Smjhota

ये जीवन भी  है , इक समझौता !

करना पड़ता है, दुखों से समझौता !

करना पड़ता है , सुखों से समझौता !

करना पड़ता है, रिश्तों  से समझौता !

करना पड़ता है, सपनों से समझौता !

करना पड़ता है ,विचारों से समझौता!

 जीवन की बुनियाद ही है , समझौता !



 कमाने के लिए, बॉस से करता है समझौता!

दिल पर बोझ है, नहीं करना चाहता समझौता !

कर रहा है ,गलत काम , सच्चाई से समझौता !

घर में पत्नी, अन्य रिश्तों  से किया, समझौता !

जीने की ललक करा रही,अपने आप से समझौता ! 

प्रभु ! तुमको याद करूंगा ,करके आया समझौता !

भूल गया सब समझौते, कर रहा रोगों से समझौता!


laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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