''अफवाह '' सच कहां होती है ?
''अफवाह ''क्षणिक ही होती है ?
किसी नव् यौवना सी उभरती है।
'अफवाह 'की उम्र कहां होती है ?
सामान्य 'यौवन सी' ढल जाती है।
'अफवाह 'तो बेटी का मायका है ,
कुछ दिन ही, उसे यहां रहना है।
कुछ दिनों की, मेहमान होती है।
कुछ अलबेली ,'छैल छबीली 'है।
दुल्हन सी आती है ,सच बन जाती है।
कुछ दिन बहुत चलती है,चमकती है।
''फेसबुक ''की रील सी दिखलाई देती है।
जब सच खड़ा होता है, भाग खड़ी होती है।
'सच 'देर से आता है ,अडिग खड़ा रहता है।
भ्रमित करते हैं, दोनों ,पति -पत्नी जैसे रहते हैं।
'अफवाह और सच'दोनों की,कुछतो कारस्तानी है।
डरती हूँ !
अनेक बाधाओं से परे ,
भरनी है ,मुझे उड़ान !
मेरे' हौसले 'इतने 'बुलंद' हैं।
डरती हूं........
कहीं ,छोटा न पड़ जाए 'आसमां '
