Shrapit kahaniyan [part 86]

 शंकर पुलिस स्टेशन के सामने अपनी गाड़ी रोक देता है , तीनों उस गाड़ी से उतरते हैं , चिराग  के माता-पिता के चेहरे पर, परेशानी के चिन्ह साफ झलक रहे थे। शंकर पड़ोसी होने के नाते, अपना कार्य कर रहा था। इंस्पेक्टर साहब ! हमें अपनी रिपोर्ट लिखवानी है , शंकर ने वहां मौजूद इंस्पेक्टर से कहा। 

इंस्पेक्टर ने एक नजर उन तीनों को देखा और पूछा -किस विषय में, क्या हुआ ?

तभी चाची जी बोल उठीं -हमारा बेटा कल रात से लापता है , और यह मुझे अब बता रहे हैं ,अपने पति की तरफ , नाराजगी से देखा। उनके पति चुपचाप और उदास  खड़े थे , मन ही मन सोच रहे थे -यह शंकर भी न जाने  कौन सा ,नाटक कर रहा है ? हमें हमारे बेटे का शव मिल  जाए और हम उसे अपने साथ ले जाएं। 

जी आप अपनी'' एफ आई आर ''दर्ज करवा दीजिए , हम आपके बेटे को ढूंढने का प्रयास करेंगे , इंस्पेक्टर ने नम्रता से कहा। ' लापता 'व्यक्ति का नाम ?


चिराग, चौहान !

वह कब से लापता है ?

जी ,कल रात्रि  से।

कहाँ से लापता हुआ है ?

ईव्ज चौराहे के पास ,सैक्टर डी से ! 

किसी से मिलने गया था ?

नहीं, मालूम !

किसी का कोई फोन आया है ?

जी नहीं ,

घर में कोई झगड़ा ,या फिर कोई लड़की -वड़की का चक्कर !

यह आप क्या बातें कर रहे हैं ?इस्पेक्टर साहब ! मेरा बेटा निहायत ही शरीफ , और ईमानदार है,न ही, घर में उसने कोई झगड़ा किया है ,और न ही ,वह किसी लड़की के चक्कर में है, इंस्पेक्टर के प्रश्नों से झुंझलाकर चाची जी बोलीं। 

ठीक है ,हम उसका पता लगाएंगे, जैसे ही हमें ,उसका पता चलता है ,हम आपको सूचित कर देंगे। 

थोड़ा शीघ्र कीजिए इंस्पेक्टर साहब ! हमारा इकलौता बेटा है , आज उसके पापा की भी तबीयत ठीक नहीं है जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी हमारे बेटे को ढूंढ दीजिए चाची ने कहा।

शंकर उनसे बोला- आप दोनों चलकर गाड़ी में बैठिये ! मैं आता हूं। उन दोनों पति -पत्नी के चले जाने के पश्चात , शंकर इंस्पेक्टर साहब ,से कहता है -इंस्पेक्टर साहब! इनके बेटे का कत्ल हुआ है , और आज सुबह ही उसकी' डेड बॉडी' को पुलिस उठाकर ले गई , इस बात को चौहान साहब !जानते हैं , किंतु चाची जी कुछ नहीं जानतीं , आप कुछ ऐसा करिए जिससे, चाची जी अपने को , इस बात के लिए तैयार कर सकें , थोड़ी खुशामद सी करते हुए बोला -इंस्पेक्टर साहब !आपकी बहुत बड़ी मेहरबानी होगी , दोनों का इकलौता बेटा है ,शायद ,चाची जी इस सदमें  को बर्दाश्त ना कर पाएं। कहकर शंकर थाने से बाहर निकल गया। 

अभी वह गाड़ी में बैठने ही वाला था तभी इंस्पेक्टर साहब ने पीछे से आवाज लगाई -सुनो ! शंकर वहीं का वहीं रुक गया और बोला क्या हुआ - इंस्पेक्टर साहब !

आज ही कुछ एक्सीडेंट के केस आए हैं , आप उनमें देख लीजिए , भगवान ना करे, ऐसा हुआ हो किंतु देखने में क्या जा रहा है ? हवलदार को साथ ले जाइए ,यह आपकी मदद कर देंगे । 

इंस्पेक्टर की बात सुनकर ,चाची जी पर तो जैसे गाज गिर पड़ी , और बोलीं - एक्सीडेंट !! भला हमारे बेटे का एक्सीडेंट क्यों होने लगा ?

इंस्पेक्टर साहब ! यकीन से थोड़ी कह रहे हैं, वह तो आशंका जतला  रहे हैं , चलिए !वहां भी, जा कर देख लेते हैं , कहते हुए हवलदार को गाड़ी में बैठा कर , शंकर '' सरकारी अस्पताल ''की तरफ अपनी गाड़ी मोड़ देता है। मन ही मन चिराग की मम्मी ,परेशान हो रही थीं  और भगवान से प्रार्थना कर रही थी -कि'' हे भगवान !उन एक्सीडेंट वाले लोगों में मेरा बेटा ना हो !'' किंतु उनकी प्रार्थना को तब तक देर हो चुकी थी। जाने वाला तो चला गया था। अब तो थोड़ी सी औपचारिकता बाकी रह गई थी। चौहान साहब ने तो शायद, उसकी मौत को स्वीकार कर लिया था अब पत्नी के कारण ,थोड़े शांत थे।शांत क्या ?अपने अंदर हिम्मत जुटा रहे थे। कैसे ?वो , अपने मृत बेटे शव का दुबारा सामना करेंगे।

आज रमा की सहेली ,उससे मिलने आई थी,रमा को कॉलेज न गए हुए ,पंद्रह  दिन हो गए थे ,वो अपनी दोस्त का हाल चाल जानने आई थी। इतने दिनों से वह कॉलेज क्यों नहीं आ रही है ?

रमा ने उसे कुछ भी नहीं बताया, बोली -बीच में मेरी थोड़ी तबीयत खराब हो गई थी इसलिए आना नहीं हुआ। और सुना, आजकल कॉलेज में क्या चल रहा है ? इसके पीछे उसका उद्देश्य दीपशिखा के विषय में जानना था। 

तभी उसकी सहेली ने एक दिल हिला देने वाली घटना उसे बताई -तुझे मालूम है हमारे कॉलेज का लड़का ''चिराग चौहान'' किसी ने उसका बड़ी बेरहमी से कत्ल कर दिया।


इस खबर को सुनकर रमा उछल पड़ी -तू यह क्या कह रही है ?'' चिराग चौहान ''को भला कौन मार सकता है ?

वह तो मुझे नहीं मालूम !किंतु सुनने में आया है ,किसी ने बड़ी बुरी तरीके से उसे मारा है , उसकी गर्दन की हड्डी भी तोड़ दी ,उसकी आंखें बाहर को निकली हुई थी , पोस्टमार्टम रिपोर्ट में तो आया है, किसी ने उसका दिल ही निकाल लिया। 

क्या ??? मन ही मन रमा यह सुनकर घबरा गई और सोचने लगी -हो ना हो ,यह दीपशिखा का ही काम है , अब तो उससे अपनी सारी बातें अपनी मम्मी को भी बता दी थीं , इसलिए अपनी मम्मी को बुलाकर , बताने लगी -मम्मी ! चिराग को भी मार दिया।

रमा की मम्मी को बहुत आश्चर्य हुआ ,लेकिन वह समझ गई,कि यह लड़की [दीपशिखा ]बहुत ही खतरनाक है। हो सकता है, कल को मेरी रमा का भी यही हाल हो , उसके पीछे भी तो पड़ी हुई है , वह तो मैंने तांत्रिक बाबा के द्वारा बताये, कुछ उपाय किए थे। तब से इस घर की ओर वह नहीं आ पाती है । इसके कारण तो अन्य छात्रों को भी, उससे खतरा होगा , क्यों ने उसे, पुलिस वालों से ही पकड़वा दिया जाए ?

एक  दिन रमा के घर से, दो साये  बुरखे में, घर से बाहर निकलकर जा रहे थे।वह दो साये  और कोई नहीं , रमा और उसकी मम्मी ही थीं। जो दोनों पुलिस स्टेशन जाने के लिए घर से निकली थीं , दीपशिखा उन्हें पहचान ना सके इसलिए उन्होंने बुरखे पहने हुए थे , किन्तु तांत्रिक बाबा का ताबीज भी उन्होंने पहना हुआ था।जिससे उनकी जान को कोई खतरा ना हो।  


laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

Post a Comment (0)
Previous Post Next Post