असली -नकली की पहचान हो, कैसे ?
सब असली ही दिखता, नजर आता हैं।
समय और मौके पर, अपना रंग दिखलाता है।
नकली भी ,अपने को असली कहता नजर आता है।
भीड़ भरी ,इस दुनिया में ,कुछ लोग लड़ रहे थे।
एक -दूजे को खड़े, नकली -नकली कह रहे थे।
इस नक्कालों की दुनिया में,
''नक्कालों से कैसे रहें ,सावधान ?समझा रे थे ?
जो कभी, नकली नजर आता था ,
संयोग से वो, हर सम्भव साथ निभाता था।
असली के धोखे में ,असली ही,मौक़े से भाग जाता था।
असली - नकली की भूल -भुलैया में खो गए ,हम।
अब बचना कठिन नजर आता है।
इंसान ,असली बन ही रहता है।
'आइना'' कब झूठ बोलता है ?
आओ !''आइना'' दिखा दें , हम ,
असली की ,असली से पहचान कर दें ,हम।
