शेफाली ' बाबा ब्रह्मानंद' जी के पास ,उन हिम से आच्छादित वादियों में पहुंच गई। जहां से वह ,दस वर्ष पहले , कुंभर्क के श्राप के कारण आ गई थी। वह देखती है, बाबा पहले से बहुत अधिक बुजुर्ग हो गए हैं , शायद उनकी दृष्टि भी क्षीण हो गई है ,शेफाली ,बाबा ब्रह्मानंद जी को अपने आने का उद्देश्य बताती है और बाबा को वह ,यह सूचना भी देती है। कि चंडालिका का पुनर्जन्म हो चुका है। तब वह बाबा से अपनी शक्तियों को वापस पाने का , तरीका जानना चाहती है। वह जानना चाहती है, कि वह किस तरह ,उस चंडलिका का सामना कर पाएगी ?बाबा गंभीर मुद्रा में चिंतन करने लग जाते हैं। बाबा !आप क्या सोच रहे हैं ?कोई उपाय तो होगा ,कोई तो ऐसी शक्ति होगी जिसके माध्यम से मैं ,उस चंडालिका की शक्तियों का सामना कर सकती हूँ।
उपाय तो है ,किन्तु वो इतना आसान भी नहीं है ,ब्रह्मानन्दजी गंभीरता से बोले।
शेफाली को एक उम्मीद जागी ,उतावलेपन से बोली -क्या उपाय है ?बाबा ! मुझे बतलाइये !
उसका रास्ता कठिन है ,हर कोई उस स्थान पर नहीं पहुंच सकता ,हिमाचल की तलहटियों में ,एक गुफा है ,उस गुफा में शैव भक्त ,एक'' अघोरी कपालीनाथ ''रहते हैं ,वे हर किसी से नहीं मिलते ,वहीँ एकांतवास करते हैं। उनके पास बहुत सी अद्भुत शक्तियां हैं , किंतु आम जनता के सामने वह ,उन शक्तियों का प्रदर्शन नहीं करते हैं। न ही किसी को उन शक्तियों का प्रयोग करने के लिए देते हैं , ताकि कोई उनका दुरुपयोग ना कर सके। हां, यह बात अवश्य है अगर वह तुमसे प्रसन्न हो गए तो उन शक्तियों को तुम्हें दे सकते हैं।
आप बाबा मुझे उनके पास जाने का रास्ता बतलाइए मैं , उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करूंगी ताकि वह मुझे शक्तियां दें और मैं उन शक्तियों से, आने वाली दुर्घटनाओं को रोक सकूँ।
उनके पास कोई एक शक्ति नहीं है उनके पास कई शक्तियां हैं , यह तो तुम्हारी कहानी जानने के पश्चात ही वो तुम्हें दे सकते हैं।
ठीक है ,बाबा ! अब आप मुझे उनके पास जाने का रास्ता भी बतला दीजिये ,मैं आज और अभी यहाँ से निकल जाती हूँ।
तुम अभी ठहरो ! कहते हुए बाबा ,मंदिर के अंदर जाते हैं और एक स्फटिक के मोतियों की माला लेकर आते हैं ,उसके मोती एकदम साफ और पारदर्शक थे ,उनके आर -पार देखा जा सकता था ,तब बाबा शेफाली से कहते हैं -ये मोती स्फटिक के हैं ,जब जैसी भी स्थिति होगी ,ये वही रंग ले लेते हैं ,यदि कोई काली शक्ति तुम्हारा पीछा कर रही है ,या तुम्हारे सामने है ,तब ये मोती काले पड़ जायेंगे ,तब तुम समझ लेना ,तुम जिसके भी साथ हो या जिससे भी बातें कर रही हो कोई काली ताकत है। इसी तरह कोई पवित्र आत्मा है ,तब ये इसी तरह रहेंगे। लाल हो गए ,तब कोई अग्नि शक्ति की ताकत तुम्हारे करीब है।
उस माला को लेते हुए ,शेफाली बोली -मैं समझ गयी बाबा ! किन्तु उस गुफा का मुझे कैसे पता चलेगा ?
यही माला सहायक होगी , उस द्वार पर जाकर ,ये बिजली की तरह चमकेगी।
इस तरह तो ये किसी भी ,संत -महात्मा के द्वार पर पहुंचकर चमक सकती है।
हाँ ,अवश्य चमकेगी किन्तु वे इसकी चमक कम नहीं कर सकते।
मतलब !मैं कुछ समझी नहीं।
मतलब !ये जब ये चमकेगी ,इसकी चमक को कपालीनाथ ही अपनी शक्ति से ही शांत कर सकते हैं। इसके करीब जितनी ज्यादा सकारात्मक ऊर्जा होगी ,उतना ही इसकी चमक बढ़ेगी।तुम यहाँ से सीधे ''खराहल ''के लिए निकल जाओ ! उस गांव में तुम्हें एक व्यक्ति मिलेगा ,जिसका नाम' मनोहर' है ,जो तुम्हें आगे का रास्ता दिखलायेगा।
क्या वो भी कोई साधु या संत है ?
ये जरूरी नहीं ,कि जिसने घर -बार छोड़ दिया ,वही साधु है ,वो अपने परिवार के साथ रहते हुए भी ,ईश्वर भक्त है ,हमेशा भक्ति में लीन रहता है। वो वहाँ बचपन से ही रह रहा है ,वहाँ की वादियों में पला -बढ़ा है। वहां के वो दुर्गम रास्तों से भी परिचित है ,जिन रास्तों पर आम आदमी कम ही जाते हैं। वो तुम्हें उन तक पहुंचा देगा।
वहाँ पहुंचने में कितना समय लग जायेगा ?
समय देख रही हो ,ये सोचो ! कपालीनाथ जी , तुम्हें मिल जाएँ ,यदि नहीं मिल पाए तो तुम्हारा भाग्य !
नहीं बाबा ! ऐसा मत कहिये ,वो तो मैं इसीलिए पूछ रही थी ,ताकि मैं समय रहते रमा और चिराग की सुरक्षा कर सकूं।
होगा तो वही ,जो विधि का विधान है ,इसमें न ही तुम कुछ कर सकती हो ,न ही मैं !यदि तुम बिना शक्ति के उससे लड़ना भी चाहोगी तो कुछ नहीं कर पाओगी ,हो सकता है ,अपने आप को भी न बचा पाओ !यदि उनकी किस्मत में जिन्दा रहना लिखा है ,तब किसी न किसी वजह से बच जायेंगे ,अभी फिलहाल तुम ये कामना करो !तुम जहाँ जा रही हो ,वह कार्य सिद्ध हो जाये ,''कपालीनाथ जी ''तुम्हें मिल जाएँ।
जी बाबा ! अब मैं आपसे विदा लेती हूँ क्योंकि यदि मुझे वहाँ पहुंचने में अधिक समय लगा तब आपसे मिलने शायद नहीं आ पाऊँगी ,सीधे उसी शहर के लिए निकल जाउंगी इसीलिए मुझे अभी अपना आशीर्वाद दीजिये ताकि मेरी यात्रा सफल हो।
बाबा मुस्कुराये ,खुश रहो !अपनी यात्रा में सफल हो ,तुम अब एक नेक दिल लड़की हो ,जब तुमने ठान ही लिया है ,तो अवश्य सफल होओगी कहते हुए ,बाबा ने अपना हाथ शेफाली के सिर पर रखा।
शेफाली, बाबा के चरण स्पर्श करती है , और वहां से एक उम्मीद से' खराहल ' गांव के लिए निकल पड़ती है।
इधर रमा सोच रही थी- अब वह अपने माता-पिता को, अपने भय का कारण बताकर रहेगी। न ही ,अब वो स्वयं डरेगी , न ही ,मम्मी -पापा को परेशान होने देगी। उसके शरीर पर अभी भी निशान दिख रहे थे। तभी वो ,ये सोचकर ड़र गयी , कहीं मेरे कारण मेरे घरवालों को परेशानी न उठानी पड़ जाये और वापस आकर अपने बिस्तर पर बैठ गयी। बिस्तर पर बैठे -बैठे रो रही थी ,उसे फिर से वही हादसा नजर आ रहा था। किस तरह दीपशिखा ,स्वर्णलता का सर ,एक ही झटके में ,धड़ से अलग कर देती है और उस बहते रक्त से ,कैसे अपना कटोरा भरकर उस रक्त को पीती है। सोचकर ही उसे उबकाई महसूस होने लगी। कुछ समझ नहीं आ रहा ,क्या करूं ?

