Haunted [part 34 ]

बच्चों के समूहों को, चार हिस्सों में बाँट दिया गया , रोहित और निम्मी ''रूद्र समूह '' के सदस्य बने।'' नील समूह ''में तन्मय और टॉम थे। ''शूल समूह ''में अफ़रोज था।'' कपाली समूह ''में सूरज रह गया। सूरज को 'कपाली समूह 'में नहीं जाना था ,वो अपने को अकेला महसूस कर रहा था। मारिया जो घूम घूम कर ,सभी बच्चों को उनके समूह में, शामिल कर रही थी और उनके हिसाब से उन्हें, एक मुहर भी दी जा रही थी , जिसके आधार पर पता चलता, कि यह बच्चा किस समूह का है ? तब मारिया ने देखा -सूरज बच्चा अकेला है और कुछ उदास है। क्या हुआ ?बच्चे !क्यों उदास हो ?सूरज कुछ नहीं बोला, किंतु शांत एक तरफ खड़ा हो गया , तब मारिया उसके करीब गई और पूछा -क्या तुम्हें कुछ कहना है ? सूरज ने तब भी कोई जवाब नहीं दिया , तब वह बड़े प्यार से बोली -अगर अपनी परेशानी हमें नहीं बताओगे तो, हम कैसे तुम्हारी समस्या का हल करेंगे ? इस तरह बच्चों को उदास नहीं होना चाहिए। 

आप मेरी समस्या समझ सकती हैं , सूरज ने प्रश्न किया। 

हां हां क्यों नहीं ? वह मुस्कुरा कर बोली। 



मुझे'' कपाली हाउस ''में नहीं जाना ,तभी सूरज को लगा ,उसने कहने में गलती कर ,तब वो बोला -''कपाली समूह ''में इसलिए नहीं जाना ,मेरा कोई भी दोस्त इस समूह में नहीं है। 

कोई बात नहीं बच्चे ! इससे तुम्हारे आत्मविश्वास में वृद्धि होगी , किसी का सहारा लेकर आगे नहीं बढ़ोगे , जो भी करोगे ,अपने दम पर करोगे , तुम्हारे अंदर क्या है ?उसे तुम्हें बाहर निकालना है , दोस्तों के सहारे रहने से, तुम मैं अपने लिए ,आत्मविश्वास नहीं आएगा। नए दोस्त बनाना भी सीखो ! वे लोग भी बुरे नहीं हैं , और भी नए दोस्त बनेंगे , पुराने दोस्त तुम्हारे इसी विद्यालय में ही तो हैं ,इस  विद्यालय से बाहर तो नहीं हैं , उनसे भी मिल सकते हो। अब अपने दोस्तों से ही टक्कर हो जाए , कहते हुए ,वह अपना हड्डी जैसा मुँह लेकर हंसने लगीं। बोलो !क्या कहते हो? क्या तुम्हें अभी भी अपना समूह बदलना है ? सूरज को सोचते देख कर बोली -अभी समय है , अच्छे से सोच विचार करके मुझे जवाब देना , कहकर वह चली गईं। सूरज को उनकी बात समझ में आई और लगा -शायद ,वह सही कह रही हैं। दोस्तों के पीछे घूमने से अच्छा है , उनके सामने खड़ा हुआ जाए। यह सोचकर वह अपने कक्ष  की ओर चल दिया। 

रोहित काले कपड़ों में , तन्मय से कहता है -अब हम दोस्त यहां पर हैं, किंतु कक्षा में हम एक दूसरे के विरोधी हैं , निम्मी  का हाथ पकड़कर बोला -सबसे ज्यादा नंबर तो हमें ही मिलेंगे। 

तन्मय जो नीले वस्त्रों में था , बोला -हम भी किसी से कम नहीं ,ये तो समय बताएगा। 

प्रतियोगिताएं रखीं गयीं ,कौन, कितना तेज उड़ता है ?कौन कितनी ऊंचाई तक जा सकता है ?एक तरफ खाने की प्रतियोगिता भी थी। सभी बच्चे अपने -अपने समूह को जीताने के लिए ,मेहनत से अभ्यास कर रहे थे। रोहित ने देखा ,कुछ बच्चे तेज उड़ने का अभ्यास कर रहें हैं ,तो कुछ आकाश की ऊंचाई को छूने का प्रयास कर रहे हैं। कुछ बच्चे कपाल में रक्त भरकर ,एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जा रहे थे ,दोनों हाथों में दो कपाल थे ,उन्हें लेकर आगे बढ़ना है। रास्ते में ,कुछ लोग उन्हें रोकने का प्रयास करेंगे ,रक्त की एक बून्द भी नहीं गिरनी चाहिए ,उसे लेकर आगे बढ़ना है ,और दूसरी तरफ जाकर ,उन ''हपस की खोपड़ी ''में भरना है ,जिसकी खोपड़ी पहले भरेगी वही जीतेगा। 

ये ''हपस की खोपड़ी ''क्या है ?सूरज ने अपने अध्यापक से पूछा। 

''हपस की खोपड़ी ''वह है ,जो कि इंसानों को मानकर तैयार की गयीं हैं। 

मैं कुछ समझा नहीं ,हम भी तो पहले इंसान ही थे। तब इसमें नया क्या है ? सूरज ने पूछा। 

हम इंसान थे ,अब नहीं, किन्तु जब इंसानी रूप में थे ,तब यही ''हपस की खोपड़ी ''उस पर सवार रहती है ,यानि मानव की इच्छाएं कभी पूर्ण नहीं होती ,उसका मन कभी भरता नहीं ,जब तक वो इंसान मृत्यु  को  प्राप्त नहीं हो जाता ,उसकी ''हपस की खोपड़ी ''कभी भरती नहीं है ,ये वही ''हपस की खोपड़ी '' है। 

वाह !ये तो बहुत ही दिलचस्प खेल है ,इसको मैं भरूंगा। 

ये छलावा खेल है ,इसमें जो भी भाग लेना चाहता है ,अपने -अपने नाम लिखवा दे। 

इस खेल में क्या होता है ? टॉम ने पूछा। 

जैसे कि नाम से ही पता चलता है ,इस खेल में छल द्वारा ही ,जीता जा सकता है ,वो छल तुम कैसे प्रयोग में लाते  हो ,क्या करना है ?इससे तुम्हारी बुद्धिमत्ता साबित होती है ,तुम्हें इस विद्यालय से बाहर छोड़ दिया जायेगा और तुम्हें समय रहते, इस विद्यालय की चोटी पर पहुंचना है। 

विद्यालय से बाहर...... ये कुछ ज्यादा खतरनाक नहीं हो जायेगा टॉम बोला। बाहर न जाने कैसे -कैसे लोग मिलें ?

जिस खेल में खतरा न हो ,उसे जीतने से क्या लाभ ?मज़ा तो तभी है ,जब खतरों से बाहर निकलकर ,तुम विद्यालय तक पहुँचों। 


अग्नि गोले से हाथ नहीं जलेंगे ,रोहित ने प्रश्न किया ,नहीं ,इन्हें हाथों में नहीं लेना है ,वरन अपनी शक्ति से विरोधी समूह को मारना है ,जितने ज्यादा गोले ,जो भी ,अपने विरोधी को मारेगा ,वही विजेता होगा। 

सभी बच्चे अपने -अपने खेलों के अभ्यास में जुट गए ,जब सभी दोस्त ,साथ में बैठते हैं ,मिलकर बातें करते हैं। तभी अचानक न जाने कहाँ से ''मोना डायन '' आ गयी और क्रोधित होते हुए बोली -तुम सब यहाँ बैठे हो। क्या अपने -अपने समूह को नहीं जिताना है ?उससे गद्दारी करोगे ,अपने समूह की कोई भी गुपचुप बातें दूसरे समूह  वालों को नहीं बतानी है। सभी बच्चे खड़े हो गए ,घबराकर बोले -जी.... 

किन्तु अफरोज खड़ा नहीं हुआ ,तुम क्यों इस तरह बैठे हो ? क्रोधित होते हुए ,मोना डायन बोली -तभी अफरोज़ को न जाने क्या हुआ ?और बोला -आप इन बच्चों को डरा सकती हैं ,किन्तु मुझे नहीं, कहते हुए अफरोज बेफ़िक्री से बैठा रहा ,उसके जबाब पर सभी बच्चे ,परेशान हो  उठे ,और बुरी तरह घबरा गए। वे सोच रहे थे ,आज इसकी ख़ैर नहीं ,इसने ''मोना डायन ''से पंगा ले लिया है। अब ये नहीं बचेगा ,इसे अब ये ,कच्चा  ही चबा जाएगी। 


laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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