Basant ritu

 भोर की मदमाती सुबह  ,
 हल्की -हल्की ,गुलाबी सी ठंड ,
 कोयल की कूक ,मस्ती सी छाई है।
' अमुआ' के पेड़ों पर बौर भी आयीं हैं।
 पीत वर्ण ,पुष्पों की रचना लिए ,
 धानी  चुनर ओढ़े ,प्रकृति पर ,
 कुछ मस्ती सी  छाई  है।

 क्या तुम्हें पता है ?
 पतंगों की आड़ से ,
 अनेक रंगों को लिए ,
''बसंत ऋतू ''आई है, ''बसंत ऋतू ''आई है। 
 वातावरण में मस्ती सी छाई है।
 पेड़ों पर चिड़िया चहचहाई हैं। 
 पुष्पों पर ,तितलियाँ 'इठलाई हैं।
 देखो तो सही ,बसंत ऋतू आई है।  
 पतझड़ को भेज ,नव जीवन हुआ।
 माह बदला ,मौसम बदला ,ऋतू भी बदली।
 अब देखो तो सही ,ऋतुओं का राजा आया है ,
''बसंत आया है ,बसंत आया है।
 नव जीवन लाया है। 
 रंगो का त्यौहार 'होली ' बसंत लाया है।
 रंगीन ,मदमाता बसंत आया है।  
laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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