Billi ya chuha ?

वाह !क्या शीर्षक दिया है ?''चूहा -बिल्ली का खेल '',वैसे देखा जाये- तो शारीरिक रूप से बिल्ली बड़ी और खतरनाक है ,उसके सामने चूहे की क्या बिसात ? इसी आधार पर एक बच्चों के लिए ''कार्टून ''चलचित्र बना था ,जो हम बचपन में बहुत देखते और मजे लेते थे, किन्तु उसका अर्थ तो बाद में समझा। भले ही बिल्ली शारीरिक रूप से ताकतवर रही , किन्तु यदि बुद्धिमानी से काम लिया जाये तो चूहा यानि ''जैरी ''भी उसके'' छक्के छुड़ा देता ''था। हालाँकि विपरीत परिस्थिति में कई बार दोनों एक भी हो जाते थे ,किन्तु शीघ्र ही पता भी चल जाता था कि चूहे और बिल्ली कभी एक नहीं हो सकते ,उनका आपस में कोई मेल  ही नहीं। हम लोगों में भी कुछ लोग आये दिन ''चूहे -बिल्ली ''जैसा खेल खेलते रहते हैं। इस नाम से तो कुछ लोग पहले से ही प्रसिद्ध हैं। बदनाम कहूंगी, तो बुरा लग जाने का डर है ,जैसे -नेता और जनता ,'वैसे तो नेता बिल्ली वाला किरदार ही निभाते हैं , किन्तु वोट मांगने के समय पर चूहे बन जाते हैं या फिर यूँ कहिये -वोट के समय पर जनता बिल्ली होती है ,बाद में चूहा हो जाती है किन्तु ''टॉम -जैरी ''के अनुसार देखा जाये तो समझदारी से काम लिया जाये तो जनता को चूहा बनना ही न पड़े। 


दूसरा रिश्ता आता है ,सास -बहू का -जब तक सास की चलती है ,बहु सुनती है ,नहीं -नहीं जैरी बन जाती है और जब पासा पलटता है, तो बहु भी अपना आधिपत्य नहीं छोड़ती।  आजकल तो रिश्तों और उम्र का भी लिहाज़ नहीं ,तो ये चूहे बिल्ली का खेल बख़ूबी चलता है। वैसे तो बचपन में भी कहानी पढ़ी थी -कि बिल्ली के गले में घंटी बाँधे कौन ?ये उस बात पर निर्भर करता है कि उस समय बिल्ली कौन है ?उस समय तो पता नहीं चल पाया ,कि बिल्ली के गले में घंटी बंधी या नहीं  ,किन्तु कभी -कभी ये भी हो जाता है -''अल्लाह मेहरबान तो गधा पहलवान। ''इसी तरह पति -पत्नी का रिश्ता भी  है ,अब ये तो पति  ही इस लेख को पढ़कर ही सोच सकते हैं - कि वो अंग्रेजी में क्या कहते हैं -''टॉम हैं कि जैरी ''मैं कुछ नहीं कहूँगी। 

इसी तर्ज़ पर बॉस और उसके नीचे कार्य करने वाले कर्मचारी ,अध्यापक और छात्र भी ,कुछ इसी तरह का खेल खेलते हैं ,नहीं... यहाँ स्थिति कुछ बदल जाती है किन्तु बच्चे अध्यापक को अपने कृत्यों द्वारा छकाने  से बाज़ नहीं आते। इस खेल में परेशानी -दुःख ,भावनाएँ और न जाने क्या -क्या जुड़ जाता है ? तुम नहीं समझोगे। इसे जो खेलता है ,वही समझ पाता है- कि वो चूहा है या बिल्ली और उस स्थिति से उसे कैसे निकलना है ?

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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