Khoobsurat [part 66]

 नित्या अपने पति प्रमोद से नाराज थी ,घर की शादी में उन्हें शीघ्र आना चाहिए था किन्तु वो बारात के साथ आ रहे हैं। तब प्रमोद मुस्कुराते हुए ,बताता है -मेरे एक सहयोगी का भी विवाह था ,उसने भी मुझे बुलाया था ,मैंने उससे मना कर दिया था किन्तु जब उसके साथ बारात में आ रहा था ,तब उसने भी मुझसे पूछा -सर !आप तो किसी अन्य व्यक्ति के विवाह में जाने वाले थे।

तब उसे मैंने बताया था-  वो कोई अन्य व्यक्ति नहीं,वरन मेरी साली है और मैं वहीं जा रहा हूँ। 

सर !मैं कुछ समझा नहीं। 


 भाई !तुम मेरी साली से ही विवाह करने जा रहे हो और मैं भी इस विवाह में जा रहा हूं। नित्या को आश्चर्य भी हुआ और डर भी लगा कहीं कुछ गलत ना हो जाए। जो नित्या अब तक स्वतंत्र रूप से हर चीज का सामना कर रही थी ,आज न जाने क्यों ? मन ही मन वह डर रही थी और सोच रही थी - हे भगवान ! यह विवाह अच्छे से पूर्ण हो जाए।

 रंजन की नजरों के सामने आने से नित्या बच रही थी, किंतु विवाह का, कोई न कोई कार्य उसे उसके सामने ले ही जाता, जब उसे रंजन की नजरों का सामना करना पड़ जाता हालांकि उनके बीच ऐसा कुछ भी गलत नहीं था लेकिन एक डर उसके अंदर समा गया था।उसने यह बात शिल्पा को भी नहीं बताई कि मेरा पति तुम्हारे पति का बॉस है। अब तक तो वो मुझे रिश्ते के नाते अपना मानती रही है किन्तु फिर भी उसे अपने परिवार पर, पैसे पर बहुत घमंड है ,जिसको नित्या ने हमेशा से ही नजरअंदाज किया किन्तु अब उसे ड़र लग रहा था ,एक अनजाना भय उसके अंदर समा गया था।  

दूल्हे के लिए विशेष रूप से खाना ले जाया गया था , उसके मित्र,सभी एकसाथ बैठकर विशेष रूप से दूल्हा -दुल्हन के लिए सजाई गयी मेज पर भोजन कर रहे थे। प्रमोद ने नित्या को वहां पर बुलाया था लेकिन नित्या ने आने से इनकार कर दिया, बोली- मैं खाना खा चुकी हूं,अभी मुझे थोड़ा काम है। 

, शिल्पा की 'जयमाला' के समय नित्या उसके साथ नहीं जाना चाहती थी किंतु शिल्पा ने ही उसे जबरन अपने साथ चलने के लिए कहा था। नित्या और रंजन में विवाह से पहले क्या बातें हुई थीं ?ये सिर्फ़ रंजन और नित्या ही जानते हैं। 

 रंजन उसे भुला देता, या भूलने का प्रयास करता किंतु सब कुछ उसके सामने है उसने एक नजर शिल्पा को देखा, जैसे-' रंजन, नित्या से पूछ रहा था -मुझे तुम पसंद थीं, फिर तुमने मेरे साथ ऐसा क्यों किया ? नित्या  ने नजरें  फेर लीं और बोली -जयमाला ,का समय हो गया है ,माला डालिये !

ऐसे समय में दूल्हा और दुल्हन को उसकी साखियां और दोस्त घेरे बैठे रहते हैं, एक बार भी उन्हें समय नहीं मिलता कि वो अकेले रहें। रंजन की नजरें नित्या को हर पल ढूंढ रही थीं ,जयमाला होते ही ,नित्या भीड़ में से ग़ायब हो गयी। 

 एक बार उसे मौका मिल ही गया,जब वो फेरों में जाने के लिए तैयार हो रहा था ,तभी उसने खिड़की से नित्या को देखा ,अचानक ही वह जाकर उसके सामने खड़ा हो गया और बोला -तुमने मेरे साथ ऐसा क्यों किया ?

मैंने तुम्हारे साथ क्या किया ?

तुम जानती हो, कि मैं तुम्हें पसंद करता हूं, तुम्हारे लिए उस घर में आता था।

 उसकी बात काटते हुए नित्या ने कहा -तुम्हारी पसंद ही नहीं चलेगी , मेरी भी तो पसंद होनी चाहिए, मुझे तुम पसंद नहीं थे। तुमसे शिल्पा प्रेम करती है, तुम्हें उसके साथ रहना चाहिए उसका साथ देना चाहिए और अब तुम्हारे साथ उसका विवाह भी हो रहा है ,अपनी भावनाओं को नियंत्रण में रखो !जाते -जाते वापस आकर बोली -और ये मत भूलो ! अब मैं भी शादीशुदा हूँ ,ये तुम्हारी बातें अब कोई मायने नहीं रखतीं।   

आखिर तुम चाहती क्या हो ?तुम अपने को क्या समझती हो ,क्या मैं समझता नहीं ? तुमने अपनी बहन के लिए मेरा त्याग किया है ? गुस्से से आगे बढ़कर उसका पल्लू पकड़ता है ,रंजन ने पूछा -तुमने विवाह किया भी तो मेरे बॉस से। ... मुझे चिढ़ाना चाहती थीं। 

मेरा पल्लू छोडो !यहाँ कोई भी आ सकता है ,घबराहट से नित्या का चेहरा लाल पड़ गया ,रंजन ने तुरंत ही उसका पल्लू छोड़ा, नित्या बोली -मुझे मालूम नहीं था कि प्रमोद तुम्हारा बॉस है, और अब तुम यह मत बोलो ! कि मैं तुम्हारे बॉस की बीवी हूं, कहते हुए नित्या बोली -ये बात अभी शिल्पा को मालूम नहीं है और प्रयास करना ,जहाँ तक हो सके उसे ये बात पता न चले ,कहते हुए वहां से तेजी से चली गई। 

रंजन सोच रहा था ,ये इसने क्या कहा ?क्या ये चेतावनी थी ?

इधर नित्या का हृदय घबराहट में ,उस तेज संगीत की धुन पर साथ देने लगा ,जहाँ लोगों को अपनी ही आवाज सुनाई नहीं देती। उसने आस -पास देखा और पानी पिया अपने आपको शांत करने के लिए एक कुर्सी पर बैठ गयी।मन ही मन सोच रही थी -बैठे -बिठाये ये क्या नई मुसीबत सामने आ गयी ?तब वह रंजन के विषय में सोचने लगी -ऐसा नहीं, कि रंजन अच्छा लड़का नहीं है ,इन दोनों को मिलाने के लिए ही तो मैंने उसे अपने घर आने दिया था और मुझे लग भी रहा था ,ये शायद शिल्पा को पसंद करने लगा है, उसके लिए ही यहां आता है, दोनों कितनी बातें करते थे किन्तु उस दिन पूछने पर स्पष्ट हो गया, कि वो यहाँ क्यों आता है ?इसीलिए मैं परीक्षा परिणाम को जाने बग़ैर ही अपने घर आ गयी थी। शिल्पा बचपन से ही ,पैसे में रही है ,हालाँकि वो ऐसा कुछ भी प्रयास नहीं करती कि उसका घमंड कहा जाये किन्तु अपनी इच्छा और इतनी सुविधाओं में जी है,उसका  मनमाना स्वभाव बन गया। 

बुआजी को यदि रंजन की सोच के विषय में पता चल जाता तो सारा दोष मुझ पर मढ़ देतीं। बुआ जी ,मुझे यहाँ अपने लिए लाई थीं ,पढ़ाई कराने का तो सिर्फ बहाना था ,अपनी इकलौती बेटी के साथ के लिए कोई ऐसा साथी ढूंढ़ रहीं थीं जो उसकी ख़ुशी के लिए ही सब कुछ करे। उसका साथ दे ,उसके रूप -रंग के कारण, उसके मन में जो हीनभावना पनप रही थी, जिसके कारण वह ज़िद्दी और गुस्सैल हो गयी थी, उसको संभाल सके ,एक ऐसा साथी चाहती थीं, जिस पर वे भरोसा कर सकें।  उन्होंने मुझे बच्ची समझा था किन्तु मैं इतनी नादाँ भी नहीं कि मैं समझ न सकूं उनके घर में मेरा क्या वज़ूद है ? 

अरे !तुम यहाँ क्या कर रही हो ?इतनी देर से तुम्हें ढूंढ़ रहा था ,ये कहकर प्रमोद ने उसके कंधे पर हाथ रखा पहले तो नित्या डर गयी किन्तु प्रमोद को देखकर मुस्कुरा दी।  


laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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