बहुत कुछ कहना चाहता है ,यह दिल !
किसे सुनाना चाहता है?बातें' यह दिल !
कभी ऊंची उड़ान भरता है, यह दिल !
कभी कुछ पाने की चाह में ,
कभी -कभी जिद पर आ जाता है, यह दिल !
जो वश में नहीं हो पाता तो.......
बड़ा ही नाजुक सा बन जाता है ,यह दिल !
गैर के दुख को भी अपना लेता है ,
कभी-कभी ,गैर का ही होकर रह जाता है यह दिल !
दिल की क्या कहें ?
कभी-कभी ''पाषाण'' भी हो जाता है, यह दिल !
कभी तनिक भी न पिघलता,
तो कभी ,''मोम'' सा पिघल जाता है यह दिल !
कभी शब्दों की प्रहार भी न झेल पाता,
तो कभी, हंसते-हंसते जहर पी जाता है, यह दिल !
मोहब्बत हो जाए तो.......
कभी, किसी के लिए ,रातों को जगाता है ,यह दिल !
तनिक भी ठेस लग जाए तो......
बिन आवाज ,कांच सा टूटकर बिखर जाता है यह दिल !
सहन नहीं होता ,दर्द दिल का ,
तब छुप -छुपकर , जार- जार रोता है , यह दिल !
दिल की बातें ,दिल में ही रहने दो !
कहने को तो ,यह बहुत कुछ कहना चाहता है ,ये दिल !
आज भी छुपाए हैं ,अपने दिल में अरमान बहुत,
कभी-कभी मन मसोसकर कर रह जाता है ,यह दिल !
कहना चाहता है ,बहुत कुछ........
चुप रह जाता है, चीख़ना चाहता है, शांत हो जाता है,यह दिल !
कभी बच्चा बन खिलखिलाता है ,
तो कभी शांत ,गंभीर ,ज्ञानी और जोगी बन जाता है ,यह दिल !
किसे फुर्सत है ,कौन सुनता है ?' दिल की बातें '!
''दिल की बात '' दिल से निकली है तो दूर तलक जाएगी,
कभी -कभी अपने ही दिल की ,नहीं सुनता है ,ये दिल !
