Ummid hei

उम्मीद है ,तो हम हैं। 
उम्मीद  है ,तो जीवन है। 
उम्मीद है ,तो हौसले हैं। 
उम्मीद पर ही जीवन टिका है ,
उम्मीद से ही ,मानव आगे बढ़ा है। 
उम्मीद की एक किरण ,
आगे बढ़ने की उम्मीद जगाती है। 
 छू लेंगे आसमाँ को ,
 सपनों को ,होंसलों को उड़ान दे जाती हैं । 
उम्मीद की डोर से ,बंधे हम ,
आगे बढ़ने की ,उम्मीद ही ले जाती है। 
स्वयं पर ही यकीन रखना है ,तभी आगे बढ़ना है। 
उम्मीदें जोड़ती हैं ,तो उम्मीदें तोड़ती भी हैं। 
यही उम्मीद है ,मुझे भी ,
''पंच तारे ''मैं पा  जाऊँ , सर्वश्रेष्ठ कहलाऊँ। 
laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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