Chai party

 मौसम भी है ,सुहाना !

आओ ! चाय पार्टी करते हैं। 

चाय का कार्य है ,ललचाना !

पार्टी तो सिर्फ बहाना है बहाना ,

एक -दूसरे संग मिल बैठकर,

यहाँ -वहाँ की चुगलियाँ,हज़ार करते हैं। 


आओ !आज चाय पार्टी करते हैं।  

साथ में कुछ पकौड़े होंगे,

और क्या चाहिए ?तुम ही बताना।

अपने संग तुम भी ,कुछ ले आना।  

आज ,मौसम है ,सुहाना !

चाय के हो गए, स्वाद !अनेक....... 

अदरक की चाय, या मसाला चाय !

अजवाइन की चाय, या हरी चाय !

 लेमन चाय ,या हर्बल चाय !

 दूध की चाय या काली चाय !

चाय कोई भी हो, मिलने का है बहाना,,

चाय पीनी है तो तुम भी चले आना !

आओ ! आज चाय पार्टी करते हैं। 

 कुछ अपनी कहते -तुम्हारी सुनते हैं। 

 आज कुछ हास्य -व्यंग्य करते हैं। 

आओ ! आज चाय पार्टी करते हैं। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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