जहां आग होती है ,
धुंआ भी, वही होता है।
इन अफवाहों का,
हर किसी पर असर होता है।
अफवाहें ,यूं ही नहीं बनतीं ,
मौका ए वारदात देख बनती हैं।
हुनर उसका है, जिसने ,
हो रहा था क्या ?क्या बना दिया?
कुछ तो सच्चाई थी ,
जो बाहर नहीं आई थी।
जिसकी ये बात थी ,
उसने अफवाह बता दिया।
'तुलसीदास'ने सांप को रस्सी समझा ,
इसमें भी, उनके प्रेम की सच्चाई थी।
जहां आग हो ,धुआं होता ही है।
आग कैसे और क्यों जली ?
यह नजरों का धोखा ही है।
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