Haunted [part 37]

''हॉन्टेड ''विद्यालय में, खेल के वार्षिकोत्सव चल रहे हैं। जो एक बड़े श्मशान में आयोजित किया जा रहा है। सबसे पहला खेल था -''हपस की खोपड़ी '' जिसमें कपाली समूह के सूरज ने भी ,प्रतियोगिता में भाग लिया था। और उसने इस विद्यालय में सबसे पहला रिकॉर्ड बनाया। यह खेल दो चक्कर में ही, पूर्ण हो गया जिसे आज तक कोई भी ,अनेक चक्कर लगाने के पश्चात भी ,पूर्ण नहीं कर पाया। इस विद्यालय का नाम 'सूरज' स्वर्ण अक्षरों में लिखवा दिया। सूरज ने ,अपने दो चक्कर में ही, उस खोपड़ी को भर दिया जिसे आज तक कोई न भर सका था।  यह सबके लिए बहुत ही अविश्वसनीय था, किंतु यह '' कपाली समूह ''के सूरज ने कर दिखाया , हमारे लिए यह बड़े गर्व की बात है। उस खेल के आयोजक'' प्रधानाचार्य नटवरलाल जी ''ने , मंच पर प्रशंसा में कुछ शब्द कहे ! आज फिर , यानी दूसरी रात्रि को , अब  दूसरे खेल का आयोजन होगा। दूसरा खेल है -''अग्नि शक्ति ''


जो पुराने विद्यार्थी हैं, वह तो इस खेल  के विषय में जानते हैं, किंतु जो नए विद्यार्थी और दर्शक हैं ,उनको मैं इस खेल के विषय में समझा देता हूं। 'अग्नि शक्ति 'जैसा कि नाम से ही मालूम पड़ता है। अग्नि यानी आग का गोला हमारे अध्यापक एक समूह की तरफ उछालेंगे। वह गोला किसी को लगना नहीं चाहिए , जिसकी तरफ वह गोला उछाला जाएगा ,वह अपनी शक्ति से प्रयास करके विरोधी समूह की तरफ उस गोले को फेंकेंगे। विरोधी समूह के किसी भी सदस्य को ,अगर यह गोला लग जाता है , तो वह वहीं ' भस्म 'हो जाएगा। सभी नए दर्शक और नए विद्यार्थी इस खेल को सुनकर ''दांतो तले उंगली दबाने लगे। '' 

इतना खतरनाक खेल , कोई कैसे खेल सकता है ?इसमें तो जान जाने का खतरा है। एक दर्शक बोला - उसकी बात सुनकर अन्य लोग भी हंसने लगे और बोले -जान तो पहले ही निकल चुकी है। बस यह समझो, तुम्हारे 'अस्थि पंजर' भी नहीं दिखेंगे ,सुनकर वह भी ,हंसने लगा । इस खेल को रोमांचक बनाने के लिए , दर्शकों में यह बात कही जाती है। रोहित'' रूद्र समूह '' में था। अपनी समूह की तरफ से वह इस खेल को खेल रहा था। 

प्रधानाचार्य नटवरलाल जी, की बात सुनकर , रोहित के सभी दोस्त परेशान हो उठे , अभी तो वह बच्चा है , इतना अभ्यास भी नहीं हुआ होगा। गोला तो किसी ना किसी को लग ही सकता है , निम्मी  बुरी तरह घबरा गई। रोहित और तन्मय अपने दोस्तों में , निम्मी, टॉम और सूरज से बड़े थे इसीलिए निम्मी ने तन्मय से कहा -रोहित को इस खेल के लिए मना कर दो ! वह यह खेल नहीं खेलेगा। 

तन्मय ने निम्मी को समझाया , रोहित होशियार है, वह सब संभाल लेगा , तब निम्मी रुआँसी हो गई और बोली-हम रोहित को नहीं खोना चाहते, तुम उससे मना कर दो !

निम्मी की बेचैनी और परेशानी देखकर तन्मय रोहित के पास गया ,और उसे सम्पूर्ण  बातें बताईं , तब रोहित हंसकर बोला -मुझे कुछ भी नहीं होगा , निम्मी से कह दो !

खेल आरंभ होता है ,'' डेविड पिशाच ''ने ,एक ''अग्नि गोला ''छात्रों की तरफ उछाला ,तभी सभी छात्र ,उस गोले की तरफ लपके और दूसरे समूह की तरफ वह गोला अपनी शक्ति से उछाल दिया। सभी दर्शक ,और छात्र ,ध्यानपूर्वक इस खेल को देख रहे थे। दिल ही दिल में, सभी घबरा भी रहे थे , न जाने यह गोला किस की मौत लेकर आएगा ? बड़ा ही रोमांचक खेल चल रहा था , तभी एक गोला दूसरे छात्र को लग गया और वह वहीं  राख की ढेरी बन गया। इस बात का सभी को अफसोस भी हुआ , इस खेल का नियम ही यही था , इस समूह के छात्र , सबसे कम होंगे वही समूह  हार जाएगा। सभी का भरसक प्रयास था , अपने साथी  छात्रों को बचाना और अपना भी बचाव करना। पता नहीं ,कब किधर से गोला आकर  लग जाए ? वह गोला हवा में कभी दाएं कभी बाएं कभी ऊपर कभी नीचे घूम रहा था ,सभी  अपनी -अपनी शक्तियों का प्रयोग कर रहे थे और प्रयास कर रहे थे , विरोधी समूह को शीघ्र से शीघ्र हरा सकें। 


दोनों ही पालों में ,बारह -बारह  छात्र थे , दोनों ही तरफ के तीन- तीन छात्र नहीं रहे थे। यह सब के लिए दुखद था ,किंतु किया भी क्या जा सकता है ? खेल ही इसी तरह का है , सबको पहले ही समझा दिया जाता है। किसी को इस में भाग नहीं लेना है ,तो वह इंकार कर सकता है। सभी भूत गण, जब दूसरे समूह का , एक छात्र कम हो जाता , तब दूसरे समूह के लोग तालियां बजाते , इस तरह दर्शक भी दो हिस्सों में बट गए थे। कुछ'' रूद्र समूह '' की तरफ थे , कुछ'' नील समूह ''की तरफ थे। जब 'नील समूह' का  एक सदस्य कम होता , तब'' रूद्र समूह'' के दर्शक ताली बजाते। अभी तक दोनों तरफ नौ -नौ  छात्र बचे थे। तब हिम्बा चुड़ैल ने  आकर , उस गोले को स्थिर कर दिया , ताकि थके हुए छात्र ,थोड़ा आराम कर सकें। इस तरह खेल को बीच में रोक देने पर, दर्शकों को अच्छा नहीं लगा। मध्य रात्रि का लगभग 1:00 बज रहा होगा। सभी छात्र अच्छा खेल रहे थे ,तब सभी छात्रों के लिए ,समय सीमा निश्चित कर दी गई। यानी 3:00 बजे तक यह खेल समाप्त हो जाना चाहिए। 

पुनः खेल आरंभ किया गया , सभी छात्र अपनी पूरी ताकत से और विश्वास के साथ खेल में जुट गए। देखने से लग रहा था दोनों ही समूह के छात्र बहुत ही बुद्धिमान हैं , संयम से खेल रहे थे। अपनी तरफ से कोई भी चूक नहीं होने देना चाह रहे थे। रात्रि के 2:00 बज चुके थे ,एक घंटा अभी बाकी था ''नील समूह''के दो छात्र कम हो गए थे। सभी की नजरें ''रूद्र समूह ''पर टिकी हुई थीं। सभी को'' रूद्र समूह ''के जीतने की उम्मीदें  नजर आ रही थीं और दर्शकों में से चिल्लाने की आवाजें आ रही थीं - रूद्र ! रूद्र ! रूद्र !

तभी'' रूद्र  समूह ''का भी, एक छात्र कम हो गया। रूद्र समूह के सभी छात्र आपस में ,वार्तालाप करते हैं -किसी भी तरह से , एक  घंटे से पहले , अपने समूह के किसी छात्र को , उस गोले को नहीं छूने  देना है। यदि हमारा एक छात्र भी , उनसे ज्यादा होगा तो हमारा समूह जीत  जाएगा। ''नील समूह '' के सभी छात्रों का प्रयास था , कि रूद्र समूह को , हरा ना सके , तो टक्कर बराबर की हो जाए। बहुत ही रोमांचक दृश्य था, देखने में ऐसा लग रहा था जैसे , चांद भी पूरब से उतरकर  पश्चिम की तरफ, मुड़ मुड़ कर देख रहा है , सभी तारे स्थिर हो गए हैं। उल्लू ,गीदड़ ,सियार , जितने भी निशाचर हैं , उसी श्मशान के मैदान में , उस ''अग्नि गोला '' खेल का आनंद ले रहे हैं। और यह जानना चाहते हैं , किस समूह की जीत होती है ? तभी एक छात्र टॉम के बराबर में आकर बैठ जाता है , उसे देखकर टॉम बुरी तरह घबरा जाता है। उसकी तो लगभग चीख  ही निकल जाती , यदि उस छात्र ने उसके मुंह पर हाथ नहीं रख दिया होता। आखिर यह छात्र कौन है ? जिसे देखकर टॉम की चीख निकलते -निकलते रह गयी। खेल का क्या परिणाम आया ? जानते हैं ,'' हॉन्टेड ''के अगले भाग में

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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