूरी के करीब ही पहुंच गया हो।
यार !अपना यार तो गया काम से ,सतीश बोला।
तभी चतुर को अपनी योजना स्मरण हो आई और बोला-इसलिए तो कहता हूं -यहां गांव में रहोगे ! तो जिंदगी में कभी कुछ नहीं कर पाओगे ! शहर में ही, दाखिला ले लेंगे , और साथ में मिलकर चला करेंगे।
क्या बात कर रहा है ? इतनी दूर शहर में, प्रतिदिन कौन आएगा और कैसे जाएगा ? वहीं एक कमरा लेकर रह लेंगे।
सोचा तो मैंने भी यही था किन्तु मेरी मां को परेशानी होने लगी। अभी वह मुझे, अपने से दूर ,इस तरह शहर में नहीं रहने देंगीं और न ही भेजेंगे। तब मैंने उन्हें, साइकिल से जाने के लिए तो मना लिया है। तुममें से किस-किस के घर में साइकिल है ? जो मेरे साथ जा सकता है। बस किसी तरह बाहरवीं हो जाए तब तो बड़े कॉलेज में ही जाना है अभी हमारे माता-पिता को लगता है ,हम अभी छोटे हैं।
तू सही कह रहा है, मस्ती की मस्ती हो जाएगी और शहर में आना -जाना भी बना रहेगा। घर जाकर बात करते हैं। सभी दोस्तों में एक नया जोश !नया उत्साह !था, अगली कक्षा में प्रवेश पाने के लिए और अपने माता-पिता को मनाने के लिए ,शहर में पढ़ने जाने के लिए, वे सभी तैयार हो गए।
अब देखते हैं -चतुर की टोली क्या करती है ? क्या शहर में सभी दोस्त जा पाते हैं, या फिर वहीं कमरा लेकर रहते हैं। क्या चतुर अपने दोस्तों से कस्तूरी को मिलवा पाएगा, जिस लालच में उसके दोस्त जा रहे हैं , क्या उस उद्देश्य में सफल होंगे ? जानने के लिए पढ़ते रहिए -रसिया