Aao kuchh naya seekh len

 आओ ,कुछ नया सीख लें !

जीवन को, ज्ञान का प्रकाश दें। 

भाषा माध्यम है,एक -दूजे से जुड़ने का। 

और पल-पल आगे बढ़ने का। 

शब्दों की लहरों से जुड़ने का।

उड़ती तितलियों सा छूने का।  

आओ ,कुछ नया सीख लें !



उमंग और उल्लास में भरने का,

चाहतों की खिड़की से ,

सुंदर स्वप्न सजाने का,

एक-एक अक्षर जोड़कर,

कुछ नए शब्द बनाने का। 

शब्दों को जोड,भावों में उतर ,

'' भावपूर्ण ''कुछ लिखने का। 

शब्दों की गहराइयों में ,डूब जाने का। 

कल्पनाओं को नई उड़ान देने का,

आओ ,कुछ नया सीख लें !

शब्दों के जाल बनाने का,

सुलझाकर ,कुछ बुन लें !

आओ ,कुछ नया सीख लें। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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