भोर की मदमाती सुबह ,
हल्की -हल्की ,गुलाबी सी ठंड ,
कोयल की कूक ,मस्ती सी छाई है।
' अमुआ' के पेड़ों पर बौर भी आयीं हैं।
पीत वर्ण ,पुष्पों की रचना लिए ,
धानी चुनर ओढ़े ,प्रकृति पर ,
क्या तुम्हें पता है ?
पतंगों की आड़ से ,
अनेक रंगों को लिए ,
''बसंत ऋतू ''आई है, ''बसंत ऋतू ''आई है।
वातावरण में मस्ती सी छाई है।
पेड़ों पर चिड़िया चहचहाई हैं।
पुष्पों पर ,तितलियाँ 'इठलाई हैं।
देखो तो सही ,बसंत ऋतू आई है।
पतझड़ को भेज ,नव जीवन हुआ।
माह बदला ,मौसम बदला ,ऋतू भी बदली।
अब देखो तो सही ,ऋतुओं का राजा आया है ,
''बसंत आया है ,बसंत आया है।
नव जीवन लाया है।
रंगो का त्यौहार 'होली ' बसंत लाया है।
रंगीन ,मदमाता बसंत आया है।
