सोता -सोता क्या करें ?
रैना बीती जाये।
कर्म की गठरी ,बाँध मुसाफिर !
गठरी बढ़ती जाये।
अब , इस गठरी को तार ,मुसाफिर !
क्यों ढ़ोता ही जाये ?रैना बीती जाये....
उससे ''लौ ''लगा मुसाफिर !
रैना बीती जाये।
न घर तेरा ,न घर मेरा ,
ये जग चिड़िया रैन बसेरा ,मुसाफिर !
क्या, फिर चौरासी में जाये ?रैना बीती जाये...
उठ जाग मुसाफिर ,उठ जाग मुसाफिर !
'' रैना बीती जाये ,रैना बीती जाये....
प्रेम -भक्ति की ''लौ ''जला , तू ,
अपने ''प्रभु का हाथ थाम, तू ,
क्यों भटकता जाये ? मुसाफ़िर !
''रैना बीती जाये ,मुसाफिर !रैना बीती जाये....
