धनंजय जी ,अपनी पत्नी के साथ अपने घर में थे , तभी उन्हें लगा ,जैसे घर के द्वार पर कोई है। वो बाहर आते हैं ,और देखते हैं उनके घर के सामने एक पुलिस जीप आकर रूकती है। वो यह देखने के लिए ,अपने घर के दरवाजे से बाहर आये कि यह पुलिस यहाँ क्यों आई है ?और किसके घर आई है ?तभी उस गाड़ी से एक इंस्पेक्टर उतरा और उसने पूछा -क्या यह धनंजय जी का ही घर है ?
जी ,कहिये ! मैं ही धनंजय ही हूँ , क्या आपको मुझसे कोई काम है ? जी कहिये ,मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूँ।
जी चलिए ,अंदर चलकर बात करते हैं , इंस्पेक्टर कपिल ने धनंजय जी से कहा।
अपने घर की बात सुनकर, एक बार को तो धनंजय जी घबरा गए, इन्हें मुझसे क्या काम हो सकता है? मैं तो सोच रहा था- कि पड़ोस में किसी के आए होंगे , या किसी के विषय में जानना चाहते होंगे किंतु मेरे घर में या मेरे से क्या काम हो सकता है ? शालीनता बरतते हुए , उन्हें अंदर ले गए और अपनी पत्नी से पानी लाने के लिए कहा और उनसे बोले - कहिए ,इंस्पेक्टर साहब !मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूं ?
इंस्पेक्टर ने एक बार पूरे कमरे में नजर दौड़ाई , उसने देखा ,घर में दो पति-पत्नी ही हैं घर साफ सुथरा है , काफी बड़ा है , बहुत समय पहले की कोठी बनाई हुई है अवश्य ही किसी अच्छे औहदे पर रहे होंगे। काफी बड़ा घर है आपका !
जी ईश्वर की कृपा है , नौकरी अच्छी थी, कुछ रिटायरमेंट से पैसा मिला कुछ खेती का मिलाया ,पुराने समय में जमीन खरीद ली थी , अब नौकरी पेशा वाले आदमी के लिए एक घर बनाना भी कितना मुश्किल होता है ? पूरे जीवन की जमा पूंजी लगा देते हैं।
हां जी,वह तो आप ठीक कह रहे हैं। किस पद से आपकी सेवा निवृत्ति हुई ?
धनंजय जी सोच रहे थे , क्या यह इंस्पेक्टर मेरा परिचय लेने ही आया है या किसी और कार्य से आया है। तब वो बोले -जी मैं '' विद्युत विभाग 'में '' अभियंता''के पद से सेवानिवृत्त हुआ हूँ।
तब तक धनंजय जी की पत्नी पानी ले आई थी। पानी पीते हुए ,कपिल ने फिर से प्रश्न किया -क्या परिवार में कोई और नहीं है ?
जी, मेरा एक बेटा है , वह भी इंजीनियर है , परिवार सहित, दूसरे शहर में रहता है। बेटी है, उसका विवाह कर दिया
जी ,इंसान जिंदगी में कितना परिश्रम करता है? कितना मान सम्मान कमाता है ? इसी मान सम्मान को कमाने में उसकी पूरी जिंदगी निकल जाती है और जब समय खराब होता है , तब उस मान-सम्मान को मिटने में तनिक भी देर नहीं लगती।
उसके इस तरह के शब्दों को सुनकर धनंजय जी मन ही मन थोड़ा घबरा गए और सोचने लगे -यह किस तरफ इशारा कर रहा है। कुछ भी ना समझते हुए वह बोले - मैं आपकी बात का आशय नहीं समझा।
मैं यह पूछना चाह रहा था कि क्या आप किसी ''बरखा'' नाम की लड़की को जानते हैं, पहले तो धनंजय जी सोचने लगे ,तब कुछ समय पश्चात बोले -बरखा !तो हमारे घर में काम करती थी।
आपके घर पर काम करती थी यानि आपके घर की नौकरानी थी, आपको सोचने में बहुत समय लगा।
जी...... अब तो उसे कम छोड़े हुए ,कई वर्ष हो गए इसलिए स्मरण नहीं रहा ,आप उसके विषय में इतनी छानबीन क्यों कर रहे हैं ?क्या जानना चाहते हैं ? हमसे ज्यादा तो उसके विषय में उसके माता-पिता ही बतला सकते हैं , धनंजय जी के मुंह में उसके नाम से कड़वाहट सी भर गई थी।
उसने आपके यहां काम करना क्यों छोड़ दिया ? या उसे काम से हटा दिया गया।
जी , पहले वह पढ़ती थी , हमने उसकी फीस वगैरह भी उसके स्कूल में भरी है, उसके पश्चात, उसने अपनी शिक्षा के बल पर, किसी स्कूल में छोटी सी नौकरी कर ली और मैंने सुना है ,अब तो उसका कहीं रिश्ता भी तय हो गया है।
इतने वर्षों पश्चात भी ,उसके विषय में काफी जानकारी रखते हैं , कपिल मुस्कुरा कर बोला।
एक बार उसके पिता ने ही आकर बताया था कुछ पैसों की मदद भी मांगने आया था। पैसों का बहुत लालची है।
आपके हिसाब से वह लड़की कैसी थी ?
मैं कुछ समझा नहीं, नॉर्मल थी, जैसे एक साधारण लड़की को होना चाहिए ,ऐसी ही थी, थोड़ी महत्वाकांक्षी भी थी। गरीब घर की होने के पश्चात भी ,उसने काफी मेहनत की ,पढ़ी और आगे बढ़ने का प्रयास भी किया किंतु यह समझ नहीं आ रहा, आप उसके विषय में इतनी छानबीन क्यों कर रहे हैं ? ऐसा उसने क्या किया है ?
उसने कॉलेज में बहुत बड़ा झगड़ा करवा दिया, और गोलियां भी चल गईं ।
यह सुनते ही, धनंजय जी अपनी जगह से उछल पड़े और बोले- क्या ? कैसी गोलियां और कहां चल गईं ? आश्चर्य से धनंजय जी ने पूछा। किसी को चोट तो नहीं आई।
एक लड़का घायल है,उसके गोली लगी है, वह अस्पताल में है।
कौन है ?वह लड़का और किसने उस पर गोली चलाई ?
वह लड़का और कोई नहीं बरखा का मंगेतर ही है और गोली आपके पोते विशाल ने चलाई है।
यह सुनते ही धनंजय जी, अपनी कुर्सी से उठ खड़े हुए और बोले - यह आप क्या कह रहे हैं ? मेरा पोता तो यहां रहता ही नहीं। व्यर्थ में ही उसका नाम लिया जा रहा है ,ना ही यहां किसी कॉलेज से उसका संबंध है।
जिन छात्रों ने भी देखा है, उन्होंने आपके पोते का ही नाम लिया है और बरखा आपके पोते को अच्छे से जानती थी , वह उससे ही मिलने आया था और यह बात बरखा के मंगेतर को पता चल गई, जिस कारण दोनों में हाथापाई हुई और आपके पोते ने उस पर गोली चला दी।
यह सब झूठ है ,ऐसा कुछ भी नहीं है , वह लड़की हमारे इकलौते पोते को फंसा रही है , यह बात उनकी पत्नी ने भी सुन ली थी , अपनी पत्नी की तरफ देखते हुए बोले -मैं ना कहता था ,यह लड़की चालाक है इसकी दृष्टि हमारी जायदाद पर है और इसके लिए उसने हमारे पोते को फंसा लिया, उस पर दृष्टि जमाये हुए हैं ,तभी हमने उसे नौकरी से निकाल दिया था ,गुस्से और जोश में धनंजय जी , इंस्पेक्टर कपिल के सामने बहुत कुछ बोल गए।
इंस्पेक्टर कपिल ने पूछा -अभी तो आप कह रहे थे ,साधारण सी लड़की है , और अब कह रहे हैं, कि वह बहुत ही चालाक थी। इसी कारण आपने उसे नौकरी से निकाला धनंजय जी की उम्र भी थी , एकदम जोश भी आया और ठंडा भी पड़ गया, अपने को थका सा महसूस करने लगे और फिर से कुर्सी पर बैठ गए। कहने लगे ,हमारा पोता ऐसा नहीं है ,उसका बाप बहुत सख़्त है ,वह तो छुट्टियों में हमसे मिलने आया था और अब अपनी पढ़ाई के लिए अपने पिता के पास ही रहता है , अभी तो उसके पिता ने फोन करके बताया -कि उसकी नौकरी भी लग गई है। इतना होनहार बच्चा ,भला कैसे इन चीजों में पड़ सकता है ?
समय का कुछ नहीं पता चलता ,'' कब ऊंट, किस करवट बैठे ?आप मुझे अपने घर की नौकरानी बरखा के विषय में विस्तार से सब कुछ बतलाइए , तभी हम आगे के केस को समझ और संभाल पाएंगे। तब धनंजय जी ने, इंस्पेक्टर कपिल को विस्तार से बताया -गर्मियों की छुट्टी मनाने, हमारा पोता हमारे घर आया था , तभी हमें लग रहा था ,इस लड़की की दृष्टि ठीक नहीं है, वह हमारे पोते के इर्द-गिर्द घूमती थी , जब हमें लगा बात बढ़ रही है , हमें अच्छा नहीं लगा ,तब हमने उसे नौकरी से निकाल दिया उसके पश्चात हमारी उससे कोई बात नहीं हुई ना ही ,हम उससे मिले और हमारा पोता अपने पिता के पास चला गया। एक बार बरखा का पिता, हमसे यह बताने आया था कि बरखा का रिश्ता तय हो गया है, उसकी गरीबों को देखते हुए हमने उससे कहा था -यदि उसे हमारी किसी भी सहायता की जरूरत पड़े तो हम उसकी सहायता करेंगे। इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं जानता।
अब आपका पोता कहां है ?
कहां होगा ?अपने पिता के पास होगा अपनी नौकरी पर होगा धनंजय जी ने बताया , क्यों ,आप उसे क्यों पूछ रहे हैं ?
अभी तो हमने आपको बताया , जिन लोगों ने देखा उनका कहना है -कि बरखा के मंगेतर पर गोली आपके पोते ने चलाई।
यह सब झूठ है ,बकवास है ,उसको फसाने की कोई चाल होगी। उसके पास पिस्टल कहां से आई ? हमारे पास तो कोई भी पिस्टल नहीं है। कपिल की बात सुनकर धनंजय जी का सर चक्कराने लगा, उन्हें लगने लगा यदि यह बात सत्य साबित हुई , उसका तो भविष्य अंधकार में चला जाएगा , अभी -अभी तो उसकी नौकरी लगी है यह सोचकर ही उनका दिल बैठा जा रहा था। तब भी ,उन्होंने साहस से कार्य लिया।

