हम कोई कृष्णा नहीं,
जो ब्रह्मांड दिखला दें।
हम कोई संत नहीं,
जो अंतर ध्यान लगा लें।
हम कोई वैज्ञानिक नहीं ,
जो'' ब्रह्मांड'' समझा दें।
सूरज देखा , तारे देखे,
सुना है, विशाल ब्रह्मांड !
अन्त अभी देखा नहीं ,
देखें कैसे ?अनंत !
रचना अपनी लिखते ,
बंद कमरे में, दिखे यहीं ब्रह्मांड !