संपूर्ण घर में, एक अच्छी सी खुशबू फैल गई , श्याम की मां देखना तो ,यह महक कहां से आ रही है ?
उनकी पत्नी ने इधर-उधर देखा , और श्याम के कमरे में पहुंच गई। बेटे को तैयार होते देख मुस्कुराई , वही खुशबूदार ,कोई चीज लग रहा था। खुश होते हुए, आकर अपने पति को बताया -आपका लाडला ही है , अपने शरीर पर वही , यह खुशबू लगा रहा है , वही महक है , जो सारे घर को महका रही है। लगता है, 'बरखा का प्रेम '''सर चढ़कर बोल रहा है''। अभी तो दुल्हन आई भी नहीं , और यह देखो ,इसने खर्च करना आरंभ कर दिया ।
अपने बेटे की बात सुनकर पिता भी मुस्कुराए , अब खर्च नहीं करेगा तो कब करेगा ?हमारी, तुम्हारी उम्र में , भई ,उसका ब्याह होने वाला है। कहीं ऐसा तो नहीं ,उससे मिलने ही जा रहा हो। बेटे को देखकर दोनों खुश हो रहे थे , और बेटा बरखा को स्मरण कर खुश था। श्याम के पिता का अंदाजा सही निकला , आज श्याम ने , बरखा से मिलने की योजना बनाई है। उससे मिलने जाने के लिए ही ,यह खुशबू लगाई जा रही है। उसके घर तो जा नहीं सकता , सोचा- जहां वह पढाती है ,वहीं चला जाऊंगा। उस स्कूल के नजदीक जाकर, उससे मिलने के बहाने सोच रहा था , किस बहाने से उससे मिला जाए ? तभी उसे एक विचार आया, और उसने स्कूल के चपरासी से कहा -मुझे ,बरखा मैडम ने बुलाया है।
चपरासी ने सोचा -ये किसी बच्चे के रिश्तेदार होंगे ,उसके कारण ही, ये यहाँ आये होंगे। श्याम को प्रतीक्षा करने के लिए कहकर ,वह बरखा को बुलाने चला गया। उसकी कक्षा में जाकर बोला -मैडम !आपने जिन्हें बुलाया था, वह मिलने आए हैं।
कौन मिलने आया है ?मैंने तो किसी को भी नहीं बुलाया था। तुम उनसे इंतजार करने के लिए कहो ! मैं अभी आती हूं। न जाने किस बच्चे के माता -पिता हैं ?कहीं मेरी शिकायत करने ही तो कोई नहीं आया। मैं अपना कार्य भली -भाँति कर रही हूँ। सोचते हुए ,वो स्कूल के उस गलियारे में पहुंचती है ,जहाँ माता -पिता को अध्यापिका या अध्यापक से मिलने के लिए बैठाया जाता है। अकेले बैठे एक व्यक्ति को देख ,वह दूर से ही पहचानने का प्रयास कर रही थी , यह किसी बच्चे के पिता हो सकते हैं। नजदीक पहुंच कर देखा तो चौंक गई और बोली - तुम , यहां कैसे ? तुम यहां क्यों आए हो ? अचानक ही ,उसे देखकर हड़बड़ा उठी और उसको देखकर प्रसन्न होने की बजाय ,हड़बड़ाकर पूछ बैठी -तुम यहाँ क्यों आये हो ?
श्याम मुस्कुराते हुए बोला- इतनी क्यों हड़बड़ा रही हो ,तुमसे मिलने आया हूं।
अब तक बरखा संभल चुकी थी , उससे बोली-क्या यह मिलने का समय है ? स्कूल में इस तरह कौन मिलने आता है ? प्रधानाचार्य ने देख लिया , तो पूछेंगे कि कौन था ? तब मैं क्या जवाब दूंगी ?
कह देना, किसी बच्चे की शिकायत लेकर आए थे।सच भी बोल सकती हो ,इसमें कोई बुराई भी नहीं।
ठीक है ,अब तुम जाओ ! यहां से....
बरखा के इस रुखे व्यवहार से ,श्याम दुःखी तो हुआ किन्तु सोचा -शायद ,मेरे इस तरह आ जाने से घबरा गयी है ,तब उसने बरखा से कहा -तुमसे अकेले में मिलना चाहता हूँ ,हम कहाँ मिल सकते हैं ?
हम कहीं नहीं मिलेंगे ,न ही मैं ,तुमसे मिला चाहती हूँ।
उसके इस जबाब से श्याम को बुरा लगा ,क्या तुम मुझसे विवाह नहीं करना चाहतीं ?
अब बरखा को एहसास हुआ, उसने जल्दबाजी में कुछ ऐसे शब्द बोल दिए हैं, जो कि श्याम को अच्छे नहीं लगे , यदि इसने घर में जाकर कुछ कह दिया , तो बनी बनाई बात बिगड़ जाएगी इसलिए अपने शब्दों को बदलते हुए बोली - मना किसने किया है , किंतु यह जगह इस तरह की बातें करने की नहीं है , यह स्कूल है। हम मिलेंगे, जब मेरे स्कूल की छुट्टी होगी। कह कर उसे हाथ पकड़ कर जबरदस्ती श्याम को उठाया और बाहर का रास्ता दिखा दिया।
श्याम समझ नहीं पा रहा था , यह उसका कैसा व्यवहार है ?
बरखा अंदर आई , और उस स्कूल के चपरासी से कहा -यदि यह लड़का दुबारा आये , तो इसे स्कूल में घुसने मत देना। चपरासी कुछ भी नहीं जानता था , उसने सोचा -यह कोई ,राह चलता मनचला आशिक होगा। इसीलिए मैडम जी ,ने इसको अंदर आने से मना किया है। अब जब भी कभी, श्याम मिलने का प्रयास करता , तब वह चपरासी उसे स्कूल में घुसने नहीं देता और न ही स्कूल के आसपास खड़े होने देता। श्याम सोच रहा था -मैंने तो सोचा था ,जब तक विवाह नहीं हो जाता है ,तब तक हम एक -दूसरे से मिलकर ,एक -दूसरे को जानेंगे किन्तु बरखा ने उसे मिलने का एक भी मौका नहीं दिया।
एक दिन श्याम ,ऐसे ही उदास ,परेशान था ,उसके दोस्त ने पूछा -यार ! मैंने तो सुना है ,तेरा रिश्ता तय हो गया है ,और तू ,खुश होने की बजाय ,उदास नजर आ रहा है। क्या बात है ?अपने यार को नहीं बतायेगा।
तब श्याम ने, बरखा से हुई सारी बातें अपने दोस्त को बता दीं।
उसकी सम्पूर्ण बातें सुनकर उसका दोस्त बोला - तेरी बातों को सुनकर तो मुझे लगता है ,वह तुझसे विवाह नहीं करना चाहती , उसे तुझमें कोई दिलचस्पी ही नहीं है वरना एक लड़का -लड़की एक दूसरे से मिलने के लिए आतुर रहते हैं , जिनका कि परिवार के सामने ही रिश्ता तय हुआ है। एक दूसरे को जानने का प्रयास करते हैं किंतु वह तुझमें कोई दिलचस्पी ही नहीं ले रही है।
इसी बात से तो मैं परेशान हूं श्याम बोला।
इसके दो ही कारण हो सकते हैं , या तो वह तुझसे विवाह नहीं करना चाहती या फिर उसका कोई और दोस्त है।
ऐसा कैसे हो सकता है ? मैंने तो उससे पूछा था -क्या तुम्हें मैं पसंद हूं ? उसने अपनी सहमति जतलाई थी।
हो सकता है ,उसने मौके की नजाकत को देखते हुए ,उसने उस समय हामी भर दी हो और अब तुमसे मिलने से कतरा रही है।
अब तू ही बता ,इस बात का मैं कैसे पता लगाऊं ? उसके स्कूल का चपरासी, मुझे उस स्कूल के आसपास भी नहीं फटकने देता।
मुझे तो लगता है ,उससे भी बरखा ने मना किया होगा वरना उस स्कूल के चपरासी को तुझसे क्या दुश्मनी होगी ?
यह बात तूने सही कही , जब मैं शुरुआत में गया था , तब तो उसने मुझे नहीं रोका बल्कि उसे बुलाकर लाया था। अब तो मुझे लगता है अवश्य ही बरखा नाम की, इस मास्टरनी में ही कहीं गड़बड़ है। श्याम का क्रोध उसके शब्दों में आ गया।
उसकी सच्चाई का पता तो, उसका पीछा करके ही लगाया जा सकता है। वह कहां जाती है, क्या करती है? यह सब पता लगाना होगा।
मुझे तो वह पहचानती है , तू क्या मेरे लिए काम करेगा ?
मैं भला कैसे ? नहीं ,नहीं मैं तुझे सलाह दे सकता हूं किंतु किसी का पीछा करना..... नहीं ,नहीं यह सब मुझे नहीं होगा। तू किसी और से बात कर ले।
दोस्त होकर भी, तू अपने दोस्त के काम नहीं आएगा , श्याम ने उसकी चिरौरी की।
अच्छा चल मैं देखता हूं , मेरा एक दोस्त है , उससे कहता हूं , वह सारी जानकारी बाहर निकाल लायेगा।
आज फिर एक लड़का , बरखा से मिलने आता है और उससे कुछ कह कर चला जाता है।
सर !मुझे आज आधे दिन की छुट्टी चाहिए ,कुछ देर पश्चात ,बरखा प्रधानाचार्य जी के कक्ष में उपस्थित थी।
क्यों ,किस लिए ?
सर मुझे अपने कॉलेज जाना है , कॉलेज के काम के लिए , मुझे छुट्टी चाहिए।
छुट्टी के बाद भी तो ,जा सकती हो।
नहीं सर ! उनका दफ्तर बंद हो जाएगा , मुझे दफ्तर में ही कुछ कार्य है। मैंने बच्चों को' गृह कार्य' भी दे दिया है और उनकी कॉपियां भी जांच दी हैं। मैंने दूसरी अध्यापिका को भी समझा दिया है , वह बच्चों को संभाल लेंगीं।
ठीक है, जब तुमने अपना कार्य पूर्ण कर दिया है तो मुझे क्या आपत्ती हो सकती है ? तुम जा सकती हो। प्रधानाचार्य की कहते ही, बरखा स्कूल से बाहर निकल जाती है किंतु वह यह नहीं जानती थी- कि समय क्या खेल ,खेल रहा है ?

