Jail 2 [part 32]

बरखा झूठ बोलकर अपने, स्कूल से बाहर आती है, आज उसे विशाल ने मिलने के लिए बुलाया था , इसी कारण , कॉलेज का बहाना करके प्रधानाचार्य से छुट्टी लेकर , स्कूल से बाहर निकल जाती है। स्कूल से सीधे कॉलेज पहुंचती है। श्याम के दोस्त विराट ने इसके लिए ,एक लड़के से बात कर ली थी। बरखा नहीं जानती थी ,कि किसी की नजरें उसके पीछे लगीं हैं। उस लड़के ने देखा ,ये लड़की सीधे कॉलिज ही आई है।बरखा भी होशियार थी , वह कुछ देर ऐसे ही बैठी रही और  कॉलिज के दफ्तर में पहुंच गयी ,वहां से दूसरे रास्ते से ,विशाल से मिलने के लिए निकल गयी। इतनी सतर्कता वो ,पहले से ही अपनाती रही है ,जबसे श्याम से रिश्ता जुड़ा है ,तबसे और सतर्क हो गयी है। वह लड़का कुछ देर उसकी प्रतीक्षा में रहा , तब सोचा , इसमें क्या गलत है ? कॉलेज ही तो आई है , विराट के दोस्त को वैसे ही गलतफहमी हो रही होगी। यह सोचकर वह वापस चलने के लिए उठा। 

 हॉस्टल के उस कमरे में पहुंचते ही ,बरखा विशाल से लिपट गयी। अब तुम्हारे बिना,अब  दिल नहीं लगता ,कितनी मुश्किल से ये दिन कट रहे हैं ? वो अपनी ही झोंक में बोले जा रही थी ,उसने देखा ही नहीं कि विशाल क्या सोच रहा है ?या वो उससे अबकि बार,इतनी शीघ्र मिलने क्यों आया है ?


विशाल ने बरखा को अपने से अलग किया और बोला -ये क्या ड्रामा लगा रखा है ?

उसकी बात और उसके लहज़े को समझ ,बरखा ने गौर से उसके चेहरे की तरफ गौर से देखा ,तो काँप गयी और बोली -कौन सा ?ड्रामा ! कैसा ड्रामा ?मैं कुछ समझी नहीं। 

तुम इतनी सीधी भी नहीं हो ,जो न समझ सको ! मैंने सुना है ,तुम्हारा विवाह तय हो गया है। क्या है ?ये सब ,तुम यहाँ मुझसे गले मिल रही हो ,उधर किसी दूसरे से, विवाह के लिए हामी भर दी। 

आज तुमसे मिलकर मैं ,यही तो बताने वाली थी ,मेरा विवाह तय हो गया है किन्तु अभी उस लड़के को मैंने इस शर्त पर विवाह के लिए हामी भरी है ,अभी मुझे अपनी पढ़ाई पूरी करनी है। तब तक वो, मेरी प्रतीक्षा करेगा। कुछ समय पश्चात ,किसी भी बहाने से या फिर झगड़ा कर ,उससे रिश्ता तोड़ दूंगी। अपनी बात बताकर बरखा ने विशाल से पूछा -तुम किसके कहने पर , यह सब कर रहे हो और मुझसे क्यों नाराज हो ? तुम्हें किसने बताया ?कि मेरा रिश्ता तय हो गया है , तुम क्या समझते हो मैं तुम्हें ऐसे ही छोड़ दूंगी ,कहकर वह मुस्कुराई ,वह वातावरण को हल्का बनाने का प्रयास कर रही थी और विशाल की नाराजगी को भी दूर करना चाह रह थी।   

 किंतु विशाल अभी भी नाराज था और बोला -तुम्हें इतना सब ड्रामा करने की आवश्यकता ही क्या थी ? सीधे-सीधे उससे कह देतीं  कि मैं अभी विवाह नहीं कर रही हूं, किसी और को धोखे में रखना भी तो गलत है। अब मैं यह कैसे यकीन कर लूं ? कि तुम मेरे जज़्बातों से नहीं खेल रही हो। तुमने उसके साथ विवाह का वायदा किया है , उसके घरवाले भी ,उसकी इस बात के साक्षी है। किंतु हमारे इस रिश्ते के, हम दोनों ही गवाह हैं। कल को वह तुम्हारे करीब आना चाहेगा , तुमसे बातें करना चाहेगा,तब क्या तुम उसे रोक दोगी ?

हां ,क्यों नहीं ?बरखा ने विश्वास से कहा। 

बस रहने दो ! तुम मुझे तो रोक न सकीं , झट से मेरे आगोश में आ गईं।  

 विशाल की बात सुनकर पहले तो बरखा को क्रोध आया, किंतु अपने को संभालते हुए बोली-क्योंकि मैं तुमसे प्यार करती थी, अभी भी करती हूं। 

ऐसा नहीं होता है ,अब तुम उसकी मंगेतर हो, तुमने इतना रिस्क लिया ही क्यों ? विशाल को उसकी बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था। वो तो दादाजी के मुंह से मैंने सुना, तब मुझे पता चला ,तुम्हारा विवाह तय हो गया है। 

एक  मिनट ! तुम्हारे दादाजी को कैसे पता चला ? कि मेरा विवाह तय हो गया है ,बरखा उसे रोकते हुए बोली। 

क्यों ?हमें पता नहीं चलना चाहिए था, इधर तुम मेरा मूर्ख बनातीं  ,उधर उसे लड़के का मूर्ख बनातीं , मेरे दादाजी को तुम्हारे विवाह में कोई दिलचस्पी नहीं है , वह तो तुम्हारा बाप ही आया था , विवाह के लिए पैसों की मदद मांगने , इसी से हम लोगों को पता चला। 

आज तक विशाल ने , कभी बरखा के सामने ऐसे शब्द प्रयोग नहीं किए थे , वह समझ रही थी, कि यह मेरे विवाह को लेकर परेशान है। तब उसके करीब आकर, उसके गले से लिपट कर बोली -अब तुम ही बताओ !मैं क्या करती ? पापा मेरे विवाह करने के लिए तैयार हैं, मैंने कई बार मना भी किया है, उनसे समय मांगते -मांगते दो-तीन साल हो गए। तब सोचा -इस विवाह के लिए हां कर देती  हूं , तब तक तुम भी अपने पैरों पर खड़े हो जाओगे और मैं भी, किसी अच्छी सी नौकरी पर लग जाऊंगी इसीलिए मैंने उस लड़के से भी समय मांगा। रही बात करीब आने की , वह मुझसे मिलना भी चाहता है और बात भी करना चाहता है किंतु मैंने उसे वहां से भगा दिया। मेरा प्रयास तो यही रहेगा , कि वह मेरे करीब ना आए, ज्यादा परेशान करेगा तो रिश्ता तोड़ दूंगी। घरवालों की बात भी रह जाएगी। तभी उसे कमरे की खिड़की से एक साया उन्हें दिखलाई दिया।ऐसा लग रहा था ,जैसे कोई उनकी बातें सुन रहा हो।  बरखा विशाल से अलग हो गई और बोली -देखो !जरा........  मुझे लगता है ,कोई हमारी बातें सुन रहा है।

 विशाल का ध्यान भटका, और खिड़की की तरफ जाते हुए बोला -कौन है ? किंतु जो भी था ,वह वहां से भाग गया। विशाल लापरवाही से बोला - शायद ,कॉलेज का ही कोई लड़का होगा। भाग गया।

 श्याम के दोस्त विराट ने, जिस लड़के को , बरखा के पीछे जासूसी करने भेजा था, वह दौड़ता हुआ, उसके करीब आया और बोला - भाई ! ऐसी खबर लाया हूं , जिसे सुनकर तेरे रोंगटे खड़े हो जाएंगे।

 क्या खबर है ?बता तो सही ,

 तेरे उस दोस्त की होने वाली पत्नी की खबर है। 

हां ,वह तो होगी, उसी की जासूसी के लिए तो तुझे भेजा था। 

भाई ,तेरा दोस्त तो लुट गया, वह तो बहुत चालाक लड़की है। 

उसकी रहस्यात्मक बातों को सुनकर, श्याम के दोस्त की दिलचस्पी उसमें बढ़ गई ,और बोला -कुछ बतायेगा भी या यूं ही पहेलियां बुझाता रहेगा।

 शाम को कुछ इंतजाम कर लेना,[उसका मतलब खाने और पीने से था ] तेरे दोस्त के सामने ही ,उसकी लैला की पोल खोलनी है। वह इस अंदाज में मुस्कुराया , कि स्वयं विराट के पेट में दर्द होने लगा,उसे लगा  लड़का अवश्य ही कोई तगड़ी खबर लाया है। उसके चले जाने के पश्चात, विराट ने , अपने दोस्त श्याम  को फोन लगा दिया। 

हेलो !उधर से आवाज आई। 

श्याम मैं विराट बोल रहा हूं ,

हां ,बोल !



तूने कहा था ना, तेरी मंगेतर का पता लगाने के लिए....... 

 विराट के इतना कहते ही, श्याम ने अपना काम छोड़ दिया और बोला -हां बता ,कुछ पता चला या मुझे ऐसे ही वहम था। 

भाई ,खबर तो तगड़ी है , कुछ जोरदार धमाका ही होने वाला है। 

कुछ बतायेगा भी ,या यूँ ही पहेलियां बुझाता रहेगा श्याम परेशान होते हुए बोला।

विराट को उस खबर का ,स्वयं भी कुछ पता नहीं था क्योंकि उसके दोस्त ने, उसे ही कुछ नहीं बताया तब वह श्याम से कैसे बताता ? किंतु श्याम के मन में भी उत्सुकता जगानी थी , तब वह आवाज़ धीमी करके बोला -ऐसी  बातें फोन पर नहीं होतीं , शाम को हरिया की ट्यूबवैल पर आजा , वहीं  मिलकर बात करते हैं। और हां , कुछ. पीने पिलाने का........ इंतजाम करके आईयो ! कह कर विराट ने फोन काट दिया। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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