पुलिस ,धनंजय जी के घर के सामने आकर रूकती है, धनंजय जी ,ये जानने के लिए , अपने घर से बाहर आते हैं कि न जाने ,किसके घर पुलिस आई है ,उन्हें क्या मालूम था ?वह पुलिस उन्हें के घर ही आई है, वह उनसे बरखा के विषय में ,कुछ पूछताछ करते हैं पहले तो धनंजय जी, उन्हें कोई ज्यादा जानकारी नहीं दे पाते हैं किंतु जब बात उनके पोते पर आती है तब वह इंस्पेक्टर कपिल को सब कुछ बताते हैं। वह यह बात स्वीकार ही नहीं कर पा रहे थे ,कि उस हादसे में उनका पोता भी शामिल हो सकता है क्योंकि उनके अनुसार तो उनका पोता अपने पिता के पास है वह लोग यहां नहीं रहते ,दूसरे शहर में रहते हैं तब उनका पोता यहां कैसे आ गया ?
किंतु इंस्पेक्टर ने बताया -बरखा ने ही हमें बताया था कि वह आपका पोता विशाल ही है, इसी आधार पर हम लोग यहां आए हैं।
धनंजय जी उनकी बात सुनकर बौखला गए , और बोले- ऐसा कैसे हो सकता है ? अवश्य ही, इस लड़की की कोई चाल है जो हमारे पोते को फंसा रही है।
कपिल ने उनकी उम्र का लिहाज करते हुए , आराम से उनसे बात की और बोला -यदि आपके पोते ने कुछ नहीं किया है तो आप इतना परेशान मत होइए। आप आराम से बैठिए ! या तो आप उसे यहां बुला लीजिए या फिर उसका नंबर, पता हमें दे दीजिए, हम उससे मिल लेंगे।
धनंजय जी ,को इंस्पेक्टर कपिल की बातों में तनिक भी विश्वास नहीं था , वह कहने लगे -मैं अभी ,अपने बेटे को फोन लगाता हूं। कुछ देर घंटी बजने के पश्चात, उनके बेटे ने फोन उठाया ,तब उन्होंने उससे पूछा -हेेलो प्रकाश ! तुम कैसे हो ?
पापा ! मैं ठीक हूं ,उधर से जवाब आया क्या कोई बात है? जो इस वक्त फोन किया ? अभी मैं अपने दफ्तर में हूं।
नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है , वह मैं यह पूछना चाह रहा था, विशाल कहां पर है ?
पापा !आप भी कमाल करते हैं, उसकी नई-नई नौकरी लगी है ,अपनी नौकरी पर होगा।
ठीक है , अभी मैं फोन रखता हूं ,मैं उसको, उसकी नई नौकरी के लिए बधाई देना चाहता था इसीलिए फोन किया।
कपिल ने फोन पर दोनों बाप -बेटों की बात सुनी ,सुनकर उसे कुछ भी गलत नहीं लगा, सोच रहा था -पढ़ा- लिखा सभ्य परिवार है , कहीं वही लड़की तो उसे नहीं फसा रही है। सोचा हो ,पैसे वाला परिवार है , उनके पोते को ही फंसा देती हूं ,कभी पैसों के लालच में, उसे भी फंसा रही हो और अपने मंगेतर पर भी गोली चलवा दी। कुछ सोच कर, कपिल उठकर बोला -अच्छा सर ! अभी चलता हूं , यदि फिर से आवश्यकता पड़ी तो ,आपको कष्ट दूंगा।
जी अवश्य, हम तो हमेशा ही कानून का साथ देते रहे हैं , किंतु फिर भी आप देख लीजिए ,हमारे परिवार पर किसी तरह की आंच नहीं आनी चाहिए , आप जानते ही हैं ,एक बार यदि विशाल का नाम आ गया तो उसका जीवन बर्बाद हो जाएगा। अभी तो उसकी जिंदगी की शुरुआत ही है, हमसे जो कुछ भी बन पड़ेगा हम आपकी सहायता करेंगे, उनका इशारा पैसों की लेनदेन से था यानी रिश्वत !
गाड़ी में बैठकर कपिल, अपने सहयोगी से बोला -क्या तुम्हें यह लगता है ?कि ये झूठ बोल रहे हैं , या इनको कुछ भी मालूम नहीं , इनके पोते से तो मिलना ही होगा।
उधर धनंजय जी ने, आज फिर से उन गंदी , बदबूदार गलियों का रुख किया , अपनी नाक पर रूमाल रखकर, वह सीधे चले जा रहे थे। आज उनकी चाल में ,गड्ढे होने के बावजूद भी ,अजीब सी तेजी थी। आज उन्हें किसी से ,कुछ भी पूछने की जरूरत नहीं थी , क्योंकि आज जहां उन्हें जाना है , उसका रास्ता उन्हें पहले से ही मालूम है। उन्होंने एक घर के सामने खड़े होकर, प्यारेलाल को पुकारा।
कुछ देर आवाज लगाने के पश्चात, बरखा की मां उस घर से बाहर निकलती है और कहती है -साहब !वह तो घर पर नहीं हैं , क्या कुछ काम था ?
तुम तो हो, इस घर में, क्या तुम्हें अपनी बेटी की करतूतों के विषय में कुछ मालूम है ? तुम लोगों ने यह क्या लगा रखा है ? कुछ जानती भी हो। अपनी बेटी को नियंत्रण में नहीं रख सकतीं।
मैं कुछ समझी नहीं साहब ! आप कौन हैं और मेरी बेटी को कैसे जानते हैं ?
क्रोधित होते हुए, धनंजय जी बोले -मेरा नाम धनंजय है, जिस घर में वह पहले काम करती थी। तुमने अपनी बेटी को क्या सिखाया है ? बड़े घर के लड़कों को फ़साना , जब तुमने उसका रिश्ता पक्का कर दिया है तो उसे घर में क्यों नहीं बिठाती , क्यों वह, इधर-उधर डोलती फिरती है ? न जाने कितने लड़कों को उसने फांस रखा है बुरा सा मुंह बनाते हुए कहते हैं।
यह आप मेरी बेटी के विषय में ,क्या कहे जा रहे हैं ? उनकी बातें सुनकर उसे भी गुस्सा आ गया। मेरी बेटी ने ऐसा क्या किया है ? जो आप इस तरह बोल रहे हैं।
क्या नहीं किया है ? जाकर पुलिस स्टेशन में देख लो ! उसने अपने मंगेतर को भी नहीं छोड़ा और जब तुम्हारा पति घर आए तो उसे, मेरे घर भेज देना , कहकर और उस पर एहसान जताते हुए वह वापस जाने के लिए मुड़ते हैं।
पुलिस की बात सुनकर, बरखा की माँ घबरा गई और बोली -साहब ! मेरी बेटी ने क्या किया है ?यह तो बताते जाइए ! अब तक उनकी बातें सुनते हुए ,आस - पड़ोस के लोग भी इकट्ठा हो गए थे।
आज तुम लोगों के कारण और तुम्हारी बेटी के कारण, मेरे घर में पहली बार पुलिस आई है , जाकर स्वयं ही पुलिस स्टेशन पर पता कर लो! तुम्हारी बेटी ने क्या किया है ? उसने कॉलेज में गोलियां चलवा दी हैं , कहकर वह चले गए।
आस - पड़ोस के लोग खड़े होकर , बरखा की मां से पूछने लगे तुम्हारी बेटी ने ऐसा क्या कर दिया ,किस पर गोलियां चलवा दीं।
मुझे कुछ भी मालूम नहीं है , तब एक पड़ोस के लड़के से कहती है -मंगलू ! जरा पता तो कर ,तेरी बरखा दीदी, किस पुलिस स्टेशन में है ? उसे क्यों पकड़ा है ? और रास्ते में कहीं उसका बाप दिख जाए तो उसे भी साथ में ले जाना।
अब तेरी लड़की ने, ऐसा क्या कर दिया ? पड़ोस की ताई चंपा बोली -हमने तो पहले ही कहा था -तेरी लड़की के पर निकल आए हैं ,हवा में कुछ ज्यादा ही उड़ रही थी , तू तो सोच रही थी हम सब अनपढ़, गंवार हैं, तेरी लड़की ही पढकर ,बहुत बड़ी अफसर बनेगी। अब बन गई अफसर ,पहुंच गई ,थाने !
बत्तो की अम्मा![चंपा ताई की बेटी कुछ ज्यादा ही बातें बनाती थी ,इसीलिए सभी उसे'' बत्तो ''कहने लगे। अब उसका यही नाम पड़ गया ] अभी कुछ भी मत कहो ! कोई बाहर का आएगा। यूं ही ,कह कर चला जाएगा, मैं क्या यकीन कर लूंगी ? न जाने मेरी बेटी को, किसने फसाया है ? जब तक बात की पूरी जानकारी ना हो , तब तक कुछ भी कहना बेकार है। पुलिस भी बड़े घरों में आती है , हमें तो धक्के ही खाने पड़ेंगे न जाने किस थाने में है ? उसका बाप नहीं आ जाता, तब तक कैसे पता चलेगा ?क्या हुआ है ,क्या नहीं ?

