हर पड़ाव, पर हर पल, जिंदगी का नया सबक !
कुछ रिश्ते भी सीखला देते हैं ,कोई नया सबक़ !
गुरु भी सीखलाते हैं ,बहुत से..... ,नैतिक सबक !
जिंदगी भी देती है , हर रोज , इक नया सबक !
जो अनुभव हुए , एक मोटी किताब बन गए ,
किताबी 'सबक़ ' तो पन्नों में ही सिमटा रहा।
यह ''सबक'' तो जिंदगी की किताब बन गए।
कुछ'' सबक ''अपने बड़ों ने दिया, सही था ,
आज 'छोटों के सबक' भी बेहिसाब बन गए।
जिंदगी के उतार-चढ़ाव में हमेशा, अपने को सीखते ही पाया।
कुछ सबक' कसक' बन गए, तो कुछ 'सबक' जिंदगी बन गए।
यूं ही नहीं हुए ,'' श्वेत केश '' यह 'सबक' का इतिहास बन गए।
सबके अपने अनुभव ,अपने सबक और कुछ सबक' मिसाल 'बन गए।