सभी तो हम जैसे हैं ,सभी तो लगते अपने हैं।
इन रूपों में ,कुछ भेद नजर न हमको आया।
प्रेम भरा इस दिल में ,दिल से......
हमने भी , सभी से प्रेम का ,रिश्ता निभाया।
रिश्ते बहुत इस जीवन में ,
जब बड़े हुए, रिश्तों ने अपना रंग दिखलाया।
बिन बात ,न कोई मुस्कुराया।
बिन स्वार्थ, किसी ने साथ का हाथ, न बढ़ाया।
मतलब के रिश्तों का,'' भेद'' न हमने पाया।
मिठास घोल बातों में ,काम अपना निकलवाया।
इंसान सब एक जैसे दिखते ,
क्या अपने, क्या पराये ? दिखते सब एक जैसे हैं।
किंतु सब की फितरत को अलग-अलग ही पाया।
कोई दिखता ,साथ खड़ा अगर,
वक्त पर उसने भी ,अपना असली रूप दिखाया।
एक ही रूप में, इस इंसान के ,
न जाने ,कितने रूपों को ,इसके अंदर पाया ?
इन रूपों का राज समझ न आया ,
इन्हीं रूपों से,खाये धोखे ,तब 'इंसानी भेद' नजर आया।
इन इंसानों की भीड़ में ,तब अपने को अकेला ही पाया।
अधूरी कहानी -
तोता -मैना की कहानी ,
राजा- रानी की कहानी,
मोहब्बत की कहानी ,
सुख -दुख की कहानी ,
परियों,राक्षस की कहानी ,
जादूगर की कहानी ,
तेरी- मेरी कहानी ,
सब अधूरी रह गईं ,
जब रह गई हमारी ,
जिंदगी की ''अधूरी कहानी''

