Jail 2[part 33]

हरिया की ट्यूबवेल ,पर विराट और उसका दोस्त नियत समय पर पहुंच गए , किंतु अभी तक श्याम,  नहीं आया था। विराट ने अपने दोस्त से पूछा-यार ! तू मुझे तो बता सकता है , तू कोई खुशखबरी लाया है या फिर कोई दुख की खबर है। 

अब यह तो मैं नहीं कह सकता, कि दुख की खबर है या सुख की , यह तो तेरे दोस्त के आने पर ही पता चलेगा। जहां तक मैं समझ रहा हूं , मुझे लगता है, तेरे दोस्त के लिए तो ,दुख की खबर ही होगी। 

यह तू  क्या कह रहा है ? विराट क्रोधित होते हुए बोला और तूने उससे दारू मंगाई है , उसे दुख की खबर सुनाने के लिए....... 



ठंड रख..... दारू से उसे ,उस सदमे को सहन करने की ताकत मिलेगी , समझा !खुशी में ही दारू नहीं पी जाती, गम में भी पी जाती है और मुझे तो लगता है, कि यह दारू ही , उसके गम से उसे ऊबारेगी।

 अभी दोनों यही बातें कर रहे थे , तभी दूर मोटरसाइकिल की आवाज उन्हें सुनाई दी , उन्होंने दूर से आते श्याम को देख लिया। अपना दोस्त जम रहा है, और जब से इसकी सगाई हुई है तब से तो इसके चेहरे की रौनक कुछ और ही हो गई है। अब तो किस्तों पर मोटरसाइकिल भी ले ली , ताकि अपनी उस बरखा रानी को इस पर बिठाकर घुमा सके। विराट ने अपने दोस्त से कहा। उसका दोस्त मुस्कुरा कर रह गया, और कर भी क्या सकता था ?

और भई ,क्या चल रहा है ? करीब आकर श्याम ने अपनी मोटरसाइकिल बंद की और अपनी मोटरसाइकिल में से एक बोतल और कुछ पैकेट भी निकाले। इनमें अवश्य ही खाने का समान होगा। सारा सामान अपने दोनों हाथों में भरकर ,वह अपने दोस्तों के पास , पहले से ही वहां पड़ी , एक चारपाई पर आकर बैठ गया।

तेरे ही इंतजार में थे , क्या लाया है ? ला निकाल ,खाने के लिए कहते हुए विराट ने, तीन पैग बनाए और खाने का सामान भी खोल लिया। तब विराट, श्याम से अपने साथ के साथ के लड़के के विषय में बताने लगा -यह मेरा दोस्त फिरोज है , इसी को मैंने, तेरे काम के लिए लगाया था। 

घूँट भरते हुए , श्याम ने पूछा -तब क्या पता चला ?

इतने जिंदा दिल इंसान को देखकर, फिरोज का दिल भर आया और वह सोच रहा था ,मैं किस तरह से अपनी बात की शुरुआत करूं ?

क्या हुआ ?अब बोलता क्यों नहीं ,मुंह में क्या ''दही जमा लिया है'' ?विराट ने पूछा। 

भाई तुमने जो लड़की बताई थी , मैं उसके स्कूल के करीब जाकर खड़ा हो गया , मैं उसकी  छुट्टी के इंतजार  में था। मैं खड़ा सोच रहा था ,कितनी देर तक और इंतजार करना होगा ? तब सोचा , कुछ देर अपने काम कर आऊं , तब आ जाऊंगा ,अभी छुट्टी होने में समय था।  अभी मैं खड़ा यही सोच रहा था , तभी मैंने एक लड़की को ,उस स्कूल से बाहर निकलते देखा। मैंने देखा, वह छुट्टी से दो घंटा पहले ,अपने स्कूल से बाहर निकलती है। 

तुझे कैसे ?मालूम !जो लड़की स्कूल से दो घंटा पहले बाहर निकली वह बरखा ही थी, श्याम ने प्रश्न किया। 

विराट ने जो तस्वीर मुझे दिखाई थी , वही लड़की थी, कहकर उसने विराट से कहा -,जरा इसे उस तस्वीर को दिखाना।

 विराट असमंजस में पड़ गया, वह सोच रहा था- इस वक्त मुझे वह तस्वीर इसे दिखानी चाहिए या नहीं, न जाने क्या स्थिति उत्पन्न हो जाए ? किंतु सही गलत की जानकारी भी तो तभी मिलेगी ,जब वह तस्वीर दिखाई जाएगी। यह सोचकर उसने अपने बटुए से एक तस्वीर निकालकर, उनके आगे रख दी और श्याम से बोला -यही तस्वीर तो तूने मुझे दी थी। श्याम ने उस तस्वीर को देखकर , अपनी सहमति जतलाई। तब विराट फिरोज से बोला - अब तू आगे भी कुछ बतायेगा  या पहेलियां ही बुझाता रहेगा। 

बता तो रहा हूं ,अपनी शराब का घूंट भरते हुए फिरोज बोला -मैंने  इस लड़की का पीछा किया, उस तस्वीर की ओर इशारा करके बोला। वह स्कूल से अपने घर नहीं, कॉलेज गई थी। 

हां यह बात तो मैं जानता हूं , वह बड़ी पढ़ाई कर रही है , तो कॉलेज तो जाना ही बनता है, श्याम ने गौरवान्वित होते हुए कहा। उन दोनों के सामने ,उसके मन  में थोड़ा अपनी होने वाली पत्नी के प्रति, उसकी पढ़ाई को लेकर गर्व महसूस हुआ। उन्हें यह जतलाना चाह रहा था कि मेरा ऐसी लड़की से विवाह हो रहा है जो बहुत अधिक पढ़ी- लिखी है। नया पैग़ बनाते हुए बोला -आगे बताओ!

मैं भी, उसके पीछे कॉलेज तक गया ,वह  कुछ देर इसी तरह बैठी रही , मैंने सोचा, वह किसी के इंतजार में है , किंतु उससे मिलने कोई नहीं आया। उसके पश्चात ,वह कॉलेज के दफ्तर में गई , मैंने सोचा-फीस या और किसी काम से गई होगी। मुझे कुछ भी गलत नहीं लगा और मैं वापस आने की सोचने लगा। 

तभी श्याम , विराट से खुश होते हुए बोला -देखा ,मैं नहीं कह रहा था , कुछ भी गलत नहीं है ,वह मुझसे थोड़ी शर्मा रही होगी। तब तुम वापस आ गए उसने फिरोज से कहा। 

हां, मैं आने की सोच ही रहा था , तभी मैंने उस दफ्तर का दूसरा दरवाजा भी देखा , जिससे निकल कर, लड़कों के हॉस्टल की तरफ जाया जाता है। वापस आने से पहले, मैंने सोचा -एक बार दफ्तर में झांक कर देख लूं। मैं जब दफ्तर के अंदर गया तो ,वहां वह नहीं थी , मुझे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ , अभी मेरे सामने कुछ देर पहले अंदर गई है , तब से मैं वहीं खड़ा था और न जाने कहां गायब हो गई ? तब मैं दफ्तर के दूसरे दरवाजे से निकाल कर गया। मैंने उसे आसपास ढूंढा , ढूंढते हुए मैं, लड़कों के हॉस्टल के तरफ चला गया। मैंने सोचा -यहां तो वह आ ही नहीं सकती, यहां तो लड़के रहते हैं। मुझे किसी की तलाश करते देख,  एक लड़के ने मुझसे पूछा -'किसे ढूंढ रहे हो?'

पहले तो मैं घबरा गया , किंतु फिर मैंने कहा -मेरी बहन इधर किसी काम से आई थी , अब न जाने किधर चली गई ?

अच्छा वह लड़की ! वह तो 'रूम नंबर टेन ' में है , अब इतनी अंग्रेजी तो मुझे आती थी, किसी से पूछने की जरूरत महसूस नहीं हुई और मैं उसे ''रूम नंबर टेन '' की तरफ बढ़ गया। वहां एक खिड़की से, मैंने  दे खा....... कहकर फिरोज रुक गया। 

क्या देखा ?उतावला होकर श्याम ने पूछा। और वह लड़कों के हॉस्टल में क्या करने गई थी ?

वही तो बता रहा हूं , वहां पर कोई लड़का पहले से ही मौजूद था , और वह उससे लिपट रही थी , दोनों में कुछ नोक- झोंक सी चल रही थी , बस में इतना ही सुन पाया , वह कह रही थी-किसी न किसी बहाने से मैं , उससे रिश्ता तोड़ दूंगी। जब वह उससे लिपट रही थी ,तब उसकी निगाहें खिड़की की तरफ गई , तब उसने मुझे देख लिया और बोली -वहां पर कोई है। इससे पहले की कोई और आता, मैं वहां से भाग आया। 

संपूर्ण वृत्तांत सुनकर , श्याम  को कुछ सूझ  नहीं रहा था कि वह क्या कहे और क्या करें ? जितनी भी उसने पी थी सब नशा उतर गया। वह तो जैसे हिल ही नहीं रहा था। अभी बरखा की पढ़ाई को लेकर ,उसके मन में जो गर्व महसूस हो रहा था , अब उसकी हरकतें सुनकर अपने उन दोस्तों के सामने अपने को लज्जित महसूस कर रहा था। तीनों ही शांत थे, किसी को भी कुछ कहते नहीं बन रहा था। शाम का समय था किंतु वहां पर एकाएक चुप्पी पसर गई। श्याम के मन में अनेक प्रश्न घूमड़ रहे थे , क्या सही है ?क्या गलत कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। मैंने उससे कोई जबरदस्ती तो नहीं की थी। 



यार.......  इसका मतलब वह, तुझे धोखा दे रही है , विराट ने, वहां आये निःशब्द मौन को तोड़ा। 

हो सकता है ,इससे रिश्ता बना लिया और उस लड़के को भी, ये बात न बताई हो ,उसे भी धोखा दे रही हो फिरोज ने अपना विचार व्यक्त किया। 

क्या तूने उसे लड़के को देखा है ? विराट ने फिरोज से प्रश्न किया। 

नहीं ,देख पाया वह तो धीरे-धीरे पता लगा लेंगे ,कि' कमरा नंबर 10' में कौन आता है ?या रहता है। तुम कहो तो ,उस लड़के की हड्डी भी तुडवा देंगे। साले  के हाथ पैर कटवा डालेंगे , उसने हमारी भाभी जी पर नजर डाली है । 

 नहीं , उसे भाभी कहने की कोई आवश्यकता नहीं , अभी हमारी बात ही तय हुई है, उससे कोई विवाह नहीं हो गया , किंतु यह बात तो मैं भी जानना चाहता हूं , यदि वह किसी और से प्यार करती थी , तब उसने मुझसे  रिश्ते के लिए हां क्यों की ? श्याम जैसे सदमे से बाहर आ गया। 

यदि उस लड़की से सीधे-सीधे पूछा जाए , वह तो झूठ ही बोलेगी , यदि उसे बताना होता, तो तब भी बता सकती थी जब तुम उससे मिलने गए थे। 


laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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