अभी बरखा ,अमृता जी को अपनी कहानी सुना ही रही थी , तभी एकाएक ' जेल 'में शोर मचने लगा। तभी एक डॉक्टर ,इंस्पेक्टर और अन्य लोग भी आ रहे थे। बरखा अपनी कहानी बताते- बताते रुक गई, और अमृता जी से बोली -न जाने ,आज फिर से क्या हो गया ? लगता है , लगता है कुछ नया कांड हो गया , अभी आती हूं ,कहकर वहां से चली गई। बरखा भीड़ की तरफ बढ़ने लगी ,तभी पीछे से आवाज आई - ऐ....... यहाँ क्या कर रही हो ?चलो अपने काम पर लगो ,उसे पीछे से आती हुई, इंस्पेक्टर तनु ने रोका था। बरखा वहीं के वहीँ रुक गयी किन्तु उसके मन में यह जानने की उत्कंठा बनी रही , आखिर क्या माजरा है ?
डॉक्टर भी था, स्ट्रेचर भी था दो-चार और भी लोग थे, इंस्पेक्टर तनु को दिखाने के लिए ,वह रसोई की तरफ चली गई, किंतु उसका मन यही जानने में था ,आखिर हुआ, क्या है ? जेल में ही उसे , एक अन्य महिला दिखाई दी , बरखा ने ,उसे जेल में कई बार देखा है किंतु कभी उससे बात नहीं हुई। तब भी बरखा उससे पूछती है - ऐसा क्या हो गया ?जो डॉक्टर यहां आए हैं।
क्या तुम नहीं जानतीं ? कल इस जेल में क्या हुआ था ?
कितनी बड़ी जेल है ? ज्यादा किसी से मिलना -जुलना भी नहीं होता ,सारा दिन तो काम में लगे रहते हैं ,कुछ लोगों को ही, मैं जानती हूं , इसलिए मुझे तो नहीं पता चला, क्या हुआ था? तुम ही बता दो !कल क्या हुआ था ?
कल एक नई कैदी आई थी , बड़ी जिद्दी सी थी, बेहद गुस्से में थी, खाना भी नहीं खा रही थी, न जाने , उसे किस बात का दुख था ? या किसी पर क्रोध था , संभाले भी ,नहीं संभल रही थी। बात तो वही है ,जो यहां आकर, यहां के वातावरण में ढल जाता है, थोड़े दिन जी जाता है। जो अपनी जिद पर रहता है , अकड़ रहती है ,शीघ्र उसकी अकड़ टूट जाती है या वह स्वयं टूट जाता है। रात को खाना नहीं खा रही थी ,गुस्से में थी। किंतु यह बात तुम किसी से मत कहना ,जो मैं तुम्हें बता रही हूं ,इंस्पेक्टर साहिब से भी नहीं।
अभी तक तुमने बात तो कुछ बताई ही नहीं , कहना क्या नहीं है ? भला मैं ,तुम्हारी बात बताने के लिए इंस्पेक्टर साहिब के पास क्यों जाऊंगी ?
यही कि , उस नई कैदी को ,अपने आप पर गुस्सा था, समाज पर था या अपने घर वालों पर , खाना भी नहीं खाया ,दोपहर का खाना भी नहीं खाया था किंतु यह जिम्मेदारी नाजिया और सुल्ताना की बनती है, कि सभी कैदियों पर नजर रखें और जो अपनी अकड़ दिखाएं ,उसकी अकड़ भी निकाल दे। अब तुम तो जानती ही हो !वह कितनी पत्थर दिल महिला हैं ? न जाने भगवान ने, उन्हें महिला का रूप क्या सोच कर दिया है ?
अब कुछ आगे भी बताओगी, हुआ क्या था ?
जब उस कैदी ने खाना नहीं खाया, तब नाजिया और सुल्तान सख्त हो गईं और उसे डराया कि तुझे हम ''भूतिया कमरे'' में बंद कर देंगे। यहां जितने भी कैदी आते हैं , समय पर,सब काम करते हैं और समय पर ही उन्हें खाना मिलता है। और जो कोई भी इन नियमों का उल्लंघन करता है ,उसको दंड भी दिया जाता है। यदि तुम खाना नहीं खाओगी तो, बीमार पड़ जाओगी, कमजोर हो जाओगी इसीलिए रोटी ,खाना भी जरूरी है किंतु उसने इन दोनों की बात पर कोई ध्यान नहीं दिया अपनी जिद में ही, अपने गुस्से को लिए बैठी रही। पहले तो वह उसे डरा ही रही थी किंतु जब उसने नहीं सुनी तब उन्होंने उसे , सच में ही उस कमरे में बंद कर दिया होगा ।
यह तुम क्या कह रही हो ?यहां कोई भूतिया कमरा भी है , बरखा आश्चर्य से बोली -मुझे तो यहां आए हुए इतने दिन हो गए, आज तक यह बात मैंने नहीं सुनी।
अब सभी बातें तो एक साथ नहीं पता चलती, धीरे-धीरे ही पता चलती हैं। हम जेल से बाहर भी रहते हैं , तो सभी चीजें एक साथ नहीं सीख जाते। जैसे-जैसे लोग मिलते जाते हैं, नए-नए अनुभव होते हैं, और कुछ ना कुछ नया सीखने को भी मिलता है। तुम क्या, समझ रही हो ?पांच -छह महीने में ही, तुम इतनी बड़ी जेल के विषय में संपूर्ण जानकारी प्राप्त कर लोगी। मुझे यहां आए हुए ,चार वर्ष बीत गए , बहुत सी चीजों की जानकारी मुझे अभी भी नहीं है। न ही मैं ,दूसरों के मामलों में कुछ भी दखलअंदाजी करती हूं किंतु जब शोर-शराबा मचता है ,तो बातों का पता भी चल जाता है , कि क्या हुआ ?
मन ही मन बरखा उसकी बातों से कूढ़ रही थी , इसने एक भी बात काम कि नहीं बताई और मुझे दुनिया भर की बातें समझा दीं , पर चलो ,सभी व्यक्ति का अपना-अपना व्यक्तित्व है, अब तो कुछ बोलेगी ही , तब आपको पता चला, कि क्या हुआ है ? बरखा ने पूछा।
वही तो जानने के लिए मैं, इधर आई थी , कि यह शोर शराबा क्यों मच रहा है ?कुछ पता तो चले , उसकी इतनी सारी बातें सुनकर बरखा ने, माथा पीट लिया और सोचने लगी -समझा तो ऐसे रही थी जैसे इसको सब जानकारी हो। मेरा और अपना समय बर्बाद कर रही थी। तभी एक नर्स को, बरखा ने उधर से निकलते देखा। बरखा ने मौका हाथ से जाने नहीं दिया और उससे पूछा -मैडम जी ,क्या हुआ है ?
उसे नर्स ने ,बरखा को घूरा और बोली-जो कुछ भी हुआ है , तुम्हें शीघ्र ही पता चल जाएगा। अभी अपने काम पर ध्यान दो, कह कर वह चली गई।
बरखा सोच रही थी, ऐसा क्या हुआ है ? कोई भी ,कुछ भी बताने को तैयार नहीं है ?
तभी उसे इंस्पेक्टर तनु भी ,आती दिखाई दी वह फिर से वहां कार्य करने जैसा, अभिनय करने लगी , उसके पीछे ही डॉक्टर और अन्य लोग भी आ रहे थे। उसने देखा, कि वे लोग ऊपर से नीचे तक कपड़े को ढके हुए एक इंसान को ऐसे ले जा रहे हैं ,जैसे किसी की मौत होती है ,तब ले जाते हैं क्योंकि विश्वास के साथ तो, वह यह नहीं बता सकती थी कि वह लड़का था या लड़की, महिला थी या पुरुष क्योंकि उसका चेहरा पूरी तरह से ढका हुआ था। सबकी नजर उधर ही थी , दूर से ही सब देख रहे थे।
उन लोगों के जाने के पश्चात, बरखा भी, अपनी बैरक की तरफ चल दी, तभी उसे , एक महिला की आवाज सुनाई दी , वह कह रही थी -वह उसे भी ले गई , मैं कह रही थी ना, जो भी उसे छेड़ेगा , वह उसे ही ले जाएगी।
बरखा ने उधर की तरफ देखा, कौन किसे ले गई ?उससे पूछा।
तू जा चुपचाप अपने, कमरे में सो जा !उस कमरे की तरफ मत जाइयो, वह आज भी यहां रहती है , अपने दुश्मनों से बदला लेने के लिए।
कौन रहती है और कहां रहती है ? बरखा ने उससे जानना चाहा।
जा ,चुपचाप चली जा , वह अच्छी खासी शांत थी किंतु इन लोगों ने उसे जगा दिया।
बरखा को लग रहा था यह आसानी से कोई भी बात नहीं बताएगी, इस समय वह घबराई हुई है इसीलिए बड़बड़ा रही है , यह सोचकर वह अपनी कोठरी की तरफ बढ़ गई। उसकी कोठरी में दो महिलाएं और भी रहती थीं , किंतु एक तो बहुत ही गुस्से वाली थी और दूसरी चुपचाप उसकी सेवा में लगी रहती थी, बरखा से भी वह अपने काम करवाती रहती थी, इसलिए बरखा उनसे ज्यादा बात नहीं करती थी। बरखा अपनी कोठरी में आकर बैठ गई , तभी उनमें से एक बोली -क्या तूने उसे जाते हुए देखा ?
नहीं देख पाई, क्योंकि उसका चेहरा ढका हुआ था, मुझे तो यह भी नहीं मालूम कि वह कोई महिला थी या पुरुष।
महिला हो या पुरुष वह किसी को भी नहीं छोड़ती, उसने बताया।
बरखा की जिज्ञासा फिर से जाग उठी और बोली-क्या तुम इस विषय में कुछ जानती हो ? मुझे तो आज तक उसे कोठरी के विषय में कुछ पता ही नहीं चला।
कैसे पता चलेगा ? जब उसके विषय में कोई बात ही नहीं करता ,न ही कोई उधर जाता है।

