Shrapit kahaniyan [part 94]

दीपशिखा भी न जाने कहां से कहां पहुंच जाती थी ?सुबोध अपने घर में बैठा, पढ़ाई कर रहा था ,दीपशिखा अचानक ही ,उसके कमरे में उपस्थित हो गई , यह देखकर सुबोध को थोड़ा अटपटा सा लगा , उसने उससे पूछा -इतनी रात्रि में वह ,उसके कमरे में क्या कर रही है ? इससे पहले कि वह कुछ जवाब देती, सुबोध ने कहा - मेरे कमरे से बाहर निकल जाओ !

 किंतु दीपशिखा तो जैसे कुछ ठानकरआई थी , मुस्कुराते हुए बोली -चली जाऊंगी ,इतनी जल्दी भी क्या है ?

तब सुबोध उससे कहता है -जल्दी है , मेरा परिवार इसी घर में रहता है , किसी ने आकर पूछ लिया कि यह कौन है ? तब मैं किसी को क्या जवाब दूंगा ? अपने परिवार का डर दिखाकर ,वह दीपशिखा को वहां से भगाना चाहता था। 

किंतु दीपशिखा न जाने किस मिट्टी की बनी थी ?वह तो सुबोध के साथ ,समय बिताने आई थी ,प्यार नहीं तो.... शक्ति के दम पर ,वह उसको पाना चाहती है।


 सुबोध को अपने परिवार का उसे ड़र दिखाना ही गलत था , तब दीपशिखा ने एक चुटकी बजाई और बोली - अब कोई नहीं आएगा। 

क्या ?मतलब !कुछ भी न समझते हुए ,सुबोध ने घबराकर उससे पूछा -ये अभी तुमने क्या किया है ?

तुम्हारी समस्या का निदान, मुस्कुराते हुए दीपशिखा बोली। 

तुम क्या कोई जादूगरनी हो? कि चुटकी बजाते ही समस्या का निदान , अभी तुमने किस समस्या का निदान किया?

यही जो अभी तुमने बताई ,परिवार के सदस्यों के यहाँ आने की समस्या ,अब कोई नहीं आएगा। 

तुमने क्या किया है ? सुबोध उसकी बातों से घबरा गया और बोला तुमने मेरे परिवार के साथ क्या किया है ? जबकि वह यह भी नहीं जानता था , कि दीपशिखा काली शक्तियों की पुजारिन है , यदि वह यह जानता तो बहुत परेशान हो जाता। 

सहज  स्वर में,बोली -कुछ नहीं ,तनिक गहरी नींद में सोये हैं ,अब हमें कोई 'डिस्टर्ब 'नहीं करेगा अपनी कामुक अदाओं से बोली। 

उसकी हरकतें देखकर ,सुबोध थोड़ा घबरा सा गया और बोला -तुम क्या करने वाली हो ?

वही जो एक प्रेमी ,अपनी प्रेमिका के संग करता है ,यानि तुम मुझे प्यार करो ,कहते हुए सुबोध के चेहरे के करीब आकर ,अपनी अंगुली उसके चेहरे और होंठो पर फिराती हैं। सुबोध उसका हाथ पकड़ लेता है ,उसके हाथ को अपने सीने से लगाती है और कहती है -देखो !ये दिल तुम्हारे लिए कितना धड़क रहा है ?

यह क्या कर रही हो ?क्या तुम्हें तनिक भी शर्म नहीं ?कि तुम इतनी रात्रि को किसी के घर में घुसकर कैसी -कैसी हरकतें कर रही हो ? क्या तुम्हारे घरवाले तुम्हें कुछ कहते नहीं ?

कैसी हरकतें कर रही हूँ ?अपने प्यार को पाना चाहती हूँ ,रही बात, घरवालों की ,वे भी तुम्हारे घरवालों की तरह ही चैन की नींद सो रहे हैं। कहते हुए ,सुबोध की आँखों पर अपने हाथों को रखा ,न जाने सुबोध को क्या हुआ ?आगे उसे कुछ नहीं मालूम ,उसके साथ क्या हुआ ?क्या नहीं ,किन्तु जब सुबोध की प्रातःकाल आँखें खुलीं ,तब वो अपने बिस्तर पर अर्धनग्न अवस्था में था ,उठते हुए भी ,अजीब सा लग रहा था। तभी उसे अपने परिवार वालों का स्मरण हुआ और भागकर ,उन्हें देखने गया। घर में कोई ,चाय पी रहा था ,कोई रसोईघर में व्यस्त था ,सभी को सकुशल देख ,उसने राहत की स्वांस ली। उसे उठता देख माँ उसके लिए भी चाय ले आई और बोलीं -उठ गया ! कल न जाने क्या हुआ था ?रात्रि को बड़ी गहरी नींद आई। बहुत दिनों पश्चात ,इतनी गहरी और सुकून की नीद आई। वो तो चाय देकर चलीं गयीं। 

सुबोध यही सोच रहा था ,वो कैसे घर के अंदर आई ?उसने ऐसा क्या किया ,जो घरवाले गहन निंद्रा में पहुंच गए और मेरे चेहरे पर हाथ लगाने के पश्चात ,मेरे साथ क्या हुआ ?मुझे कुछ भी क्यों स्मरण नहीं है ?आखिर ये क्या बला है ? सोचकर सुबोध घबरा गया। 

इंस्पेक्टर ने रमा को मंदिर के पीछे बगीचे में बुलाया था ,रमा मन ही मन सोच रही थी -इंस्पेक्टर ने मुझे थाने  में क्यों नहीं बुलाया ,क्या दीपशिखा को मेरे विषय में कोई जानकारी मिल गई ?अपने आप से ही प्रश्न किया।  उससे बचाने के लिए ही ,मुझे इंस्पेक्टर ने किसी दूसरी जगह बुलाया है। वह नहीं जानती थी, कि उसे इंस्पेक्टर ने नहीं बल्कि दीपशिखा ने , इंस्पेक्टर के माध्यम से बुलवाया है जो कि जब इंस्पेक्टर दीपशिखा के घर पर ,उस कमरे की तलाशी लेने के लिए ,उसके साथ उस कमरे में गया था।  तब वह जान गया था -कि यह लड़की तांत्रिक क्रिया करती है , रमा जो कह रही थी, वह सही था। इससे पहले कि इंस्पेक्टर और कुछ कहता या सुनता , दीपशिखा ने उसे अपने'' वशीकरण मंत्र ''से वश में कर लिया। इंस्पेक्टर को भान ही नहीं रहा , वह यहां दीपशिखा के घर में क्यों और किस उद्देश्य से आया है ? बल्कि दीपशिखा जो उससे कह रही थी वह कर रहा था। दीपशिखा ने उसके मन मस्तिष्क को अपने वश में कर लिया था। दीपशिखा का उद्देश्य, रमा को मारना था क्योंकि रमा उसका सारा राज़ जानती थी। 

इधर सुबोध भी परेशान था , वह जानना चाहता था कि दीपशिखा ऐसी हरकतें क्यों कर रही है ? जो कि एक आम लड़की नहीं कर सकती। इस बात का पता लगाने के लिए सुबोध उसके पीछे लग गया , दीपशिखा की जासूसी करते हुए , उसे तांत्रिक मतंग का भी पता चला , तांत्रिक मतंग से भी मिला , उसने ही बताया -'कि यह लड़की काली शक्तियों की पूजा करती है , और इस पर अनेक शक्तियां हैं।' सुबोध के लिए यह आश्चर्यचकित  कर देने वाली बात थी। 

आज की रात्रि भी ,दीपशिखा उसके करीब पहुंच गयी ,इस बात से सुबोध उससे अत्यंत नाराज हुआ ,उसे देखकर ,सुबोध अपने कार्य में व्यस्त रहा ,उसे ड़र था यदि उसने कोई भी हरकत की ,या उसे उल्टा -सीधा कुछ कहा ,तब वह उसे ही नहीं ,उसके परिवारवालों को भी नुकसान पहुंचा सकती है ,इसीलिए चुपचाप लिखने में व्यस्त रहा उसने उसके होते हुए भी ,ऐसा दर्शाया ,जैसे वो है ही नहीं। 

दीपशिखा को ये बात बुरी लगी और बोली -क्या तुम मुझे जानते ही नहीं ,या मैं तुम्हें दिखलाई नहीं दे रही ,कहते हुए ,मेरे हाथ से  पैन लेकर ,मेरी ठुड्डी के नीचे लगाकर मेरा चेहरा ऊपर किया और मेरी आँखों में आँखें डालकर बोली -क्या मैं तुम्हें नहीं दिख रही ?सुबोध उसकी तरफ देखते हुए ,तब भी कुछ नहीं बोला,वरन हाँ में गर्दन हिलाई , पेन मेरे चेहरे से हटाकर ,तब वो बोली -क्या लिख रहे हो ?

कहानी !न चाहते हुए भी सुबोध ने जबाब दिया। 


काव्य से कहानी पर आ गए , कहकर वो ठहाका लगाकर हँसी। सुबोध ने उसे नजरभरकर उसे देखा ,काले कपड़ों में ,उसका बदन चमक रहा था।उसने अपने कपड़े कंधों से नीचे किये हुए थे। उसके वो वस्त्र भी घुटनों तक ही थे ,कोई भी साधारण मानव उसे देखे ,बिना वशीकरण मंत्र के ही ,उसकी सुंदरता पर लट्टू हो जाये ,तिस पर उसकी कामुक अदाएं !


laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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