Mukti

 मुक्ति किससे चाहिए ,और क्यों ?

मुक्त होना है ,अपनी नकारात्मकता से ,

मुक्त होना है ,छल -कपट से ,



मुक्त होना है ,अपनी बुराइयों से ,😔😔😔😔😔😔

तभी एक शराबी उधर बैठा -वह प्रवचन सुन रहा था। वह बोला -जब जिंदगी की मौज -मस्तियों से  मुक्त ही होना है , तो जीना ही क्यों है ? हम इस धरती पर आए ही क्यों हैं ? हमारे सामने ,हमारे प्रभु ने, मनोरंजन के साधन इसीलिए दिए हैं , ताकि हम उनसे विमुख हो जाएं, क्या यह हमारे प्रभु का अनादर नहीं है ? कल को वह हमसे नहीं पूछेगा -मैंने तुम्हारे मनोरंजन के लिए, इतने साधन छोड़े और तुम उनसे विमुख हो गए। 

शांत मानव शांत ! साधु बने, उस व्यक्ति ने उसके करीब आकर कहा -मुक्ति का एक रूप और भी है , सलाखों से मुक्ति , सजा से मुक्ति , पुलिस के डंडों से मुक्ति, परिवार की घृणा भरी नजरों से मुक्ति, उत्तरदायित्वों  से मुक्ति , जब तुम से शराब के नशे में ,अपनी ही पत्नी की हत्या हो जाए ,तब मुक्ति का यही मार्ग दिखलाई पड़ता है। 

 क्या ?? शराबी ने चौंक कर उनकी तरफ देखा 😦😦😦😦😦😦😦😦

मुस्कुरा कर उन्होंने उस शराबी के, शराब के नशे में बंद होते ,नेत्र खोल दिए। 

हरिओम ,हरिओम कहकर वो वहां से प्रस्थान कर गए। 

सच में, प्रभु ! सबका मुक्तिदाता है। 🤔🤔🤔🤔

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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