''पारिवारिक रहस्य ''परिवार की इज्जत, परिवार के मान-सम्मान के लिए छुपा लिए जाते हैं। परिवार के सभी सदस्यों का, इन रहस्यों को छुपाने में हाथ होता है ,सभी सहयोग करते हैं ,यदि किसी ने जुर्म किया है ,तो क़ानूनी दृष्टि से वह जुर्म है, किन्तु परिवार की ख़ातिर वो एक रहस्य बन गया। ऐसे में ,उन परिवारों के नौकर भी , इतने वफादार होते थे। वो भी उन रहस्यों को अपने सीने में दफ़्न कर लेते थे। एक दूसरे का साथ निभाते हैं। रहस्यों को अपने सीने में दफन कर, अपने परिवार के मान सम्मान के लिए, कई बार जहर का सा, घूंट भी पी जाते थे। कुछ रहस्य ऐसे हैं ,जो नासूर बन जाते हैं। उनका बाहर आना ही सही है ,समाज में यह बात ना बढे , इसीलिए परिवार में ही मिलजुल कर, इन समस्याओं को सुलझा लेना चाहिए ,तो बेहतर रहता है। रहस्य को पनपने नहीं देना चाहिए। बड़े-बड़े महल- हवेलियों में, लोगों की जिंदगी के, न जाने कितने रहस्य छुपे पड़े हैं ? समाज की और परिवार की भलाई के लिए, छुपा दिए गए हैं।जो आज इतिहास बन गए। रहस्य हमेशा बुरे ही होते हैं ,बुरी यादें ,बुरे कर्म जो एक रहस्य बनाकर छुपा दिए जाते हैं। अच्छी बातें कभी रहस्यमई नहीं होती उनका कोई रहस्य नहीं होता, लोग स्वयं खुशी से उन रहस्यों को, उन बातों को बांटना चाहते हैं किंतु बुराइयां, बुरे कर्म छुपा लिए जाते हैं और जो एक रहस्य बन जाते हैं।
आजकल की पीढ़ी तो ,बात को स्पष्ट कर देने में ही, अपनी भलाई समझती है।न ही, अब परिवार इतने बड़े रहे ,अब तो रहस्य को छुपाना तो दूर, कोई बीमारी या परेशानी में ही आकर साथ खड़ा हो जाये ,वही बहुत है। कुछ रहस्य हमारे पूर्वजों ने ,ऐसे भी छुपाये हैं ,जिनसे कोई तीसरा व्यक्ति कोई गलत लाभ न उठा सके। हमारे मंदिरों की कलाकृति ,उनकी बनावट ,उनके निर्माण के भी अनेक रहस्य हैं। कुछ औषधियां जिनके विषय में ,हम आज भी अनभिज्ञ हैं।आजकल तो ''इंटरनेट'' का जमाना ,अब तो मामूली से मामूली बात भी ,खूब धूमधड़ाके से फैल जाती है।
उस समय परिवारों की कुछ सीमाएं थीं ,दायरे थे ,हर परिवार के अपने उसूल होते थे। उन सीमाओं का उन सिंद्धान्तों का जो भी उलंघन करता था। उसे परिवार को जबाब देना पड़ता था किन्तु आज के समय में सबकी'' अपनी -अपनी ढपली ,अपना -अपना राग ''है। न ही ,परिवारों का कोई मुखिया [बड़ा ]रह गया है। आजकल बच्चे अपने माता -पिता की नहीं सुनते ,तब सास -ससुर ,अपने बड़ों का सम्मान क्या करेंगे ?''आज की पीढ़ी अपने अधिकारों के लिए ,सचेत है। उस समय के लोग अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते थे ,उनके जीने का उद्देश्य भी यही था।अपने फ़र्ज के लिए जीते थे। ऐसे में परिवार के किसी सदस्य से कोई चूक हो जाये ,तब उस बात को छुपा लेते थे। '' चाहे वह राजा हो या नौकर, जो'' पारिवारिक रहस्य ''बन जाते थे।
