न...... न.... उसे मैं ,
'' बेवफा'' भी नहीं कह सकता,
उससे प्यार जो किया है।
कुछ कमी तो रह गई होगी ,
मेरे ही प्यार में.....
उसे विश्वास दिला भी नहीं सकता।
या मैं, इस लायक भी नहीं ,
जो उसके प्यार को संभाल सके।
उसे अपना सब कुछ माना।
''बेवफा'' कह उसे,
अपने प्यार की तोेहीन नहीं करा सकता।
बेवफाई ,उसकी फितरत रही होगी।
जिसमें वह खुश रहे ,उसकी बेवफाई भी सह लेंगे।
''कुबूल ''उसके दिए हर गम, अधर अपने सी लेंगे।
हैरान हूँ मैं ,उस बेवफ़ा को बेवफ़ा कह नहीं सकता।
रिश्तों की डोर -
रिश्तो की डोर बड़ी नाजुक,
तनिक ढील दो ,उलझ जाती है।
तनिक सख्ताई से ही टूट जाती है।
इसे निभाते ,सुलझाते जिंदगी चली जाती है।
रिश्तों की डोर संभाले रखो !सहेजकर रखो !
जरूरत के वक्त ,न जाने ,कहां खो जाती है ?
रिश्तो की डोर ,बनती नहीं ,बनानी पड़ती है।
निबाही नहीं जाती , निबाहनी पड़ती है।
जो निबाहते नहीं ,वह बुरे,
जो निबाहते हैं, वह पछताते हैं।
रिश्तों की डोर ,कमजोर थी मेरी ,
गांठे लगाते -लगाते न जाने,
कब डोर छोटी हो गयी ?
जीवन में ,नए एहसास दिला गयी।

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