Jail 2 [part 34]

हरिया की ट्यूबवेल पर विराट, श्याम से मिलता है। साथ में विराट का दोस्त, फिरोज भी आता है ,जिसको विराट ने बरखा की जासूसी के लिए बुलाया था।  कुछ देर तक ,तीनों दोस्त आपस में पीते- पिलाते रहे  ,उसके पश्चात ,'फिरोज ' उन दोनों को बरखा के विषय में बताता है -'कि बरखा कॉलेज के हॉस्टल में, किसी लड़के से मिलने गई थी। इस बात से उसका दोस्त अचंभित रह जाता है और श्याम  कुछ भी नहीं कह पाता है।

 फिरोज, श्याम को इस तरह शांत देखकर वह कहता है - कि हम उसे लड़के का पता लगा लेंगे, जिससे बरखा ,कमरा नंबर 10 में मिलने गई थी और तुम कहो तो ,उसे लड़के की हड्डी भी तुडवा देंगे ,उसने हमारी भाभी पर नजर डाली है, किंतु श्याम इस सबके लिए उसे मना कर देता है और कहता है -अभी हमारे रिश्ते की बात हुई है कोई विवाह नहीं हुआ है ,उसे भाभी कहने  की कोई आवश्यकता नहीं है ,किंतु मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं यदि उसे विवाह नहीं करना था तो उसे मुझसे झूठ बोलने की क्या आवश्यकता थी ? श्याम निराश होकर कहता है। 


उसकी निराशा देखकर, फिरोज और विराट भी चिंतित होते हैं , किंतु वह भी क्या कर सकते हैं ? तब विराट, श्याम से कहता है -कहीं ऐसा तो नहीं , वह लड़का ही बरखा को ब्लैकमेल कर रहा हो। 

नहीं ,नहीं देखने से ऐसा कुछ भी नहीं लग रहा था फिरोज बोला। 

विराट उसकी तरफ आंख मारते हुए बोला -कई बार ऐसा होता है ,जो हमें दिखलाई देता हैं, वह सही नहीं होता , क्या मालूम कुछ और ही बात हो ? अपने इन शब्दों से विराट ,श्याम को तसल्ली देना चाहता था। मेरा तो विचार है ,तुझे एक बार उसे लड़की से मिलना चाहिए , देखें ,क्या कहती है ? और इधर फिरोज उस लड़के की जानकारी निकालेगा। 

क्या कहेगी ? यदि वह उसे पहले से जानती होगी तो, झूठ ही बोलेगी , और यदि पहले से नहीं जानती होती तो उससे मिलने कॉलेज में और वह भी लड़कों के हॉस्टल में क्यों जाती ? फीकी सी हंसी- हंसकर श्याम बोला -पहले भी जाती रही होगी, न जाने कितनी बार गई होगी ? कहकर उदास हो गया

तो तू क्या चाहता है ? वह लोग, तुझे इस तरह धोखा देंगे और तू उन्हें ऐसे ही जाने देगा , क्या तेरे खून में उबाल नहीं आ रहा ? माना कि , वह उसे पहले से जानती भी है , किंतु अब तुझसे ,उसके रिश्ते की बात चल रही है , तुझसे  उसका रिश्ता जुड़ने वाला है ,अब तुझे पता होना चाहिए कि तेरी होने वाली पत्नी, किससे मिलती है, कब जाती है ,क्या करती है ? विराट जोश में भरकर बोला। 

तभी फिरोज मुस्कुराया , इन साले पढ़े-लिखे लोगों की यही तो परेशानी है, मुझे तो लगता है, पढ़ लिखकर आदमी का खून, पानी बन जाता है , पढ़कर इंसान, किसी भी घटना को लेकर,पचास  बात सोचेगा , ऊंच-नीच देखेगा, किंतु उसके खून में उबाल नहीं आता। अरे जो सामने दिख रहा है , उससे पता तो चल ही रहा है, कि तुम्हारी मंगेतर किसी ग़ैर लड़के से मिल रही है। हमारे में कोई ऐसी ,बेवफाई करती मिल जाती , हम तो साली की चुटिया, वहीं  पकड़कर पूछते -यह बता कौन है ? कौन से खेल खेल रही है ? दो-दो ख़सम रखेगी क्या ? जोश में आकर फिरोज बोला -मेरी वाली ऐसी होती तो...... वहीँ काट डालता। 

श्याम को, फिरोज की बात सुनकर लगता है ,यह जो भी हो रहा है ,गलत तो हो ही रहा है। तब वह फिरोज से कहता है - तभी तो कहता हूं ,तुम्हारे अंदर बुद्धि नाम की कोई चीज है कि नहीं। हमेशा काटने और मा रने की बात करता है। काट डालता , उसके बाद क्या होता ? तू जेल चला जाता , तेरे पीछे तेरा परिवार परेशान होता। इस बात से क्या नतीजा निकलता ? पहले तुम उसे लड़के का पता लगाओ ! यदि दोनों, फिर से मिलते हैं ,दोनों को'' रंगे हाथों ही पकड़ेंगे। ''

अब हुई ना कुछ बात , दोनों को कॉलेज में वही पकड़कर , सबके सामने ना बेइज्जत किया तो मेरा नाम भी फिरोज नहीं , दांत पीसते हुए, फिरोज बोला। 

नहीं ,इतना सब कुछ करने की जरूरत नहीं है, मुझे लगता है ,यदि मैं अब इस विषय पर बरखा से बात करता हूं , तो मेरे पास उसके विरुद्ध कोई सबूत नहीं होगा , और वह सीधे-सीधे मुकर जाएगी , हो सकता है, मुझे आगे इसकी भनक न लगे और भी सतर्क हो जाएगी । 

यार! हमारे दोस्त की पसंद है , हम उसको यूं ही नहीं जाने देंगे , या तो वह हमारे दोस्त की होकर रहेगी , या फिर इस दुनिया में ही नहीं रहेगी ,विराट श्याम को, सांत्वना देते हुए बोला।

हां यार....... हमारे मोहल्ले में भी , एक औरत ऐसी ही थी , इधर तो मेरे दोस्त अकरम से विवाह कर लिया , और दूसरी तरफ उसी के दोस्त से इश्क लड़ा रही थी। दोनों को एक दिन अकरम ने , साथ में पकड़ लिया। उन्हें इस तरह देखकर ,उसका तो खून खोलने लगा उसने पहले अपने दोस्त को पीटा , और फिर अपनी उस बेवफा बेगम को, दोनों को जलील करके मोहल्ले से निकाल दिया। फिरोज ने, अपने पड़ोसी का किस्सा सुनाया। 

उसने कौन सा अक्लमंदी  का काम किया ? इस फजीहत से क्या लाभ मिला ? उसका दोस्त भी गया और बीवी भी गई। इससे तो अच्छा था तसल्ली से बैठकर ही बातें हो जातीं , अपनी पत्नी से पूछता तो सही , कि उसने उससे बेवफाई क्यों की ? श्याम बोला। 

क्या अहमकपने  बात कर रहा है , अरे......  कोई औरत छिनाल है तो अपने को छिनाल थोड़े ही मानेगी। बेवफाई तो इन औरतों के नस-नस में भरी है। 

श्याम  को फिरोज के शब्द अच्छे नहीं लग रहे थे , बोला-मुझे लगता है, तुझे कुछ ज्यादा ही चढ़ गई है । सभी औरतें एक से नहीं होतीं , ये भी तो हो सकता है मैं ही, उन दोनों के बीच में आ गया हूं। 

विराट की तरफ देखकर, बोला-तेरे दोस्त में कुछ ज्यादा समझदारी नहीं आ गई है। मुझे क्या? इसकी होने वाली मंगेतर है, वह चाहे, इससे विवाह करें ,चाहे किसी और के साथ भाग जाए , कहते हुए मुस्कुराया और श्याम से बोला-क्या तुझे नहीं चढ़ी ? 

जो चढ़ी थी, वह भी उतर गई, तूने खबर ही ऐसी सुनाई , कहते हुए उसका गला भर आया। जिसको वह आंखों में बसाए, अपनी जिंदगी के न जाने कितने सपने देख रहा था ? वह तो उसकी थी ही नहीं , घर वालों को क्या जवाब देगा ? तभी स्मरण  हुआ , इतना सब कुछ हो गया, घर वालों को तो कुछ भी पता नहीं है। मेरी मां........ जो बहू के आने के सपने देख रही है , उसके लिए चीज जेवर साड़ियां खरीद रही है उसे तो पता ही नहीं, धोखा मिलने वाला है। पहली नजर में ही पसंद आ गई थी, मुझे क्या मालूम था? उसकी मुस्कुराहट नजरों का धोखा है। मन में तो उसने सांप पाले हुए हैं. श्याम का दिल किया -रो दे ! किंतु अपने दोस्तों के सामने वह कमजोर नहीं पड़ना चाहता था। 



अब बहुत देर हो गई, रात हो गई है ,घर वाले भी परेशान होते होंगे,अब मिलकर फिर कुछ सोचेंगे विराट बोला। 

इसमें सोचना क्या है ? उसे लड़के का तो पता लगाना ही होगा , कौन है वह और दोनों में रिश्ता क्या है ? अचानक से श्याम बोल उठा। 

क्या तू यह चाहता है ?

 हां , उसका ऐसा कौन सा रिश्ता है ?जिसके लिए उसने इतना बड़ा झूठ बोला , और मुझे धोखा देने का सोच रही है। 

 श्याम  के इस बदले रूप को  देखकर, विराट आश्चर्यचकित रह गया। वह सोच रहा था, अभी तक तो यह ठीक-ठाक था ,अचानक इसके मन में क्या चलने लगा ?

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

Post a Comment (0)
Previous Post Next Post