Shikshak patni

देता हूँ ,तुमको आज मैं ,ये पुष्प गुच्छ उपहार !

तुम जब से जीवन में आईं ,बदला है ,व्यवहार  !

आज खड़ा, देखता हूँ मैं ,अपना आचार -विचार !

जब तक तुम जीवन में न थीं ,पहले रहा बेकार !


 तुम्हारे आते ही ,इस जीवन में  बढ़ा सदाचार !

रहता था ,थोड़ा लापरवाह ! बनाया ज़िम्मेदार !

तुम मेरी शिक्षक , नचाती रहीं अपने इशारों पर !

जब से तुम जीवन में आई, हुए मेरे शुद्ध विचार !



इधर -उधर तनिक न झांक सकूं ,वरना पड़ती मार !

सहनशील बना  ,विद्रोह का तनिक न आता विचार !

कैसे उठना ,कैसे बैठना?सिखाया तुमने, कैसा अत्याचार !

तुम मेरे जीवन की शिक्षक बन,शिक्षित करो हर बार !


नमन तुम्हें है ,हे नारी ! इस शिक्षा के उदगार हैं  ,चार !

तुम मेरी शिक्षक ,प्रेरणा मेरी ,मिलता रहे ,तुमसे प्यार !

धन्य है !नारी ,सिखाया जीवन जीना सहकर अत्याचार !

उसने अपने साहस ,प्रेम ,त्याग से रचा ,समस्त संसार ! 


laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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