Jail 2[ part 48]

 इंस्पेक्टर कपिल, लड़कों के हॉस्टल में केस की तहकीकात के लिए आता है , बरखा और प्रवीण से उस घटना के विषय  में जानना चाहता है। यह हादसा अचानक हुआ इसी  कारण ,अभी बरखा थोड़ी परेशान है। बाहर भीड़ भी बहुत है , कुछ लड़के जो श्याम के साथ आए थे कुछ ज्यादा ही क्रोधित होकर , अशिष्ट  व्यवहार कर रहे हैं। इसी से परेशान होकर इंस्पेक्टर , बरखा ,प्रवीण और श्याम के दोस्त को,उस कमरे से बाहर'' प्रधानाचार्य कक्ष'' में ले जाता है। उस समय प्रधानाचार्य और इंस्पेक्टर कपिल के अलावा ,तीन अन्य सदस्य भी थे , जिनमें  दो लड़के और एक लड़की बरखा थी। उस समय बरखा की नजरें  किसी से भी नहीं मिल पा रही थी, वह समझ चुकी थी यह जो भी घटना इस विद्यालय में हुई है वह उसी के कारण हुई है। 

क्या तुम इसी कॉलेज के छात्र हो ?प्रधानाचार्य ने प्रवीण से प्रश्न किया। 

 जी , प्रवीण ने संक्षिप्त उत्तर दिया। 



तब उन्होंने बरखा से पूछा -क्या तुम इसी कॉलेज में पढ़ती हो ?

बरखा ने सहमति में सिर हिलाया। 

तुम ''ब्वॉयज हॉस्टल ''के कमरे में क्या कर रहीं थीं ? इस प्रश्न को सुनकर बरखा ने अपनी गर्दन नीची कर ली।

कोई भी गलत कार्य करते हुए ,तो गर्दन नीचे नहीं होती, अब जवाब देते हुए ,क्यों गर्दन नीचे हो रही है ? प्रधानाध्यापक ने उसे लताड़ा और प्रवीण से पूछा -क्या वह कमरा तुम्हारा है ? प्रवीण ने हाँ में गर्दन हिलाई ,यह तुम्हारे कमरे में क्या कर रही थी ? क्या यह तुमसे मिलने आई थी ?तुम्हारी दोस्त है। 

जी नहीं, यह मेरी कोई नहीं लगती, मेरा एक दोस्त है , यह उससे मिलने ही यहां आती है। 

यहां आती है, मतलब ! इससे पहले भी कई बार आ चुकी है , क्या बकवास है ?यह। क्या तुम लोग, हॉस्टल में पढ़ने के लिए रुके हो , या दोस्तों की....... बरखा की तरफ देखते हुए, मुलाकातों के लिए तुमने यह कमरा लिया  है। तुम्हारे माता-पिता ने, तुम्हें पढ़ने के लिए भेजा है , या यहां दोस्ती निभाने के लिए ,प्रधानाचार्य क्रोधित हो गए। तुम्हारे माता-पिता को बुलाया जाएगा ,मैं अभी उन्हें फोन करता हूं। उन्हें भी तो पता चले कि उनका पुत्र यहां हॉस्टल में रहकर , कैसे रिश्ते -नाते निभा रहा है ?

नहीं ,सर ! मेरे माता-पिता को कुछ पता नहीं चलना चाहिए , मैंने ऐसा कोई भी गलत कार्य नहीं किया है , वह तो अपने दोस्त के कहने पर....... कह कर वह चुप हो गया। 

कौन दोस्त है ? उसे बुलाओ ,यहां ! जब यह हादसा हुआ, तब क्या वह वहीं  था इंस्पेक्टर ने प्रवीण से पूछा। 

जी........ 

अब कहां है ? वह तो खिड़की के रास्ते से भाग गया , वरना हम भी उसे नहीं छोड़ते , तभी श्याम  का दोस्त बोला। 

बड़ी'' दादागिरी'' दिखला रहे हो, क्या तुम भी इसी कॉलेज के हो ? तुम कौन हो ?

 जी, जिस लड़के को गोली लगी है ,मैं उसका दोस्त हूं , हम इस कॉलेज में नहीं पढ़ते, उनके बिना पूछे ही बोला -और यह जो लड़की खड़ी है ,यह मेरे दोस्त की 'मंगेतर' है। क्योंकि वह उन लोगों की पूछताछ से ,परेशान हो चुका था मुद्दे की बात कोई नहीं कर रहा था। 

ओह ! उस लड़के से तुम्हारा विवाह होने वाला था इंस्पेक्टर कपिल ने बरखा से पूछा। 

जी...... सगाई हुई थी, अभी विवाह नहीं हुआ था। 

इस बात से क्या अर्थ है ?कि सगाई हुई है, विवाह नहीं हुआ ,जब सगाई हुई है ,तो विवाह भी होता। विवाह नहीं हुआ तो इसका अर्थ है ,तुम किसी भी लड़के से मिलती रहोगी।  

प्रवीण की तरफ देखते हुए इंस्पेक्टर बोला, क्या तुम इसे जानती हो ?

जी ,कुछ दिनों से, तुम्हें पता है , यहां यह लोग अपना घर- बार छोड़कर पढ़ने के लिए आते हैं, अपने और अपने माता-पिता के सपने पूरे करने आते हैं , और तुमने इसे अपने दोस्त से मिलने का स्थान बना लिया प्रधानाचार्य क्रोधित होते हुए बरखा से बोले -कौन है ?वह लड़का। कहां रहता है ?

जी, वह दूसरे शहर से आया था। 

 क्या वह लड़का यहां का नहीं है ? तब तुम उसे कैसे मिलीं ?

जी, उसका एक घर यहां भी है, यहां पर उसके दादा-दादी ही रहते हैं , उनको हमारे विषय में कुछ भी मालूम नहीं है इसीलिए वह अपने माता-पिता से छुपकर यहां मिलने आता है।

अपराधी तो वह है, उसने अपराध किया है और उस अपराध में तुम भी शामिल हो ,तुम्हारे माता-पिता को भी बुलाया जाएगा। ये दुआ करो कि जिस लड़के को गोली लगी है वह बच जाए, वरना खून के अपराध  में , तुम सभी ' जेल' जाओगे !

जेल का नाम सुनते ही, प्रवीण की हालत खराब हो गई , और बोला -सर !मैंने  तो कुछ भी नहीं किया है , सिर्फ इन दोनों को कुछ देर के लिए ,अपना कमरा दिया था। इससे पहले भी यह लोग मिले हैं ,लेकिन इस तरह की कोई भी घटना नहीं हुई थी। इसीलिए मैं आश्वस्त था ,अगर मुझे पता होता कि ऐसा कुछ हो जाएगा तो मैं इन लोगों को वहां बैठने भी नहीं देता। मेरी तो लाइफ ही चौपट हो जाएगी। सर !मैं आपके हाथ जोड़ता हूं, मैंने  कुछ भी नहीं किया, तभी श्याम  के दोस्त की तरफ देखकर बोला, तुम सर ,को बताओ न..... मैं तो वहां था ही नहीं ,शोर -शराबा  सुनकर, तब अपने कमरे में गया था। 

हां सर! यह सही कह रहा है। 

तू बड़ा इसका हिमायती बन रहा है, जब तुम लोग, इस कॉलेज के नहीं हो तो तुम लोगों को इस कॉलेज में घुसने किसने दिया ? इंस्पेक्टर कपिल ने पूछा।



अब तुम हमें  बताओगे !कौन सही कह रहा है, कौन गलत कह रहा है ? कपिल प्रधानाचार्य से बोला -देखिए सर !थोड़ी छानबीन तो करनी होगी , इसके लिए इन लोगों को थाने तो चलना ही पड़ेगा जैसे ही सारी औपचारिकताएं पूर्ण हो जाती हैं , हम इन्हें छोड़ देंगे। अभी तो उस लड़के का भी पता लगाना है, जिसने गोली चलाई थी , कहकर कपिल ने सबको गाड़ी में बैठने के लिए कह दिया। बरखा, श्याम  का दोस्त ,प्रवीण सब गाड़ी में बैठे और चले गए। 

धीरे-धीरे कॉलेज के सभी छात्रों को, उनकी अपनी कक्षा में जाने के लिए कह दिया गया, और वहां किसी भी स्थान पर, भीड़ न  करने के लिए मना कर दिया गया। बरखा द्वारा बताए गए पते  पर पुलिस पहुंची। किसी भी घटना के विषय में धनंजय जी को कुछ भी मालूम नहीं था। जब धनंजय जी के घर पर पुलिस पहुंची तो आसपास के लोग देखने लगे , कि क्या हुआ है ?इनके घर में पुलिस क्यों आई है ?

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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