बरखा ,अमृता जी से बात कर ही रही थी, तभी भीड़ देखकर, वह वहां से यह देखने के लिए कि दूर गैलरी में क्या हो रहा है ?उनके पास से आ गई , किंतु उसे कुछ भी पता नहीं ,चल पा रहा था। उसने नर्स से ,डॉक्टर से और एक अन्य महिला से जानने का प्रयास किया किंतु कुछ नहीं पता चला , हां, इतना ही पता चल पाया कि इस जेल में एक भूतिया कमरा भी है , उस कमरे में, किसी कैदी को बंद कर दिया गया था। जिसके कारण उसकी मृत्यु हो गई, ऐसा उसे लग रहा है, अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं है। जब वह निराश अपनी कोठरी में जा रही थी , तब उसने एक महिला को बडबड़ाते देखा। वो घबराहट में कह रही थी -इन लोगों ने उसे जगा दिया किन्तु उसकी हालत देखकर , बरखा वहां से आ गई और अपने बैरक में पहुंच गई, जहां पर पहले से ही, दो लड़कियां मौजूद थीं।
उन्होंने बरखा को अंदर आते देखकर पूछा -क्या तूने उसकी हालत देखी ?
तुम किसकी बात कर रही हो ? यदि आज यदि आज जो केस हुआ है, उसकी बात कर रही हो,तो मैं उसे नहीं देख पाई , उसका चेहरा ढका हुआ था।
इसका अर्थ है ,वह नहीं बची ,उनमें से एक बोली।
तुम्हें कैसे मालूम ?कि वह लड़की थी या लड़का।
तू कहां रहती है ? क्या तुझे नहीं पता ?कल एक महिला कैदी आई थी। पता नहीं ,तू कौन सी दुनिया में रहती है ? वह बरखा को घूरते हुए बोली।
जानकर भी क्या हो जाता ? जब उसकी मौत लिखी थी , उसे तो मैं बचा नहीं सकती थी, ''और भी गम हैं जमाने में मोहब्बत के सिवा।''
तुझे बड़ी शायरी सूझ रही है।
हमारी जिंदगी में ही क्या दर्द कम है ? कम से कम वह उस दर्द से बच तो गई , हम अभी जिंदा हैं, हमें न जाने अभी देखने को क्या-क्या मिलेगा और क्या-क्या सहना पड़ेगा ? निराश होते हुए बरखा बोली।
हां यह बात तो है , दूसरी ने समर्थन किया।
अच्छा एक बात बताओ ! उस कोठरी का क्या रहस्य है ? उस कोठरी में कोई भी,बचता क्यों नहीं ?
जो उनमें से , सबसे पहले कैदी थी , उन पुरानी बातों को स्मरण करते हुए बोली -उसका नाम 'चेतना 'था , वह अपनी जिंदगी से बहुत ही परेशान थी ,क्योंकि घरवालों ने बिना घरबार देखे ही, उसका विवाह करा दिया , उन्हें लगता था ,इस तरह उन्होंने अपना उत्तरदायित्व पूर्ण किया। वे भी अपनी जिम्मेदारियां से मुक्त होना चाहते थे , ससुराल में आते ही, उसे पता चला कि उसकी सास बड़े ही क्रूर स्वभाव की है और उसका पति शराबी है।ससुराल में आये , उसे ज्यादा समय भी नहीं हुआ था , किंतु इन लोगों ने उसे अपने कई रंग दिखला दिए , चेतना ने, अपने को उसे वातावरण से बचाते हुए , अपने को ,उस वातावरण में ,ढालने का प्रयत्न भी किया, ताकि वह उन लोगों जैसा ही, अपने को महसूस कर, उन लोगों में घुलमिल सके। तब उन लोगों को सुधरने के लिए कह सके।
महिला को अपनी ससुराल में यदि उसकी सास परेशान करती है, तो अपने पति से शिकायत करती है और यदि पति कुछ गलती करता है तो सास से शिकायत करती है किंतु यहां तो कुछ अलग ही हो रहा था। किससे जाकर ,वह अपनी समस्या बताएं ? ऐसे समय में तो ,उसके माता-पिता भी उसके साथ नहीं थे, उन्होंने दो टूक जवाब दिया -कि लड़की को अगले घर जाकर, निभाना ही पड़ता है। उन लोगों के साथ, रहना सीखो और उस वातावरण में तालमेल बैठाना सीखो !
आपको इन सब बातों की जानकारी किसने दी ? उसके विषय में किसने बताया ?
कौन बताता ? वह मेरी अच्छी दोस्त थी, दोस्त भी नहीं कह सकते किंतु अपने मन की बात मुझे बता देती थी।
तब तो आपको उसके जीवन की संपूर्ण जानकारी होगी , बरखा उत्साहित होते हुए बोली।
जानकारी तो है, पर तू बीच में बार-बार टोका -टाकी मत कर, वह गुस्सा होते हुए बोली।
ठीक है ,आगे बताइए क्या हुआ ? बरखा थोड़ी गंभीर हो गई क्योंकि वह जानती थी, आज न जाने यह आज कैसे मूड में आ गई ?वरना दादागिरी दिखाती रहती है।
एक हमारी अपनी प्रकृति होती है ,हम स्वभाव से कैसे हैं ? शर्मीले हैं ,तेजतरार हैं , दब्बू हैं या फिर दबंग हैं , किंतु परिस्थितियों के बदलते, कई बार हमें अपना वह स्वभाव बदलना पड़ जाता है। जैसे लोग मिलते हैं उनके अनुसार भी, कई बार अपने स्वभाव के विपरीत कार्य करना पड़ जाता है। चेतना का शराबी पति उसका कहना नहीं मानता था ,कहना मानना तो दूर ,उसी कोई भी बात सुनता भी नहीं था। चेतना ने एक बार अपनी सास से उसके शराबी होने की बात भी कहीं , किन्तु उसकी सोच के विपरीत, वह चेतना को ही ,खरी -खोटी सुनाने लगी। तेरे आने पर ही मेरा बेटा, शराब पीने लगा है ,उसे इससे पहले ऐसी कोई आदत नहीं थी।
ससुराल से निराश बरखा ने, माता-पिता से कहा -कि तुमने मेरा विवाह कहां कर दिया है ? वे लोग सही नहीं है, सारा दिन सास काम कराती है और ऊपर से चार बातें और सुनाती है , कभी मेरे मायके को लेकर, कभी मेरे दहेज में गए, सामान को लेकर , किंतु माता पिता को तो जैसे अब उसकी जिंदगी से कोई मतलब ही नहीं रह गया था। बल्कि मां ने तो और उसे ही यह समझाकर वापस भेज दिया -'तेरे और भी बहन -भाई हैं ,अगर तू वापस ससुराल से मायके में आ गई, तो उनके विवाह में अडचन आएगी।' वह तो आगे अपने बच्चों का भविष्य देख रहे थे जो जिंदगी चेतना की बिगड़ चुकी थी ,उस पर उनका कोई ध्यान नहीं था।
चेतना पढ़ी-लिखी होने के बावजूद भी, उनके व्यवहार से इतनी दबाई जा रही थी, वह अपनी पढ़ाई- लिखाई अपना आत्म सम्मान जैसे सब खोती जा रही थी। एक बार को तो उसे लगा जैसे वह यहां रहकर पागल हो जाएगी , क्योंकि यदि वह कुछ सास से कह भी देती है ,तो सास के साथ-साथ पति भी उसे पीटता। उसे लग रहा था ,जैसे वह ससुराल में नहीं बल्कि किसी कैद में आ गई है। वह चीखना ,चिल्लाना चाहती थी किंतु उसकी आवाज, उसी के अंदर दम तोड़ देती। इतना भी वह सहन कर रही थी, किंतु तब तो हद ही हो गई, जब एक दिन उसका देवर, कपड़े बदलते समय उसके कमरे में आ गया। चेतना ने सोचा, शायद यह भूल व स मेरे कमरे में घुस आया है, किंतु यह उसकी भूल नहीं थी , भाभी तो वैसे ही दबी, ड़री ,सहमी रहती थी , उसने सोचा -यह मुझे कुछ नहीं कह पाएगी। उस दिन घर में ना ही उसकी मां थी और न ही भाई.......
चेतना अपने देवर से बोली -यह क्या भैया! आपको दरवाजा खटखटाकर तो आना चाहिए था। कहकर वह [ब्लाउज और पेटीकोट में ही थी] शर्म के कारण नीचे बैठ गई , उसने सोचा, उसे इस तरह देखकर वह वापस चला जाएगा।
क्या उसका देवर ,अपनी भाभी को इस हालत में छोड़कर बाहर निकल गया। उसे अपनी गलती का एहसास हुआ या फिर कुछ और ही घटना चेतना की ज़िंदगी के बदलने की प्रतीक्षा में थी।

