Nashwar

'नश्वर ' शब्द का अर्थ क्या है ?पहले हम ये जानेंगे -वो वस्तु अथवा पदार्थ, जिसका नाश हो अथवा कोई भी वस्तु जिसका नष्ट होना निश्चित है ,वो ही नश्वर है। अब आप सोचेंगे की नश्वर क्या है ?मेरे विचार से तो नश्वर ,संसार की हर वस्तु नश्वर है। आप विचार कीजिये -इस संसार में कोई वस्तु ऐसी है जिसका नाश न हो ,जो नष्ट नहीं होती। भगवान ने हमें इतने प्राकृतिक साधन दिए हैं ,संसार की अधिकतर वस्तुओं का हम उपयोग कर सकते हैं अथवा कर रहे हैं। किन्तु सभी वस्तुएँ नष्ट होने वाली हैं ,कोई भी शाश्वत नहीं है ,चिरस्थाई नहीं है। यहां तक कि हमारा  स्वयं  का शरीर भी जो पांच तत्वों से बना है ,वो भी स्थाई नहीं है। इस तन को भी एक न एक दिन नष्ट हो जाना है। 


तब आप ये सोचेंगे कि फिर इस संसार में स्थाई क्या है ?कभी न मिटने वाला, कौन सा तत्व है ?गीता में भी आप लोगो ने पढ़ा होगा -कि आत्मा अजर ,अमर है ,न ही वो कट सकती है ,न ही कोई उसे जला सकता है। और वो आत्मा किसका रूप है ?वो रूप है ,-परमात्मा का -परम +आत्मा। जो हम सबसे ऊपर परमात्मा है ,वो ही शाश्वत है ,अजर है ,अमर  है और हम उससे जुडी आत्मायें ,जो मानव तन में आकर उस परमात्मा के बनाये ,मायाजाल में भँसकर ,अपने असली अस्तित्व को भूल जाती हैं। 

आत्मा जो पंच तत्वों से बने, इस नश्वर शरीर में आकर ,अपने आपको भूलकर ,इस नश्वर संसार को ही सब कुछ मान बैठता है। एक तरह से ये भी कह सकते हैं कि परमात्मा ,हम आत्माओं की परीक्षा लेने के लिए ,अपने बनाये इस नश्वर संसार में भेजता है कि उस माया जाल में कितनी आत्माएं हैं ?जो वहीं उलझकर रह जाती हैं और कितनी आत्मायें ऐसी हैं  ?जो अपने उस परमात्मा का नित्य भजन और सुमिरन करती हैं।किन्तु अधिकतर मानव इस संसार को  ही अपना सब कुछ समझ बैठता है और अपने उस परमात्मा को भूल जाता है। उसके लिए ये जीवन और ये संसार ही सत्य और शाश्वत है। 

एक उम्र के पश्चात जब उसका ये ''नश्वर ''शरीर कमज़ोर पड़ने लगता है और उसे एहसास होता है कि ये जो भी था ,सब एक छलावा था ,तब उस परमात्मा का उसे स्मरण होता है। तब उसे प्रतीत होता है ,तू तो बस यहां आकर उस परमात्मा का  दिया कार्य ,सम्पन्न करने आया है ,इसमें तुझे लिप्त नहीं होना है और जो हो भी  जाते हैं ,इस संसार को ही अपना  सब कुछ मान बैठते हैं ,बाद में उन्हें दुःख तो होता  ही है ,उनके पास पछताने के सिवा  कुछ नहीं रह ,जाता है। बस अंत में ,संक्षेप में यही कहूंगी -ये ही है ,इस ''नश्वर ''जीवन और इस ''नश्वर ''संसार की गाथा। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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