Sparsh

 स्पर्श, उसकी छुअन , 

 शबनम सा एहसास ! 

 प्रातः काल की ओस सी,

 दिनकर की ,आभा में,

 कांतियुक्त तन का एहसास !




 नरम ,मुलायम पंख सा ,

 उसके शबनमी अधर ,

उसकी ,वो मुस्कान !

उसका ,वो भोलापन !

 बंद आंखों में ,

 सिमटता जहां ,

 छेड़ता है,

 मन  के तारों को ,

 झिंझोड़ डालता है,

 अंतर्मन को 

  उसके नर्म नाजुक करतल , 

 पुनः वो मनभावन एहसास !

 भर लेते हैं ,

 मेरी उंगलियों को,

पुलकित करता ,वो एहसास ,

मेरे पुनर्जीवन का एहसास। 

जी उठी , मैं उस स्पर्श से ,

यही ,सोचकर ,

 मैं ''माँ ''हूँ। 

मेरी पूर्णता का एहसास,

 उसका स्पर्श ,दे गया ,

मुझे,'' मेरे होने का एहसास !

 जी उठा , मेरा रोम रोम !

प्रफुल्लित मैं ,बढ़ चली ,

उस ''ममता ''की ओर !

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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