Shrapit kahaniyan [part 115]

प्रीति को करण से ,कितनी शिकायतें थीं ? उसकी हरकतें सुनकर, वह तो घर छोड़कर जाने के लिए तैयार थी।  वह करण से बहुत कुछ कहना चाहती थी ,किंतु उसका 'अपराध बोध ' देखकर उनकी परेशानियों को समझते हुए प्रीति ने, उसे माफ कर दिया, यह उसकी अच्छाई थी। कई बार व्यक्ति परिस्थितिवश  परेशान हो जाता है ,या कहीं फस जाता है, ऐसी स्थिति में किसी अपने को छोड़कर जाया नहीं जाता बल्कि  उसका मिलकर हल ढूंढा जाता है। प्रीति स्वभाव से, पहले से ही अच्छी थी। उसका क्रोध कुछ देर के लिए आया था, और समाप्त हो गया। अब वह, अपने परिवार के साथ खड़ी थी, इस समय उन लोगों को उसकी आवश्यकता थी ,ऐसा उसे लगता था , अच्छे लोगों की यही परेशानी होती है और शीघ्र ही किसी पर विश्वास कर लेते हैं। ऐसी ही प्रीति भी है ,प्रीति ने हालातों को देखते हुए , अपनी ससुराल वालों को, माफ़ कर दिया।


रात्रि आराम से कट गई, उन्हें  रात्रि में प्रेत ने परेशान नहीं किया , शायद तांत्रिक ने अपना कुछ टोना- टोटका किया होगा, वरना कई रात्रियों से उसने ठीक से सोने भी नहीं दिया था। कोई न कोई मुसीबत उनके लिए खड़ी कर ही देता था।  ऐसा उन्होंने अंदाजा लगाया। अगले दिन, करण का अपने दफ्तर जाने का मन नहीं था, वह अपने परिवार और प्रीति को लेकर बहुत ही परेशान था। तब प्रीति ने उससे  दफ्तर जाने का आग्रह किया और बोली-यहां पर मैं और मम्मी हैं , सब संभाल लेंगे , आप बेफिक्र होकर ,अपने काम पर जाइए। घर के परेशानियों के कारण ,काम में किसी तरह की बाधा नहीं आनी चाहिए। घर की परेशानियां भी कुछ ही दिन की हैं ,धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा। प्रीति ने सांत्वना दिया। प्रीति के कहने पर करण अपने दफ्तर चला गया। 

 कुछ देर की प्रतीक्षा के पश्चात प्रभा व मालिनी जी भी आ गयीं। मालिनी जी ने आते ही पूछा -क्या अभी तक बाबा नहीं आए ?

नहीं, अभी तक तो नहीं आये , प्रीति ने प्रतिउत्तर दिया। 

आज तो बाबा को अवश्य ही आ जाना चाहिए आज ''अमावस्या ''है ,आज ही यह कार्य पूर्ण होना चाहिए, चिंतित स्वर में मालिनी बोली। 

कुछ देर की प्रतिक्षा  के पश्चात, बाबा आते हैं, प्रभा ने उन्हें ,पीने के लिए जल दिया। जल ग्रहण करने के पश्चात बाबा बोले-यह विधि  कार्य दिन में नहीं होगा, यह रात्रि में होगा और जिस किसी ने भी उसे प्रेत को इस घर में भेजा है , यदि वही जाकर, क्षमा याचना करें और प्रेत को जाने के लिए कहे तो वह जाएगा वरना वह अपना कार्य किए बिना नहीं जाएगा। 

ये भला ,आप क्या कह रहे हैं ?इस तरह अपनी गलती कौन मानता है  ?यदि उसे अपनी गलती का एहसास होता ,तो क्या वो ऐसी हरकत करती ?मालिनी जी बोलीं। 

बेटा !मैं कोशिश करके देख सकती हूँ ,शायद मेरे कहे से यहाँ आ जाये ?करण की मम्मी बोलीं। 

मुझे नहीं लगता वह यहां आ जाएगी, बहुत शातिर लगती  है ,वो !प्रभा बोली। 

कोशिश करने में क्या जाता है ? हम अपनी तरफ से प्रयास तो कर ही सकते हैं। कहते हुए, करण की मम्मी ने फोन लगा दिया। बहुत देर तक फोन की घंटी बजती रही किंतु किसी ने भी फोन नहीं उठाया। 

देखा मैंने पहले ही कहा था बहुत शातिर है ,वो !

क्या किया जाए ?घबराकर वह बोलीं। 

तभी प्रीति बोली- उसके घर पर फोन लगाइए ,उसके घर वालों को तो पता होगा कि, वह कहां है ?

उनका नंबर मेरे पास नहीं है। बस यही नंबर था जिसे मैंने लगाया था। 

तब आप करण की बुआ जी को फोन लगाइए ,वे  उसी गांव में रहती हैं , वे अवश्य ही पता लगा देंगीं। 

इस वक्त प्रीति का दिमाग बहुत तेजी से कार्य कर रहा था , बहू की प्रशंसा में वह बोली -यह तूने सही कहा , फोन लगाते -लगाते रुक गईं और बोलीं - उनसे क्या कहूंगी ? 

जो भी, आपने और हमने झेला है ,बता देना ,उन्हें भी तो पता होना चाहिए , वे भी तो इसी परिवार की लड़की हैं ,उस लड़की के कारण ,उनके परिवार ने क्या -क्या झेला है ?उन्हें भी तो पता होना चाहिए कि उस लड़की ने ,हमारे साथ क्या किया है ? तभी तो उन्हें भी एहसास होगा कि उनके परिवार के साथ क्या हुआ है ?

अपनी बहू प्रीति की बात सुनकर ,उन्होंने फोन अपनी ननद को लगा दिया , फोन उठाने के पश्चात ,जो कुछ भी उन्होंने बताया ,उनकी ननद सुनकर आश्चर्य चकित रह गई। 

उधर से आवाज आई -भाभी ! आप चिंता ना करो ! मैं अभी उस लड़की का पता लगाती हूं, यदि आवश्यक होगा तो मैं उसे अपने साथ लेकर आऊंगी। 

ठीक है, बहन जी! किंतु वह इतनी सीधी भी नहीं है जितना आप उसे समझ रही हैं आप अपना भी ख्याल रखना और उसे इस विषय में कुछ भी नहीं बताना , हो सके तो, शाम तक उसको लेकर चली आना, अब सारा किस्सा आपको मालूम ही है आप जो भी बहाना करके उसे लाना चाहें , ला सकती हैं, कहते हुए उन्होंने फोन रख दिया। 

आज पूजा इस घर में नहीं होगी, ये तांत्रिक क्रिया किसी एकांत में या किसी शमशान पर होती है। वहीं पर उसे प्रेत को बुलाया जाएगा वही मैं ,उसको अपने नियंत्रण में करने का प्रयास करूंगा। 

बाबा इतनी रात्रि में तो हम लोग, घर से बाहर नहीं जा पाएंगे, यह कार्य क्या इसी घर में नहीं हो सकता ? प्रभा ने  पूछा। 



इस प्रेत को पहले सबसे पहले इस  घर से बाहर निकालना है ,उसे घर से बाहर निकालने के लिए ही तो, मैं बाहर शमशान में अपनी यह तंत्र क्रिया करूंगा , उसके पश्चात मैं उससे, इस  परिवार को छोड़ने के लिए कहूंगा , वह किसी उद्देश्य के लिए भेजा गया है ,जब तक उसका उद्देश्य पूर्ण नहीं होता वह कहीं नहीं जाएगा तब मैं सोचूंगा कि उसे अपने मंत्रों से कैद कर लूँ। हो सकता है ,इसके बदले में वह कुछ भेंट मांगे। उसका भी इंतजाम करना होगा। इससे पहले, मुझे यहां भी कोई विधि करनी है , क्योंकि यहां से निकलने के बाद पुनः यहां ना आ सके ,अभी वह यहीं कहीं छुपा बैठा होगा। वह इतनी आसानी से इस घर को छोड़ने वाला नहीं है। 

तब बाबा हमारी तो कोई आवश्यकता ही नहीं है , आप सब संभाल लेंगे वहां हमारा का क्या कार्य है ?प्रीति ने पूछा।

तुम्हारे कारण ही तो वह इस घर में छुपा बैठा है जब तुम बाहर निकलोगे तो तुम्हारे पीछे चला आएगा इसीलिए तुम्हें और उस लड़की को तो आना ही होगा। साथ में उनके पति या और कोई आना चाहे तो आ सकता है। इतनी रात्रि में, यह सब कार्य होगा,आज ''अमावस्या ''की रात्रि है। जरा संभलकर आना आज की रात्रि पैशाचिक शक्तियां जोरों पर होती हैं। 

बाबा की बातें सुनकर ,प्रीति को ड़र लगा तब वो मालिनी से बोली -आप तो मेरे साथ होंगी ही ,उम्मीदभरी नजरों से उनकी तरफ देखा। 

नहीं मैं ,आज तक श्मशान या ऐसी जगहों पर नहीं गयी ,मेरे तरीके अलग हैं ,इन बाबा से मैंने इसीलिये सम्पर्क किया था। प्रेत को भगाने का कार्य ,ये ही करते हैं। 

उनकी  बातें सुनकर,प्रीति की रही -सही उम्मीद ने भी साथ छोड़ दिया ,हताश हो वो, वहीँ पास पड़ी कुर्सी पर बैठ गयी।  

 

 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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