बरस में एक दिन, ऐसा आता है ,
जो कई वर्षों.... पीछे ले जाता है।
इस सुनी कलाई का एहसास...
उस बहना की याद दिलाता है।
फूली -2 फूलों वाली फ्रॉक पहने,
पीछे पीछे आती थी।कभी लड़ती ,
कभी रूठती ,कभी मनाती थी।
अपने भाई के लिए ,सबसे बड़ी ,
और चमकीली राखी लाती थी।
इसे पहनेगा भाई मेरा........
इसी बात से खुश हो जाती थी।
अपने मन से सुंदर थाली सजाती थी।
तेजस्वी भाल पर ,लम्बा तिलक लगाती थी।
आज बहना दूर हुई ,राखी उसने भेजी है।
इस कविता संग ,कुछ दुआएं भी भेजी हैं।
दूर है ,भाई मेरा..... आंखें नम होती होंगी।
मुस्काती है आज भी दुआएं मेरे संग होंगी।
सुनी ना रहे ,मेरी कलाई बाजार जाती होगी।
छोटी ,प्यारी राखी , मेरे लिए छाँटती होगी।
उस नन्हीं राखी के धागों में उसकी दुआ,
और उसकी प्यारी ,मीठी मुस्कान होगी।
भाइयों को समर्पित
