बचपन में हमउम्र बन जाते कब ?मित्र !
रिश्ते का उन्हें पता नहीं ,बने हैं ,कैसे मित्र ?
बचपन की शरारतें , गुड्डा -गुड्डी के खेल,
एक -दूजे के पीछे लाइन ,बना खेलते रेल।
बचपन के वो ! खेल निराले,
बीतते थे,दिन कितने प्यारे प्यारे !
पहचान हुई ,जब इस रिश्ते से,
मित्र बने, कुछ न्यारे - न्यारे।
साथ खेलते, बातें और शरारत करते ,
पल में रूठे ,पल में हंसते औ मस्ती करते।
न कोई संधि, एक- दूजे का साथ है,करते ,
क्या होता ?मित्र शब्द !झंझट में न पड़ते।
वो सावन के झूले !सखियों संग,पैंग जोड़ी !
झूले पर बैठी ,जब दो सखियों की जोड़ी।
मिलकर सब दौड़तीं ,लग जाती जब होड़।
आसमाँ छूने की चाहत ,बैठातीं तब जोड़।
मित्रों ! का न हो रेला ,
रहे संसार में, चाहे कोई अकेला ?
मित्र शब्द को जाना।
मित्र हो चाहे एक, हो ,वही नेक !