इच्छाओं के, इस बाजार में,
भावनाओं की कीमत नहीं।
उकेरते हैं, भावनाएं,अपने विचार,
समय के पांव पर खड़े, कराते ,
सही -गलत की पहचान.......
समाज और सामाजिक आयामों पर अड़े,
समय की गतिशीलता के ,
हम सेतू बन........ हैं ,खड़े ,
भावों का एहसास कराते,
जिन्हें समय की पदचाप का भान नहीं ,
दो परिपाटियों को,आभास कराते ,
उड़ान भरती ,दुनिया से परे,
दूर सफर पर निकल जाएं।
अल्फाजों की बस्ती से ,
चुन मोती -माणिक लायें ।
भावों के , डोरे में डाल ,
माला सी सुंदर, रचना रचायें।
इस सफर का ,कोई मोल नहीं ,
अथक परिश्रम ,प्रयासरत एक लेखक का,
रोजी-रोटी में, कोई रोल नहीं ,
लिखता है, लेखक !
तब भी ,उसका कोई व्यापार नहीं,
रोजी-रोटी का कोई आसार नहीं ,
लिखता है, भावों को ,गरीबों की आहों को !
चीत्कार करती पुकार को ,
कभी मुस्कुराता है, कभी रोता है।
गैरों के भावों को जीता है ,
अपना दर्द छुपा, गैर के अश्रु पीता है।
