Berojgar lekhak

 इच्छाओं के, इस बाजार में,

 भावनाओं की कीमत नहीं। 

 उकेरते हैं, भावनाएं,अपने विचार,

 समय के पांव पर खड़े, कराते ,

 सही -गलत की पहचान....... 



समाज और सामाजिक आयामों पर अड़े, 

समय की गतिशीलता के ,

हम सेतू बन........  हैं ,खड़े , 

भावों का एहसास कराते,

जिन्हें समय की पदचाप का भान नहीं ,

 दो परिपाटियों को,आभास कराते ,

उड़ान भरती ,दुनिया से परे, 

दूर सफर पर निकल जाएं। 

अल्फाजों की बस्ती से ,

चुन मोती -माणिक लायें ।

भावों के , डोरे में डाल ,

माला सी सुंदर, रचना रचायें। 

इस  सफर का ,कोई मोल नहीं ,

अथक परिश्रम ,प्रयासरत एक लेखक का,

 रोजी-रोटी में, कोई रोल नहीं ,

 लिखता है, लेखक ! 

तब भी ,उसका कोई व्यापार नहीं,

रोजी-रोटी का कोई आसार नहीं ,

लिखता है, भावों को ,गरीबों की आहों को !

चीत्कार करती पुकार को ,

कभी मुस्कुराता है, कभी रोता है। 

गैरों के भावों को जीता है ,

अपना दर्द छुपा, गैर के अश्रु पीता है। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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