Khushiyon ki talash

खुशियाँ सबकी अपनी -अपनी ,

तलाश ,सबकी अपनी -अपनी ,


किसी को मिलती ,पैसे में खुशियां !

किसी को मिलती, परिवार में खुशियां !

किसी को मिलती , रिश्तों में खुशियां ! 

किसी को मिलती ,दोस्तों संग खुशियां !

किसी को आत्मज्ञान से मिली खुशियां !   

किसी को मिलती , मोहब्बत में खुशियां ! 

किसी को मिलतीं , सेवा भाव में खुशियां !  

किसी को मिलती ,गैर के दुःख से खुशियां !

बढ़ता रहा ,हर कदम ,पाने के लिए खुशियां 

हर व्यक्ति की अपनी मंजिल, अपनी खुशियां !

 खुशियां उसके करीब थीं, पा न सका खुशियां! 

दौड़ता रहा , ढूंढता रहा , इधर -उधर खुशियां !

जो पास था ,उसे चाहा नहीं ,ढूंढता रहा ,खुशियां !      

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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