Jail 2[part 42]

आज अमृता भगवान के घर आई है, बहुत दिनों से, उनके मंदिर में प्रवेश नहीं किया था किंतु आज बहुत सारी शिकायतें लेकर ,उनसे लड़ रही है ,उनसे शिकायतें कर रही है। कब तक आदमी जिंदगी की परीक्षा देता रहेगा ?इंसान कभी तो थक ही जाता है ? कब तक मेरी यूं ही इसी तरह परीक्षा लेते रहोगे ? शिकायत तो उसकी बहुत हैं, किंतु जो सबसे बड़ी शिकायत है, वह उसके अपने पति की बीमारी की शिकायत लेकर आई है। क्या आपसे मेरी छोटी सी भी खुशी नहीं देखी जाती ? जीवन में आज तक परेशानी के सिवा आपने दिया ही क्या है ?

 जब दिल से कोई ईश्वर को पुकारता है ? तब किसी न किसी बहाने वह उसके सामने आ ही जाता है। 

 आज भी अमृता के सामने, ईश्वर की छवि के रूप में ,एक बाबा उसे दिखलाइ दिए। जो बहुत देर से उसकी शिकायतों को सुन रहे थे , तब उन्होंने ही बताया -ईश्वर ने तो तुम्हारे अच्छे के लिए ही सोचा है, किंतु इंसान ही दूसरे इंसान का दुश्मन हो जाता है। तुम्हारे जीवन में एक इंसान ऐसा है जो तुम्हारी खुशी देखना पसंद नहीं करता, वह नहीं चाहता कि तुम खुश रहो ! सोचो जरा तुम्हारी जिंदगी में ऐसा कौन इंसान हो सकता है? जो तुम्हारी खुशियों से परेशान हो।


इस बात का आभास तो, बहुत दिन पहले ही अमृता की सास ने उसे करवाया था, किंतु उसने इस बात पर ध्यान नहीं दिया ,आज बाबा की बात पर उसे स्मरण हो आया कि एक वर्ष पहले ,उसके घर में ,उसकी चाची ने प्रवेश किया था। 

तब बाबा ने बताया-उसी ने ही ऐसा 'काला जादू 'कराया है, जिसके कारण तुम्हें कष्ट हो , अब यह बात तो पता चल ही गई , बाबा शीघ्र से शीघ्र इसका कोई हल निकालिए , उसके जादू को कैसे हटाया जा सकता है ? उसे काले जादू का कोई तो काट होगा ,कैसे? मेरा हिमांशु ठीक होगा। आप शीघ्र से शीघ्र इसका समाधान कीजिए ,वह बाबा की मिन्नतें करने लगी। 

उसकी प्रार्थना सुनकर बाबा सोच में पड़ गए और बोले -बेटा ! तुमने आने में देर कर दी , मैं तो प्रयास ही कर सकता हूं, बाकी तो उसकी इच्छा !

उसकी इच्छा है ,कि वह ठीक हो जाये , तभी तो आप मुझे मिले हो , अमृता आशा से भर चुकी थी ,उसे पूरी उम्मीद थी, यह बाबा अगर चाहेंगे तो मेरा हिमांशु अवश्य ही ठीक हो जाएगा। जिस निराशा को लेकर  वह इस मंदिर में आई थी , अब एक नई उम्मीद से वह भर गई है। 

बाबा ने ध्यान लगाया , कुछ देर सोचते रहे, उसके पश्चात न जाने उनके हाथों में ,कहां से भभूत आ गई ? उसको अमृता के हाथ में देते हुए बोले - घर जाकर इसका उसे तिलक लगा देना और इस भभूत  को पानी में घोलकर पिला देना , उसकी इच्छा होगी तो , सब ठीक हो जाएगा , लेकिन शीघ्रता करो उसके पास ज्यादा समय नहीं है।

 अमृता ने उस भभूत को पल्लू में बांधा और अपने घर की ओर दौड़ पड़ी। आज तो उसे सड़कों पर भीड़ भी बहुत नजर आ रही थी क्योंकि उसे शीघ्र अति  शीघ्र अपने हिमांशु के करीब जो पहुंचना था। सड़क पर जाम लग गया , उसकी परेशानी बढ़ गई ,उसने ड्राइवर से गाड़ी को, एक तरफ रोकने के लिए कहा। अमृता के कहे अनुसार ड्राइवर ने गाड़ी ,एक तरफ रोक दी। गाड़ी के रुकते ही,अमृता गाड़ी से उतरकर पैदल ही जल्दी -जल्दी घर की तरफ चल दी। ड्राइवर से, जाम हटने तक आने के लिए, कह कर आ गई। उसे बाबा के वे शब्द याद थे। जो कह रहे थे -'बेटा !तुमने आने में देर कर दी। ''

मन ही मन घबरा रही थी , उसके घर पहुंचने से पहले, कुछ अनिष्ट ना हो जाए , बाबा का न जाने किस ओर  इशारा था ? एक उम्मीद लिए, वह चले जा रही थी। ईश्वर से प्रार्थना कर रही थी , हिमांशु की अभी मुझे बहुत जरूरत है , पहली बार मुझसे कोई प्यार करने वाला मुझे मिला है , मेरा प्यार बनाए रखना। 

तभी पीछे से ड्राइवर गाड़ी लेकर आ गया और बोला- मैडम !अभी रास्ता बहुत लंबा है ,आप गाड़ी में बैठ जाइये। अमृता  गाड़ी में बैठ तो गयी किन्तु उसका मन उससे पहले ,अपने हिमांशु के समीप जाकर खड़ा हो गया।  जाने क्यों ? किसी अनिष्ट की आशंका से उसका दिल घबरा रहा था। अपना धैर्य बनाए हुए वह गाड़ी में बैठी थी, घर के करीब आते ही, गाड़ी से उतरी और सीधी , हिमांशु के कमरे में पहुंच गई। हिमांशु अब तुम शीघ्र ही ठीक हो जाओगे ! मैं बाबा से तुम्हारी बिमारी का इलाज लेकर आई हूं। गड्ढे में धंसी हुई आंखों से , हिमांशु ने एक नजर उसे देखा ,जैसे दिया बुझने से पहले फ़ड़फ़ड़ाता है ,उसी तरह उसकी निराश नजरों ने पलकें झपकाईं और बंद हो गयीं। 



हिमांशु..... हिमांशु ! अमृता ने उसे पुकारा , उसे झिंझोड़ा , उसकी गर्दन एक तरफ को लुढ़क गई , यह  देखकर अमृता की चीख़ निकल गई। पापा जी !मम्मी जी ! देखिये  तो जरा ,हिमांशु को क्या हो गया? अमृता की चीख़ सुनकर , हिमांशु के माता-पिता दौड़े -दौड़े आए , उन्हें देखकर बोली -देखना मैं ,इसके लिए , एक बाबा से भभूत लेकर आई हूं किंतु यह अपनी आंखें ही नहीं खोल रहा। 

अमृता के ससुर हिमांशु के करीब गए , उसकी नब्ज़ देखी ,उसकी नाक की तरफ हाथ लगाया और धम्म  से जमीन पर बैठ गए, उनके शक्ति जैसे  किसी ने निचोड़ ली हो, बोले-अब कोई लाभ नहीं , वह तो गया कह कर रोने लगे। उनकी पत्नी तो अपने बेटे के करीब गई ही नहीं , उनकी बात सुनकर ही बेहोश होकर एक तरफ लुढ़क गई। 

अमृता चीख़ -चीखकर रोने लगी और बोली- मैं तुम्हारी बीमारी के इलाज के लिए, ही तो गयी थी ,तुमने जरा भी हिम्मत नहीं दिखाई ,कम से कम मेरी प्रतीक्षा तो कर लेते ,तुम इस तरह मुझे अकेली छोड़कर नहीं जा सकते हो। तुम्हारा परिवार ,तुम्हारी अमृता, तुम्हारे बगैर बिखर जायेंगे।तुम्हारे बच्चों का क्या होगा ? मेरा क्या होगा ? हम तुम्हारे बग़ैर कैसे जियेंगे ?रो -रोकर अमृता बेहाल हुए जा रही थी। घर के नौकर ने, उन लोगों की हालत देखकर,डॉक्टर साहब को फोन कर दिया। कुछ समय पश्चात डॉक्टर भी आ गया , पहले उसने हिमांशु को देखा , एक उम्मीद से अमृता ने भी उसे निहारा किंतु डॉक्टर ने नहीं में गर्दन हिला दी। तब उसकी सास की तरफ बढ़ते हुए , उन्हें देखा और डॉक्टर को बहुत अफसोस हुआ, वह भी डॉक्टर का इंतजार ना कर सकीं ,अपने बेटे के साथ ही चली गईं।  धीरे -धीरे यह खबर अख़बारों की सुर्ख़ी बन गयी।'' जाने -माने अभिनेता ''हिमांशु ''एक लम्बी बीमारी के पश्चात नहीं रहे। ''उनके इसी सदमे के कारण उनकी माताजी भी न रहीं। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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