Haunted [part 38]

''हांटेड विद्यालय'' में खेल का वार्षिकोत्सव चल रहा है, प्रधानाचार्य ''नटवरलाल जी ''ने यह आयोजन किया है , यह आयोजन रात्रि में ,किसी ''शमशान घाट ''पर हो रहा है। पहला खेल ''हपस की खोपड़ी '' जिसको ''कपाली समूह ''के ''सूरज'' ने जीत कर ,उस विद्यालय का नाम रोशन किया। दूसरा खेल का आयोजन था ''अग्नि शक्ति '' यह खेल इतना रोमांचक है, कि यह दर्शकों को बांधे हुए हैं , और अपने आखिरी परिणाम पर आ गया है , जो ''रूद्र समूह'' और ''नील समूह ''के बीच खेला जा रहा है। जिस भी समूह के सदस्य जितने कम हो जाएंगे, इस समूह को हारा हुआ मान लिया जाएगा। खेल अपने  रोमांचक पड़ाव पर चल रहा है। दोनों ही तरफ के छात्र बड़ी सावधानी से, बुद्धिमानी से खेल रहे हैं, तनिक भी चूक होने से, हारने का खतरा बन जाता है। सभी ध्यान से उसे खेल को देख रहे थे, तभी टॉम की दृष्टि अपने बराबर में बैठे छात्र पर गई ,तो उसकी चीख़  निकल गई , किंतु वह ज्यादा तेज नहीं चीख पाया क्योंकि उससे पहले ही ,उस छात्र ने उसके मुंह पर हाथ रख दिया। मुंह पर हाथ रखने के पश्चात भी टॉम,उसे  फटी -फटी आंखों से उसे देख रहा था। 


टॉम ने देखा, यह वही छात्र है ,जो अभी थोड़ी देर पहले,'' नील समूह ''की  तरफ  से '' अग्नि शक्ति'' के खेल में शामिल था। उसने देखा था ,यह लड़का तो' अग्नि गोले ''से भस्म हो गया था। तब यहां कैसे आ गया ? यही उसके आश्चर्य का कारण था। इशारे से उस लड़के ने, समझाया -कि मैं बाद में सम्पूर्ण बात बताऊंगा , अभी हम खेल का मजा लेते हैं किंतु टॉम का तो जैसे उसे खेल में अब ध्यान ही नहीं रहा। तब भी उसे खेल को देखने का प्रयास करने लगा क्योंकि उस समय, उसे खेल में उसका दोस्त रोहित भी खेल रहा था। सभी आंखें गड़ाए उस खेल को देख रहे थे, न जाने  किसकी हार होगी और किसकी जीत ?सभी के मन में यही प्रश्न घूम रहा था।  खेल का समय निश्चित किया गया था 3:00 बजे तक खेल समाप्त हो जाना था , तब ''डेविड पिशाच'' जिन्होंने खेल का आरंभ किया था , वह बच्चों को सावधान करते हैं और उन्हें आगाह करते हैं, कि अब 3:00 बजने में सिर्फ 15 मिनट रह गए हैं।

 छात्रों ने एक पल के लिए, उनकी घोषणा सुनी और फिर अपने खेल को खेलने लगे। इस वक्त किसी की भी आवाज नहीं आ रही थी, सिर्फ खेलते हुए ,बच्चों का ही एहसास हो रहा था। तभी अचानक से रोहित ने, फुर्ती और चालाकी दिखाई , वह अपनी शक्ति से उस गोले को, सामने वाले लड़के को दिखा रहा था सभी की दृष्टि उस लड़के पर थी, वह भी ,अपना बचाव कर रहा था, वह भी प्रयास कर रहा था कि रोहित की शक्ति वापस रोहित पर ही जाकर लगे, दोनों का जैसे द्वंद युद्ध हो रहा था ,इनमें से जिसको भी वह शक्ति लगती दूसरे  समूह की जीत निश्चित थी ,किंतु तभी रोहित ने,फुर्ती से ''पासा पलट दिया ''और जो छात्र उसके क़रीब  खड़ा था , समय न गंवाते हुए, उस पर वह गोला फेंक दिया और वह वहीं ढेर हो गया। 

उसके ढ़ेर होते ही, शमशान तालियों  से गूंज उठा क्योंकि'' रूद्र समूह'' जीत चुका था। सभी छात्रों की भीड़ उसके इर्द- गिर्द  इकट्ठी हो गई। तभी खेलने वाले छात्रों में कुछ रौष नजर आया।'' नील समूह ''के छात्रों का कथन था -ये बेईमानी है ,जिस छात्र से लड़ रहा था ,उसी से लड़ता। 

रूद्र समूह ''के छात्र अपने बचाव में कह रहे थे -ऐसा कोई भी नियम नहीं है ,समूह के किसी भी छात्र को कम करना है। 

प्रधानाचार्य ने मंच संभाला और बोले -आज की रात्रि बहुत ही रोमांचक रही, किसी को उम्मीद भी नहीं थी कि यह बच्चा इतनी फुर्ती से, ''पासा पलट देगा। '' हम तो इन दोनों का खेल ही देखने में व्यस्त थे , और इसने इतनी फुर्ती दिखाई किसी को कुछ भी समझ हीं आया और यह लोग जीत गए,'' रुद्र समूह'' तुम्हें बहुत-बहुत धन्यवाद और बधाई कि तुम्हारे समूह में इतना होनहार ,इतना फुर्तीला छात्र उपस्थित है। खेल तो हर वर्ष आयोजित किए जाते हैं, किंतु जो रोमांच , जो उत्साह, और जो बुद्धिमानी का परिचय ,इस वर्ष के छात्रों ने दिया ,वह बहुत ही सराहनीय है। इस वर्ष के खेल, हम भूतों के इतिहास में, स्वर्ण अक्षरों में लिखे जाएंगे।रही बात ,जीत की तो खेल में कोई भी बेईमानी नहीं हुई है क्योंकि नियमानुसार,समूह के किसी भी छात्र को हराया जा सकता है। जिस भी समूह में ,उनके जितने सदस्य कम होंगे ,उसी समूह  की हार निश्चित है।  अब आप सबसे हम विदाई लेते हैं। कल रात्रि को इसी तरह से एक नए खेल का आयोजन किया जाएगा। अब सभी, अपनी भूख शांत करके ,आराम कर सकते हैं। कहकर प्रधानाचार्य जी, वहां से लुप्त हो गए। 

धीरे-धीरे अन्य भूत भी वहां से गायब होने लगे, क्योंकि ब्रह्म मुहूर्त हो चुका था और सभी को अपनी नींद पूर्ण करनी थी, किंतु टॉम के मन में अभी भी वही प्रश्न घूम रहा था आखिरी यह छात्र कौन है और यहां कैसे आया ? जब खेल समाप्त हो गया , और सभी अपने-अपने स्थान पर जाने लगे, तब टॉम ने, उस छात्र से प्रश्न किया। तुम तो ''नील समूह ''में खेल रहे थे , मुझे अच्छे से ज्ञात है, मैंने तुम्हें 'अग्नि गोला 'लगते देखा है और तुम भस्म भी हुए थे। तब तुम बच कैसे गए ?

वह छात्र मुस्कुराया और बोला- वैसे तो हम भूतों का कोई नाम नहीं होता , किंतु मैं तुम्हें अपना वह नाम बताता हूं जो भूलोक पर मेरा नाम था , मेरा नाम शान है, मुझे देखकर तुम ,इतना आश्चर्यचकित क्यों हो रहे हो ? जिस तरह से तुम एक आत्मा हो  , उसी प्रकार मैं भी एक आत्मा हूँ। क्या तुम नहीं जानते ?'' आत्मा कभी नहीं मरती '' यहां पर,हम सभी आत्माएं हैं , जो एक झूठा आवरण ओढ़े घूम रही हैं। वह हमारी आत्मा का हिस्सा नहीं है। इंसानी रूप में भी हम , इंसानी चोला पहनकर घूमते हैं। यदि उस चोले को हम छोड़ देते हैं , तब हम भूत की योनि में आ जाते हैं। जिसका कोई  तन  नहीं  सिर्फ एक हवा है। हम खेल के दौरान शिक्षा के दौरान , कहीं ना कहीं से लेकर एक आवरण ओढ़ लेते हैं। जब वह आवरण नष्ट हो गया, तब हम उसी तरह हवा में शामिल  हो जाते हैं , यानी हमारी आत्मा उस आवरण से मुक्त हो जाती है। जो तन तुमने मेरा उस खेल के समय देखा , वह नष्ट हो गया। मैंने  फिर से एक नया आवरण ओढ़ लिया। 

क्या ऐसे आवरण ,तुम्हारे पास और भी बहुत सारे हैं , आश्चर्य से टॉम बोला। 

नहीं, हमारे विद्यालय वाले ही इस तरह की आवरण देते हैं उन्हें किस छात्र को कौन सा आवरण देना है ? वह उसे पहना देते हैं , जैसे कि भूलोक पर '' छात्रों की यूनिफॉर्म ''

ओह ! तो अब  समझा , इस विद्यालय के प्रधानाचार्य ने या जिसने भी ओढ़ने के लिए वह चोला दिया , वह चोला वहां भस्म हो गया किंतु तुम भस्म नहीं हुए , और विद्यालय वालों ने फिर से तुम्हें ऐसा ही चोला पहना दिया। यानी खेल को रोमांचक बनाने के लिए, उस आवरण की बलि दे दी कहते हुए टॉम हंसने लगा।

 तुम सही समझे ! विद्यालय के आयोजन में ,इस तरह अपने विद्यालय के छात्रों को, नष्ट होने के लिए थोड़े  ही छोड़ देंगे, खेल के साथ-साथ इसका भी हमें अभ्यास कराया जाता है। तुम मुझे एक अच्छी आत्मा लगे हो क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगे शान बोला। 

हां मुझे कोई आपत्ति नहीं , मेरे और भी चार-पांच दोस्त हैं , मैं तुम्हें उनसे भी मिलाऊंगा, अच्छा! मैं अब चलता हूं।

 कभी भी मेरी, जरूरत महसूस हो तो मुझे याद कर लेना, शान ने कहा

 टॉम उसकी बात सुनकर खुश हुआ और बोला - अवश्य ! कहकर अपने मित्रों को ढूंढने लगा। टॉम  शान की बातों में लगा रहा, उनका ध्यान भी टॉम की तरफ नहीं गया और वे  वहां से चले गए। वह ही नहीं , उस समय वहां पर कोई भी उसे नजर नहीं आया वह बुरी तरह घबरा गया। उसे अपना विद्यालय भी नजर नहीं आ रहा था। वह कहां जाएं, किधर जाए ? कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। यह क्या हो गया? बातों ही बातों में , वह अपने दोस्तों अपने विद्यालय के साथियों से बिछड़ गया। टॉम  उन सब में छोटा था , अभी इतनी विद्याएं भी नहीं सीख पाया था। वह इसी तरह भटक रहा था। तभी उसे लगा जैसे ,किसी ने उसे पीछे से खींच लिया हो। इससे पहले कि वह कुछ समझ पाता, वह एक बड़े से पेड़ के, तने के अंदर समा गया। 

टॉम ने वहां आसपास देखा , तब उसे बड़ा सा भूत नजर आया और बोला -क्या तुम भी उस विद्यालय के कार्यक्रम में, गए थे ?


जी हां, आपको कैसे पता  ?

क्योंकि मैं भी वहीं  था , लगता है ,तुम अपने दोस्तों से बिछड़ गए हो। 

जी ,आपने सही समझा , मैं एक लड़के से बात कर रहा था , तब तक मेरे सभी मित्र और अध्यापक जा चुके थे। 

हां ,मैंने देखा इसीलिए तुम्हें यहां ले आया। 

तुम कौन हो ?

यह जानने के लिए पढ़िए अगला भाग -हॉन्टेड 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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