Shrapit kahaniyan [part 85 ]

चिराग अपने कमरे में बैठा पढ़  रहा था, तभी उसे न जाने कैसी आवाज आती है ?और उस आवाज के सम्मोहन में वह खिंचा चला जाता है। उसके पिता ने उसे टोका भी था, किंतु वह कुछ भी नहीं बोला उन्होंने सोचा- शायद ,यही पास में किसी दोस्त के पास जा रहा होगा। उन्हें क्या मालूम उसे उसकी मौत बुला रही है ? प्रातः काल चिराग की प्रतीक्षा में ,वह अपने व्यापार के लिए निकल जाते हैं किंतु रास्ते में भीड़ देख कर रुक जाते हैं , जब भीड़ में से कोई व्यक्ति उन्हें बताता है, कि न जाने किसने, एक व्यक्ति को मार डाला है ? भीड़ को चीरते हुए वो  उस व्यक्ति को देखने के लिए जाते हैं , किंतु उस व्यक्ति को देखकर वह स्वयं ही बेहोश हो जाते हैं। 

आसपास खड़ी भीड़ का ध्यान उनकी तरफ  चला जाता है, और एक व्यक्ति चिल्लाते हुए कहता है -अरे देखो तो सही इन्हें क्या हो गया ?


मुझे लगता है - यह व्यक्ति इस अंजान शव की हालत को देखकर ,बेहोश हो गया है क्योंकि इस शव की हालत ही ऐसी है  , आंखें एकदम फटी हुई बाहर को निकली हुई हैं ,जैसे किसी डरावनी चीज को देखा हो।

 इसकी गर्दन भी टूटी हुई है , किसी ने बड़ी बेदर्दी से मारा है,एक अन्य व्यक्ति बोला। 

चिराग की हालत , इतनी बुरी कर दी थी , उसे देखकर कोई भी ,घबरा जाता वह तो उसके पिता थे। 

एक महिला बोली -मुझे लगता है , शायद, यह इनका ही अपना कोई था, इसी कारण उनके मुंह पर पानी के छींटे  मारती  हैं। 

इस भीड़ में से कोई इस दुर्घटना की सूचना पुलिस को पहले ही दे देता है ,एक ''आपातकालीन चिकित्सा वाहन ''उस शव को वहाँ से ले जाता है।

 जब चिराग़ के पिता  होश में आते हैं , तब उस शव को वहाँ न पाकर रोने लगते हैं। वहां उपस्थित लोगों से ,पूछते हैं ,अभी जो यहाँ थोड़ी देर पहले यहाँ...... कहते हुए फिर से रोने लगे। 

क्या आपका कोई था , उस  महिला ने उनके करीब आकर पूछा । 

जी ,वो मेरा बेटा...... था ,कहते हुए , एक स्थान पर बैठकर रोने लगे ,उनके जाननेवाले एक व्यक्ति ने उन्हें इस हालत में देखा तो उनके करीब आकर पूछा ,तब उन्होंने बताया -चिराग नहीं रहा..... ये बात उन सभी जानने वालों को आश्चर्यचकित कर  देने वाली थी ,जो चिराग को जानते थे ,सुनकर उसे भी विश्वास नहीं हुआ ,बोला -ये आप क्या कह रहे हैं चाचा !चिराग को क्या हुआ ?कल तक तो अच्छा भला था। 

मुझे नहीं पता ,वो कल रात्रि में ,अच्छा खासा पढ़ाई कर रहा था ,तब उसे बाहर जाते देखा था ,उसके बाद यहाँ...... न जाने, किसने उसकी हत्या कर दी ? न जाने कौन दुश्मन बन गया ?मेरे बेटे ने तो कभी किसी का कुछ नही बिगाड़ा। 

अब कहाँ है ?

मुझे नहीं पता ,इन लोगो में से ही किसी से पूछ लो !

तब एक व्यक्ति ने बताया ,जब ये बेहोश थे ,तब किसी ने ''आपातकालीन चिकित्सा वाहन ''को बुलवा लिया ,अब पुलिस ही बता सकती है ,उसके शव को कहाँ रखा गया है ?

उनको जानने वाला और कोई नहीं उनके पड़ोसी का लडका शंकर था ,शंकर उन्हें पकड़कर अपने साथ लेकर चलता है। घर पहुंचकर ,उनको सोफे पर बिठला दिया और उनकी पत्नी से बोला -चाचीजी ! जरा पानी तो लाइए। 

वो जैसे ही पानी लेकर आती हैं ,साथ में अपने पति की हालत देखकर चिंतित हो जाती हैं ,और पूछती हैं ,इन्हें  क्या हुआ है ?

ये बाहर सड़क पर परेशान थे ,शायद बेहोश हो गए थे ,इसीलिए मैं इन्हें उठाकर यहाँ ले आया ,शंकर ने उन्हें चिराग की बात जानबूझकर नहीं बताई ,ताकि जवान लड़के की मौत की  बात  सुनकर ,इनकी हालत भी खराब न हो जाये। दोनों को एक साथ संभालना मुश्किल हो जायेगा। 

चिंतित होते  हुए ,वे बोलीं -न जाने ,चिराग भी कहाँ चला गया ? सुबह से उसे ढूंढ़ रहे थे ,वो साथ होता तो ऐसा नहीं होता ,अभी वो ये सब कह ही रहीं थीं। 

उनके पति फिर से जोर -जोर से रोने लगे और रोते हुए बोले - उसे क्यों कोस रही हो ? वो तो चला गया। 

चला गया ,ये तुम क्या कह रहे हो ?कौन ,कहाँ चला गया ?उनकी समझ में कुछ नहीं आया। 

तब शंकर बोला -मुझे लगता है ,इनकी हालत ठीक नहीं है ,इन्हें डॉक्टर के पास ले चलते हैं।

क्यों इन्हें क्या हुआ है ?और ये क्यों रोये जा रहे हैं ?चिराग आ जाये तब वो सब संभाल लेगा। 

अबकि बार उनसे रहा नहीं गया और बोले -वो नहीं...... तभी शंकर बोला -आप ठीक नहीं हैं ,चलिए आप और चाचीजी भी हमारे साथ चलेगीं कहते हुए ,उसने उनकी तरफ देखा और बोले -अभी इन्हें  बताया ,तब इन्हे कौन सम्भालेगा ?शंकर की बात सुनकर ,वो कुछ देर के लिए शांत बैठे रहे ,और शून्य में तकते रहे ,शायद रो -रोकर थक भी गए थे। उनकी पत्नी तैयार होकर बाहर आती हैं ,शंकर उन दोनों को गाड़ी में बैठाकर चल देता है और कहता है -सबसे पहले हम लोग पुलिस स्टेशन चलते हैं। 

पुलिस स्टेशन क्यों जाना है ?चाची ने पूछा। 


सुबह से चिराग नहीं मिल रहा, आप लोगों को ध्यान देना चाहिए था , पहले उसकी रिपोर्ट लिखवाते हैं। 

अरे आ जाएगा, यही आस पास गया होगा , इसमें कोई रिपोर्ट लिखने की जरूरत नहीं है, वह बोलीं। 

नहीं , आवश्यकता है, क्योंकि वह कल रात से ही गायब है। 

तुम्हें कैसे मालूम ?

मुझे चाचाजी ने ही बताया था। 

क्या आप जानते हैं ?कि वह रात से ही गायब है। 

हाँ ,तुमसे कह तो रहा था ,किंतु तुमने मेरी बात पर ध्यान ही नहीं दिया।

अब तक चाची  जी परेशान हो उठीं थीं , वह बात की गंभीरता को नहीं समझ पाई थीं , घर के कामों में व्यस्त रहने के कारण, कुछ बातें नजरअंदाज भी हो जाती हैं किंतु अब उन्हें पता चला है, उनका बेटा कल रात्रि से ही गायब है। चाचा जी पर नाराज होते हुए बोलीं -जब आपको मालूम था ,बेटा ,इतनी रात्रि को घर से बाहर जा रहा है , तब क्या आपको उससे पूछना नहीं चाहिए था, क्यों जा रहा है ?किससे मिलने जा रहा है ? इनकी लापरवाही किसी दिन, मेरी जान ले कर छोड़ेगी। कहते हुए ,मन ही मन बुदबुदाने लगीं -न जाने , यह लड़का कहां गया होगा ? कहीं किसी ने उसका ,अपहरण तो नहीं कर लिया होगा और भी न जाने क्या- क्या सोचने लगीं ?


laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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