दर्द अपना सीने में दफन कर ,
खुद को तू'' पाषाण ''बना ले।
कुछ नहीं होता.......
किसी के आगे दुखड़ा रोने से,
तू स्वयं ही, किसी का संबल बन......
दर्द तू , अपना पी जा......
अपने को इतना ,मजबूत बना ले।
बहुत दर्द है ,सीने में, जलन तो बहुत होती होगी।
किसी से न कर उम्मीद तू, रिश्तों की तोेहीन होगी।
दिया बहुत कुछ दाता ने , यह उसकी 'इनायत 'है !
दिया दर्द अपनों ने ,कहने को जो तेरे पास रिश्ते हैं।
दर्द का एहसास कराया भी उन्होंने, जो तेरे अपने हैं।
तोड़ कड़ी उन रिश्तों की, तू आगे बढ़ जो तेरे सपने हैं।
