Uljhan

 एक चुनौती बन , उभरती है , एक नई उलझन !

 कभी पहेली बन जाती है , एक ना एक उलझन!

 खट्टा -मीठा,तीखा स्वाद दिलाती है हर उलझन !

 इच्छाओं के आडंबर में ,उलझाती है..., उलझन ! 



रिश्तों की भीड़ में ,बढ़ जाती हैं  और, यह उलझन !

 कौन ?तुम्हारे साथ खड़ा है यह समझाती हैउलझन !

 न जाने कब बीती उम्र ? सुलझाते-सुलझाते उलझन !

काव्य लिखूं या कोई कहानी, कैसी आन पड़ी उलझन!


बलात जीवन में ,चली आती हैं ,न जाने कहां से ?उलझन !

किया कभी महसूस ,अपने को हारा,सुलझाती हूँ उलझन ! 

होेले से आ ,मेरी जिंदगी में ठहर जाती है ,कोई न कोई उलझन !

दुनिया और जिंदगी की हकीकत से रूबरू कराती हैं , उलझन!


 टेढ़ी-मेढ़ी पगडंडियों सी ,उलझाती हैं ,ये उलझन !

व्यक्तित्व निखरकर आ जाता है,जब आती हैं उलझन !

सही क्या ? गलत क्या ? पहचान करातीं हैं ,ये उलझन !

फ़ितरत से अपनी वाकिफ़ हूं उलझकर भी, सुलझाती हूं ,उलझन !


laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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