Shrapit kahaniyan [part 99]

अगले दिन प्रभा तैयार होकर मालिनी जी से मिलने जाती है , मालिनी जी ,प्रभा से शिकायत भरे लहज़े में बोलीं  - बहुत दिनों बाद आई , मैं तुम्हें ही याद कर रही थी। मैं सोच रही थी - तुम कहीं किसी परेशानी में तो नहीं फंस गईं , तुमने फोन भी नहीं किया , क्या कारण रहा ?

मैडम आपने बताया था ना, कि मेरे पति पर किसी 'श्राप का साया' है , उसी का हल निकाल रही थी , पहले सुबोध से उनकी संपूर्ण कहानी सुनी , कहानी पूर्ण होते ही आपके पास चली आई। 

अच्छा ,तब तुम्हारे पति ने क्या बतलाया ? मालिनी जी ने पूछा। 

कहानी बड़ी रोमांचक, रहस्यों से भरी, और दिलचस्प थी, कहकर प्रभा मुस्कुराई , तब उसने संपूर्ण कहानी मालिनी जी को संक्षेप में सुना दी और उनसे प्रश्न किया -कि यह 'श्राप 'दीपशिखा ने ,मेरे पति को दिया था। तब वह आज भी कारगार कैसे हैं ? क्योंकि जिसने 'श्राप 'दिया वह तो जिंदा ही नहीं है। 



मालिनी जी कुछ देर गहन विचार करती रहीं और बोलीं - तुमने जो बताया उसके आधार पर , दीपशिखा तांत्रिक शक्तियों की मालकिन थी , अपने पूर्व जन्म में भी वह तंत्र मंत्र क्रियाएं करती थी। श्राप उसने जीते जी दिया था , उसके मरणोपरांत, इसका असर समाप्त हो जाएगा ऐसा नहीं है। तुम यह बात किस आधार   पर  कह सकती हो ? कि वह मर ही गई है। अपनी किसी तांत्रिक क्रिया द्वारा बच भी तो सकती है, यदि नहीं भी बची है, तब उसका तन ही नष्ट हुआ है। उसकी आत्मा अभी भी जीवित है , बिना शरीर के है ,वह किसी का भी रूप ले सकती है और तुम्हारे पति को वह पसंद करती थी , किंतु तुम्हारे पति ने, उस समय उसका साथ नहीं दिया, इस कारण उससे रुष्ट भी है। जब तक उसकी आत्मा नष्ट नहीं हो जाती, तब तक वह सुबोध का अच्छा नहीं होने देगी, न ही उसका परिवार आगे बढ़ने देगी , मालिनी जी ने बताया। 

तब मैडम ! इस बात का कैसे पता लगाया जा सकता है ? कि वो जिन्दा है या नहीं। यदि वो जिन्दा नहीं है तब उसकी आत्मा को कैसे नष्ट किया ज सकता है ?और उसका श्राप कैसे समाप्त किया जा सकता है ?यदि उसका तन ही नष्ट हुआ है ,तब उसकी आत्मा कैसे मर सकती है ?मैंने तो सुना है ,''आत्मा अजर है ,अमर  है। ''वो तो नष्ट नहीं हो सकती।

 तुम अपनी जगह सही हो ,आत्मा अमर है किन्तु जब आत्मा भटकती है ,उसे शांति नहीं मिलती ,तब वो भूत ,प्रेत ,चंडाल ,पिशाच योनि को प्राप्त हो जाता है। तब उसमें कुछ शक्तियां स्वतः आ  जाती  हैं ,जैसे किसी के तन पर कब्ज़ा करना, जिसमें कि दीपशिखा पहले से ही तांत्रिक विधियों की जानकर रही है ,उस पर पहले से  ही बहुत सी शक्तियां थीं किन्तु यदि अब उसे पिशाचिनी या भूत की योनि मिली है। तब तो वह अशांत आत्मा ही हुई ,उसे नष्ट नहीं किया जा सकता तब उसे शांत तो किया जा सकता है। 

तब कीजिये न मैडम !सोचना क्या है ?

ये इतना आसान नहीं ,तुमने कहा और हो गया ,पहले अपने पति से पूछना ,उसकी कोई तस्वीर या कोई भी ऐसी चीज मिल सकती है ,जिसे उसने छुआ हो। वो वस्तु या तस्वीर लेकर आना तब वो क्रिया होगी। अब तुम अपनी पड़ोसन का हाल बताओ !अब वो कैसी है ?

जब उनके यहां ,मैं यंत्र रखने गई थी , उसके पश्चात मेरा ,उधर भी जाना नहीं हुआ किन्तु चम्पा ने बताया था ,अभी थोडा ठीक हैं किन्तु अपने कमरे बाहर आते ही ,वे फिर से अस्वस्थ हो जातीं  हैं। तभी प्रभा को जैसे कुछ स्मरण हुआ ,बोली -जिस दिन मैं ,उनके घर गयी थी ,तब प्रीति की सास का व्यवहार थोड़ा बदला लगा ,वो मुझे अजीब तरीक़े से घूर रहीं थीं। जब मैं ,सीढ़ियों से नीचे उतर रही थी,तब  ऐसा भी लगा ,जैसे किसी ने मुझे धक्का दिया हो किन्तु मैं शीघ्र ही सम्भल गयी। 

इतनी बड़ी बात होगयी और तुमने मुझे बताया भी नहीं। 

क्या मतलब ! मैंने सिर्फ अपना वहम समझा इसीलिए उन बातों पर मैंने ध्यान ही नहीं दिया। 

नहीं, ये वहम नहीं था , किसी ने प्रेत भेजा हुआ था ,उनकी बहु को मारने के लिए ,किन्तु तुमने उस यंत्र को , उनकी बहू के तकिए के नीचे रखकर , उसके कार्य में व्यवधान डाला , इसी कारण वह तुमसे क्रोधित हो गया, इसी क्रोध में उसकी सास को, अपने वश में करके वह ऊपर लेकर आया था और धक्का भी उसी ने दिया था किंतु तुम बच गईं। इसका उद्देश्य, उनकी बहू प्रीति को ही मारना है। 

क्या ?प्रभा आश्चर्य से बोली। 

 हां ,मैंने उनके पोते के वस्त्रों को ,उस यंत्र पर रखकर फिर से ध्यान लगाया ,तब मुझे किसी प्रेत की छाया दिखलाई दी। किसी उनके दुश्मन ने उन माँ -बेटों को मारने के लिए ही उस प्रेत को भेजा है। जो भी उसके बीच में आएगा वह उसे भी, अपने मार्ग से हटाने का प्रयास करेगा। हालांकि यह उसके नियम के विरुद्ध है, किंतु अपने उद्देश्य पूर्ति के लिए वह कुछ भी कर सकता है। 

कोई ऐसा क्यों करना चाहेगा ? 

अब यह तो वही व्यक्ति बता सकता है जिसने यह करवाया है , उसकी उन दोनों मां-बेटों  से क्या दुश्मनी हो सकती है ?



बहुत समय से मैं ,गई भी नहीं, आज जाकर देख लेती हूं। 

अब तुम्हें अपनी सुरक्षा का भी ख्याल रखना होगा , वह तुमसे अवश्य ही क्रोधित होगा क्योंकि तुमने उसके कार्य में व्यवधान जो डाला है। 

तब उससे छुटकारा कैसे मिलेगा ? आप यह तो बताइए। इस तरह तो वह अपने कार्य को पूर्ण करने के लिए ,किसी को भी माध्यम बना सकता है। हो सकता है ,अब तक उसने ऐसा कुछ किया भी हो। 

पहले हमें इस बात की जानकारी लेनी होगी , यह सब किसने करवाया है ?मालिनी जी बोलीं। 

उसे हम कैसे जान सकते हैं ?

पहले तुम वहां के हालात जान लो ! तब मुझे फोन पर बताना ,एक दिन मुझे वहां आना होगा।

जी मैं ,एक दिन उनके घर अवश्य जाउंगी और जैसे भी हालात होंगे आपको बतला दूंगी ,अब चलती हूँ।

ठहरो !ये लो,उसे एक पुड़िया देते हुए बोलीं - तुम्हारी सुरक्षा भी आवश्यक है। उसे बताया इसे अपने साथ रखना। जाने से पहले ,एक बार मुझे फोन कर लेना।     

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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