Court

न्याय की चाहत !

दिखता ,अदालत का द्वार !

न मिलता ,न्याय !

बिक जाते ,गवाह !

मिट जाते ,सबूत !

खाई जाती ,झूठी सौगंध !


रहता त्रस्त जीवन  !

न  मिलता, न्याय !

दिन ,महीने ,वर्ष हुए ,

उम्र हुई ,तमाम !

दृग क्षीण हो गए !

टोहते ,न्याय की राह !

जिंदगी बुझती ,पहेली !

कब मिलेगा ?न्याय !

अदालत अपने 'मन 'की,

सर्वश्रेष्ठ है ,वही,

मन को ,अनदेखा किया। 

उसमें न, कभी झांका किया। 

जब उसने [ईश्वर ]देखा ,

बड़ी शिद्दत से देखा !

सजा भी, बड़ी कठिन !

एहसास कर देता, 

अन्याय का ,रूप दिखाता। 

जो किया, भुगता इसी जन्म !

डोर बंध जाती ,अगले जन्म !

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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