Sankalp

 संकल्प' वही जो दृढ़ हो,

आयें , दिक्कतें कई...... 

 अटल हो,जो लक्ष्य पर , 

संकल्प पूर्ण कर पाता है।

प्रतिवर्ष ,संकल्प किया ,  

 पूर्ण ,कहां हो पाता है ?



अडिग रहे,अपनी राह पर,

ऐसा कहां हो पाता है ?

आते हैं ,व्यवधान कई,

जीवन की परीक्षा में भी ,

 मानव !

सफल कहाँ हो पाता है ?

संकल्प लेना आसान है ,

निभा सके जो उसको ,

ऐसा नहीं हो, पाता है।

संसार ,जीवन ,परिवार ,

के मोह त्याग आगे...... 

 बढ़ ,संकल्प निभाता है।

यही संकल्प जब उसका ,

जुनून बन......  जाता है। 

खा ठोकरें ,कई....... 

मंजिल अपनी पा जाता है।  

  

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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