''महाशक्ति ''सिर्फ एक !
जो चलाता सभी जीवधारियों को,
तमन्ना यही !चलें सभी, राह नेक।
उसी की शक्ति से चालित सभी।
भाँति -भांति के जीव,आत्मा एक !
मनमानी जो करें ,
दंड भी देता वही।
आभास करा देता ,वह है !
हर पल ,हर जगह है।
अदृश्य है, किंतु वह है।
बँट जाओ ! धर्म -मजहब या जाति में ,
सब का दाता वही , जो दिखता नहीं।
वही महाशक्ति है ,अनुपम है ,अमर है ,
सबके अन्तर्मन में समाया अनंत रूप है।
वही जप है , वही तप है ,
वही मंत्र है ,वही साधना है।
वही रूप है ,वही अरूप है।
वही क्रोध है ,वही शांत है।
वही शिव है ,वही शक्ति है।