Mahashkti

''महाशक्ति ''सिर्फ एक !

जो चलाता सभी जीवधारियों को,

तमन्ना यही !चलें सभी, राह नेक। 

उसी की शक्ति से चालित सभी। 

भाँति -भांति के जीव,आत्मा एक !



 मनमानी जो करें ,

 दंड भी देता वही। 

आभास करा देता ,वह है !

 हर पल ,हर जगह है। 

अदृश्य है, किंतु वह है। 


 बँट जाओ ! धर्म -मजहब या जाति में ,

सब का दाता वही , जो दिखता नहीं। 

वही महाशक्ति है ,अनुपम है ,अमर है ,

 सबके अन्तर्मन में समाया अनंत रूप है। 


वही जप है , वही तप है ,

वही मंत्र है ,वही साधना है। 

वही रूप है ,वही अरूप है। 

वही क्रोध है ,वही शांत है। 

वही शिव है ,वही शक्ति है। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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